फसल बीमा योजनाओं का विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में किसानों के लिए दो बड़े फैसले लिए गए। इन फैसलों में भारत सरकार ने किसानों के लिए दो बड़ी फसल बीमा योजनाओं—प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS)—को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। अब ये योजनाएँ 2025-26 तक चलेंगी, जिससे किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाव का और वक्त मिलेगा। इसके साथ ही, इन योजनाओं के लिए बजट भी बढ़ाया गया है, ताकि किसानों को बेहतर मदद मिल सके।सरकार की इन फसल बीमा योजनाओं से किसानों को काफी फायदा होगा। बीमा कवर सस्ता है, दावों का निपटान जल्दी होगा और प्रौद्योगिकी के जरिए प्रक्रिया को और आसान बनाया जाएगा। इससे किसानों को ज्यादा सुरक्षा और आर्थिक मदद मिलेगी, जो उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से बचने में मदद करेगी।
नवाचार और प्रौद्योगिकी कोष की शुरुआत
सरकार ने इन योजनाओं को और बेहतर बनाने के लिए 824.77 करोड़ रुपये का एक नया कोष (FAT) बनाया है। इसका मकसद फसल नुकसान का सही और जल्दी आकलन करना, दावों का जल्दी निपटान करना और कम विवादों को सुलझाना है। इससे किसानों को बीमा का फायदा जल्द मिलेगा और प्रक्रिया आसान होगी।
फसल बीमा योजना के फायदे
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों को बहुत कम प्रीमियम पर बीमा देती है। रबी फसलों के लिए 1.5% और खरीफ फसलों के लिए 2% प्रीमियम लिया जाता है, जो बहुत सस्ता है। इसके अलावा, बीमा प्रीमियम का बाकी हिस्सा सरकार देती है, जिससे किसानों पर कम बोझ पड़ता है।
- अब तक इस योजना के तहत 1.7 लाख करोड़ रुपये के दावे किसानों को दिए गए हैं। इसके साथ ही, योजना में 34,000 करोड़ रुपये का प्रीमियम लिया गया है। यह योजना देश के 23 राज्यों में लागू है और इसमें किसानों की भागीदारी बढ़ रही है।
दावे में देरी पर जुर्माना
अगर बीमा कंपनियां दावों का समय पर निपटान नहीं करतीं, तो उन्हें किसानों को 12% जुर्माना देना होगा। इससे दावों का निपटान जल्दी होगा और किसानों को जल्द पैसा मिलेगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए 69,515 करोड़ रुपये की सहायता
केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) को 2025-26 तक जारी रखने के लिए 69,515.71 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ मंजूरी दे दी है। इस निर्णय से यह सुनिश्चित होता है कि किसान प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल के नुकसान से बचने के लिए कवरेज प्राप्त करते रहेंगे।इसके साथ ही, मंत्रिमंडल ने 824.77 करोड़ रुपये के कोष के साथ एक नवाचार और प्रौद्योगिकी कोष (FAT) बनाने को भी मंजूरी दी है। यह कोष तकनीकी पहलों जैसे कि YES-TECH (प्रौद्योगिकी का उपयोग करके उपज अनुमान प्रणाली) और WINDs (मौसम सूचना और नेटवर्क डेटा सिस्टम) का समर्थन करेगा, जिसका उद्देश्य दावे के निपटान की दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाना है।
बजट में बढ़ोतरी से सशक्त हुई योजना
कृषि मंत्रालय ने इस योजना के लिए 2025 में 15,000 करोड़ रुपये का बजट तय किया है। इससे योजना को और मजबूत किया जाएगा। साथ ही, यह योजना अब तीसरी सबसे बड़ी फसल बीमा योजना बन चुकी है, जो किसानों को पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कवर देती है।
किसानों की बढ़ती भागीदारी
2024 में पीएमएफबीवाई योजना के तहत 4 मिलियन से ज्यादा किसानों ने नामांकन किया है, और यह संख्या आने वाले समय में और बढ़ेगी। यह योजना अब ऋण-आधारित नहीं, बल्कि सदस्यता-आधारित हो रही है। इसका मतलब यह है कि वे किसान भी इसे अपना रहे हैं, जिन्होंने बैंक से ऋण नहीं लिया।प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी फसल बीमा योजना बन चुकी है, जो किसानों को व्यापक सुरक्षा कवरेज प्रदान करती है। इससे यह साबित होता है कि भारत में फसल बीमा योजनाओं का प्रभाव बहुत बड़ा है और यह किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
प्रीमियम दर में राहत
इसके अलावा, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में प्रीमियम दर में कोई बदलाव नहीं होगा। किसानों को 1.5% से 5% के बीच बीमा प्रीमियम का भुगतान करना होगा। इस योजना में 4 करोड़ किसानों को कवर किया गया है, जिनमें से 55% किसान गैर-ऋणी हैं।
केंद्रीकृत शिकायत निवारण प्रणाली
पीएम फसल बीमा योजना से जुड़ी शिकायतों को दूर करने के लिए एक केंद्रीकृत शिकायत निवारण प्रणाली भी बनाई गई है। अब किसान टोल-फ्री नंबर 14447 पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।