मूंग की खेती के लिए सरकार के प्रयास
भारत में तिलहन और दलहन फसलों का एक विशेष स्थान हैं।दलहनी फसल के अंतर्गत मूंग अपना मुख्य स्थान रखती हैं।भारत में किसान मूंग की खेती रबी , खरीफ और जायद तीनों सीजन में करने लगे हैं।मूंग की खेती करने वाले किसानों के लिए एक अच्छी ख़बर हैं।हरियाणा में सरकार द्वारा मूंग की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान भाइयों को प्रति एकड़ 4 हजार रुपए का अनुदान(Subsidy) दिया जा रहा हैं।हरियाणा सरकार का कहना हैं कि इससे किसने भाइयों का झुकाव मूंग की खेती की ओर हो होने के साथ ही धान की खेती के प्रति झुकाव कम हो सकेगा।हरियाणा राज्य में सरकार धान की खेती को कम करके अन्य फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्य कर रही हैं ताकि पानी की बचत की जा सके।धान की खेती में सबसे अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती हैं और बारिश ना होना या असमय बारिश होने से किसान भाइयों को सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं मिल पाती हैं जिससे किसान भाइयों को धान की खेती में उचित लाभ नहीं मिल पाता हैं।इसी क्रम में हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों को सब्सिडी योजना का कार्य शुरू किया हैं।इन योजना के तहत सरकार की ओर से धान की खेती के स्थान पर किसान भाइयों द्वारा कम पानी में होने वाली फसलों की खेती पर अनुदान(Subsidy) के रूप में 4 हजार रुपए दिए जाएंगे।आइए , मूंग की खेती पर मिलने वाले अनुदान(Subsidy) से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।
मूंग की खेती हैं भूमि की उर्वरा शक्ति के लिए फायदेमंद
मूंग एक दलहन फसल हैं।मूंग की फसल के पकने की अवधि लगभग 60 से 70 दिन हैं।मूंग की खेती से किसान भाइयों को दोगुना लाभ प्राप्त होता हैं।कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मूंग का पौधा वातावरण से नाइट्रोजन लेकर अपनी जड़ों में इकट्ठा कर लेता हैं इसलिए मूंग की बुवाई करने से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि होती हैं।मूंग की खेती में किसान भाई पौधों की कटाई करते हैं जबकि जड़ें मिट्टी में ही रह जाती हैं जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि होती हैं।किसान भाई मूंग की बुवाई करके मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि कर सकते हैं।मूंग की कटाई के पश्चात् किसान शेष अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर हरी खाद का निर्माण कर सकते हैं।इसके अवशेषों से निर्मित हरी खाद से अगली फसल की उपज में वृद्धि होगी।कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मूंग के पश्चात् बुवाई की जाने वाली फसल में यूरिया का प्रयोग कम करना पड़ता हैं इसलिए किसान भाई खाली खेत में मूंग की बुवाई अवश्य करें।मुंग से निर्मित हरी खाद धान की उपज में वृद्धि में सहायक होती हैं।मूंग की खेती करके किसान भाई उपज प्राप्त करने के साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि कर सकते हैं।
मूंग की बुवाई पर मिलेगी 4 हजार रुपए प्रति एकड़ की सब्सिडी
हमारे देश में हरियाणा में अधिकांश किसानों द्वारा धान की खेती की जाती हैं जिससे पानी की बचत नहीं हो पाती हैं।हरियाणा सरकार द्वारा जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए किसानों द्वारा बोई जाने वाली फसलों में बदलाव लाने के लिए निरंतर कार्य कर रही हैं।मूंग सहित अन्य कम पानी में उगने वाली फसलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से योजना बनाई गई हैं।राज्य में धान की फसल की ओर झुकाव कम करने के लिए कम सिंचाई की आवश्यकता वाली फसलों की बुवाई करने के लिए किसान भाइयों को प्रोत्साहित किया जा रहा हैं।इसी क्रम में इन योजना के तहत हरियाणा सरकार ने धान की खेती छोड़ने वाले किसान भाइयों को प्रति एकड़ 7000 रुपए का अनुदान(Subsidy) देने की योजना बनाई हैं।बाजरे के स्थान पर मूंग की खेती करने पर किसान भाइयों को प्रति एकड़ 4000 रुपए का अनुदान दिया जाएगा।इसके अतिरिक्त मूंग का बीज खरीदने पर किसान भाइयों को 90%अनुदान(Subsidy) दिया जाएगा।
मूंग पर सब्सिडी पाने के लिए पंजीकरण कहां करें??
हरियाणा में सरकार द्वारा मुआवजा , फसलों की सुगम खरीद और अन्य योजनाओं का सीधा लाभ देने के लिए “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल प्रारंभ किया गया हैं।इस पोर्टल पर किसान के क्षेत्र और उसमें बुवाई की जाने वाली फसल का संपूर्ण विवरण एकत्रित किया जाता हैं।इसके अतिरिक्त “मेरा पानी मेरी विरासत” योजना के लिए किसान भाई ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीके से पंजीकरण करा सकते हैं।किसान भाई “मेरा पानी मेरी विरासत” पोर्टल पर पंजीकरण(Registration) करने के पश्चात् मूंग पर अनुदान(Subsidy) का लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।इससे संबंधित संपूर्ण जानकारी के लिए किसान अपने क्षेत्र के खंड कृषि अधिकारी कार्यालय में संपर्क करें।
मूंग पर सब्सिडी पाने के लिए आवश्यक दस्तावेज
“मेरा पानी मेरी विरासत” योजना के तहत पंजीकरण(Registration) करने वाला किसान हरियाणा का स्थायी निवासी होना चाहिए।हरियाणा राज्य में मूंग पर सब्सिडी पाने के लिए पंजीकरण हेतु आवश्यक दस्तावेज इस प्रकार हैं-
(1) आवेदक का आधार कार्ड
(2) आवेदक का पहचान पत्र
(3) आवेदक का बैंक खाता पासबुक
(4) आवेदक की पासपोर्ट साइज फोटो
(5) आवेदक का स्वयं का आधार कार्ड से लिंक मोबाइल नंबर
(6) कृषि योग्य भूमि के कागजात आदि।
योजना लागू होने से राज्य में धान के क्षेत्र पर होने वाले प्रभाव
हरियाणा सरकार द्वारा जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए कम पानी में होने वाली फसलों को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं का संचालन किया जा रहा हैं।हरियाणा सरकार द्वारा चलाई जा रही इन योजनाओं से काफी अच्छा प्रभाव हुआ हैं।हरियाणा राज्य में “मेरा पानी मेरी विरासत” योजना के संचालन के पश्चात् हरियाणा सरकार ने किसान भाइयों को धान की खेती छोड़ने का अनुरोध किया था और इसके लिए अनुदान(Subsidy) देने की घोषणा की गई थी।इससे किसान भाइयों ने धान की खेती को छोड़कर अन्य फसलों की खेती करने की ओर ध्यान दिया हैं।इससे पानी की बचत होने के साथ-साथ किसान भाइयों के मुनाफे में भी वृद्धि हुई हैं जिससे किसान भाइयों के आय में भी बढ़ोतरी हुई हैं।