केंद्र सरकार ने प्याज, टमाटर, और आलू जैसी नाशवान फसलों की कीमतों को स्थिर रखने और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना (Market Intervention Scheme – MIS) शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य है कि किसानों को फसलों के गिरते दामों से बचाया जाए और उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर ये फसलें उपलब्ध हों।
बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) के मुख्य बिंदु:
- मूल्य संरक्षण: यदि फसल का बाजार मूल्य पिछले सीजन की औसत कीमत से 10% या अधिक कम होता है, तो यह योजना लागू की जाती है।
- केंद्र और राज्य की साझेदारी: इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार वित्तीय नुकसान को 50:50 के अनुपात में साझा करते हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में यह अनुपात 75:25 है।
- खरीद सीमा: राज्य सरकारें कुल उत्पादन का अधिकतम 25% तक खरीद सकती हैं।
- प्रत्यक्ष भुगतान का विकल्प: किसानों के खातों में सीधा अंतर मूल्य भुगतान किया जा सकता है।
प्याज भंडारण में मदद:
सरकार बागवानी के एकीकृत विकास मिशन (MIDH) के तहत प्याज के भंडारण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसके तहत, कम लागत वाले प्याज भंडारण यूनिट्स के निर्माण पर अधिकतम 50% (1.75 लाख रुपये प्रति यूनिट तक) सब्सिडी दी जाती है। इससे किसान अपनी उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं और कीमतें गिरने पर नुकसान से बच सकते हैं।
टमाटर, प्याज, और आलू (TOP फसलें):
केंद्र सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय एजेंसियों को इन फसलों की खरीद और वितरण की जिम्मेदारी दी है। इन एजेंसियों द्वारा फसलों को उत्पादन क्षेत्रों से उपभोक्ता क्षेत्रों तक उचित दर पर पहुंचाया जाता है, जिससे बाजार में कीमतें स्थिर रहती हैं।
किसानों और उपभोक्ताओं को लाभ:
इस योजना से न केवल किसानों को उनकी फसलों का सही दाम मिलेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी प्याज, टमाटर, और आलू जैसी फसलों की कीमत में स्थिरता का लाभ होगा।
यह पहल किसानों और उपभोक्ताओं के बीच संतुलन बनाने का प्रयास है, जिससे देश की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।