कृषि ऋण की नई योजना से संबंधित जानकारी..
भारत में खेती से जुड़े आर्थिक दबाव और फसल बेचने की मजबूरी का सामना कर रहे किसानों के लिए एक नई राहत योजना शुरू की गई है। क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर ई-एनडब्ल्यूआर बेस्ड प्लेज फाइनेंसिंग (CGS-NPF) के तहत किसानों को अपनी फसल को गोदाम में रखकर आसान ऋण लेने का अवसर मिलेगा। यह योजना किसानों को वित्तीय स्थिरता प्रदान करने और उनके लिए कृषि में सुधार की नई राह खोलने का वादा करती है।
CGS-NPF योजना का उद्देश्य क्या हैं??
इस योजना का एक और प्रमुख उद्देश्य किसानों को वेयरहाउसिंग सुविधाओं का लाभ प्रदान करना है। इसके तहत, किसानों के पास अधिक प्रमाणित गोदामों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी, ताकि वे अपनी उपज का सुरक्षित भंडारण कर सकें और परिवहन लागत बढ़ाए बिना उसे बाजार में बेच सकें।
CGS-NPF योजना की शुरुआत कब हुई??
16 दिसंबर 2024 को शुरू की गई इस योजना के लिए 1,000 करोड़ रुपये का कोष आवंटित किया गया है। इसके तहत किसान अपनी उपज को वेयरहाउसिंग डिवेलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (WDRA) द्वारा प्रमाणित गोदामों में जमा करके कर्ज प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए ई-नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीद (e-NWR) का उपयोग किया जाएगा, जो कि गोदाम में रखी गई उपज का इलेक्ट्रॉनिक प्रमाण है।
CGS-NPF योजना की मुख्य विशेषताएँ
भारत का कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का 17.7% हिस्सा है और यह आज भी लगभग आधे भारतीयों को रोजगार प्रदान करता है। फिर भी, छोटे और सीमांत किसानों को फसल कटाई के बाद अपनी उपज कम कीमत पर बेचना पड़ता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है। CGS-NPF योजना का उद्देश्य किसानों को उचित मूल्य पर अपनी फसल बेचने का अवसर प्रदान करना और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है।
किसानों को कैसे मिलेगा लाभ??
CGS-NPF योजना का विशेष ध्यान छोटे और सीमांत किसानों, महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति और दिव्यांग किसानों पर है। इसके अलावा, किसान उत्पादक संगठन (FPO), सहकारी समितियां और छोटे व्यापारी भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
योजना में कर्ज पर गारंटी फीस को न्यूनतम रखा गया है, जिससे किसानों के लिए कर्ज लेना और इसे चुकाना आसान हो सके। इससे किसानों को फसल कटाई के बाद तुरंत अपनी उपज बेचने की मजबूरी से छुटकारा मिलेगा और वे उचित मूल्य पर अपनी फसल बेच सकेंगे।
WDRA को विशेष निर्देश
WDRA को निर्देश दिए गए हैं कि वे अधिक से अधिक गोदामों को प्रमाणित करें और इन्हें किसानों के पास, विशेषकर खेती के निकट स्थापित करें। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने भी WDRA से अपील की है कि किसानों की सुविधा के लिए अधिक गोदाम पंजीकृत किए जाएं।
अन्य प्रमुख योजनाएँ
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): 1998 में शुरू की गई इस योजना के तहत किसानों को कृषि इनपुट और नकद उपलब्ध कराए जाते हैं। अब इसे पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए भी बढ़ाया गया है।
ब्याज सब्सिडी योजना (MISS): इस योजना के तहत किसानों को 3 लाख रुपये तक के कृषि कर्ज पर मात्र 4% ब्याज दर पर कर्ज मिलता है। कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह 8.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 25.48 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। इसके अलावा, ब्याज सब्सिडी वितरण भी 6,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 14,252 करोड़ रुपये हो गया है।
योजना का प्रभाव
यह योजना किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ कृषि क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोलेगी। छोटे और सीमांत किसानों को कर्ज की उपलब्धता बढ़ने से वे अपनी फसल सही समय पर बेच सकेंगे और बेहतर मुनाफा कमा सकेंगे। इसके अलावा, अधिक प्रमाणित गोदामों की उपलब्धता और वेयरहाउस के नजदीक होने से किसानों का समय और परिवहन लागत भी बच सकेगी। कृषि ऋण प्रवाह और ब्याज सब्सिडी जैसी योजनाएँ किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करेंगी हालांकि, असली बदलाव तभी संभव होगा जब इन योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से किया जाए।