सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद
इस साल सोयाबीन की रिकॉर्ड पैदावार हुई है, लेकिन मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कीमतों में गिरावट के कारण किसान अपनी फसल बेचने में हिचकिचा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से सोयाबीन की कीमतों में लगातार गिरावट आई है, जिससे किसानों को वित्तीय नुकसान हो रहा है। हालांकि, सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए MSP पर खरीदारी की योजना जारी रखी है।
MSP पर खरीदारी की प्रक्रिया
केंद्रीय और राज्य सरकार की एजेंसियां, जैसे नेफेड और एनसीसीएफ, 15 जनवरी 2025 तक सोयाबीन की MSP खरीद जारी रखेंगी। अब तक मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात और तेलंगाना जैसे प्रमुख राज्यों में 10 लाख टन सोयाबीन खरीदी जा चुकी है। इन राज्यों के 4.12 लाख से अधिक किसानों से सोयाबीन की खरीद की जा चुकी है। सरकार की यह योजना किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने और बाजार में गिरती कीमतों से बचाने का एक अहम कदम साबित हो सकती है।
सोयाबीन की कीमतों में भारी गिरावट
सोयाबीन की कीमतों में हाल के महीनों में भारी गिरावट आई है। इंदौर में शुक्रवार को सोयाबीन की एक्स-फैक्ट्री कीमत 2,950 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई, जबकि जनवरी 2024 की शुरुआत में ये कीमतें 4,150 रुपये प्रति क्विंटल थीं। इससे किसानों में निराशा का माहौल है, क्योंकि उन्हें लागत की तुलना में बहुत कम मूल्य मिल रहा है।
केंद्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में कच्चे पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेलों पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 27.5% कर दिया था, जिसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और किसानों को बेहतर कीमतें दिलवाना था। इसके बावजूद, कीमतों में गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, और किसानों की चिंताएं बढ़ी हुई हैं।
किसान भाइयों को मिलेगी राहत
सरकार का कहना है कि MSP खरीद योजना को 15 जनवरी तक जारी रखने से किसानों को राहत मिलेगी और वे अपनी उपज को बेहतर मूल्य पर बेच सकेंगे। हालांकि, किसान संगठन सरकार से इस योजना को और बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें।
इस बीच, सरकार की ओर से दी जा रही राहत के बावजूद, सोयाबीन की कीमतों में और गिरावट की आशंका बनी हुई है, जिससे किसानों को जल्द ही कोई स्थिरता मिल सके, इस पर सबकी नजरें लगी हैं।