सोयाबीन उत्पादन में हुई बढ़ोतरी
मध्यप्रदेश में सोयाबीन उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है, और प्रदेश अब देश का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक बन चुका है। राज्य के किसानों के परिश्रम और सरकार द्वारा की गई बेहतर व्यवस्थाओं की वजह से यह उपलब्धि संभव हो सकी है। राज्य में 2024 में सोयाबीन के उत्पादन में लगभग 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और 66 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सोयाबीन की खेती हो रही है। 31 दिसंबर तक राज्य में 6.5 से 7 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन का उपार्जन पूरा होने की उम्मीद है।
मध्यप्रदेश ने महाराष्ट्र और राजस्थान को पीछे छोड़ा
मध्यप्रदेश ने महाराष्ट्र और राजस्थान को पीछे छोड़ते हुए सोयाबीन के सबसे बड़े उत्पादक राज्य बनने में सफलता प्राप्त की है। सरकार ने किसानों के लाभ के लिए 4,892 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित किया है, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल रहा है। सोयाबीन की खरीदी के लिए सरकार ने उपार्जन केंद्रों और भंडारण सुविधाओं की उचित व्यवस्था की है।
ई-उपार्जन और ऑनलाइन भुगतान व्यवस्था
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर, सोयाबीन उपार्जन की प्रक्रिया में पारदर्शिता और तेजी लाने के लिए ई-उपार्जन पोर्टल का उपयोग किया जा रहा है। इसके माध्यम से किसानों को ऑनलाइन भुगतान की सुविधा दी जा रही है, जिससे भुगतान में कोई कठिनाई नहीं हो रही। इस वर्ष प्रदेश में कुल 1957.1 करोड़ रुपये का भुगतान लगभग दो लाख किसानों को किया जा चुका है, और भुगतान का प्रतिशत 70.41% तक पहुंच चुका है।
सुरक्षित भंडारण और परिवहन
सोयाबीन के भंडारण और सुरक्षा के लिए भी ठोस इंतजाम किए गए हैं। राज्य में 95 प्रतिशत सोयाबीन का परिवहन पूरा हो चुका है। नीमच जिला में शत-प्रतिशत किसानों को राशि का भुगतान किया जा चुका है, जबकि विदिशा, राजगढ़, नर्मदापुरम, आगर मालवा, शहडोल, और अन्य प्रमुख जिलों में भी 75 प्रतिशत से अधिक किसानों को भुगतान मिल चुका है।
कृषि व्यवस्था की निगरानी
मुख्यमंत्री के निर्देश पर, कृषि विभाग ने पंजीकरण से लेकर, बारदाने की व्यवस्था, परिवहन, भंडारण और भुगतान की प्रक्रिया की नियमित समीक्षा की है। मालवा अंचल में सबसे अधिक सोयाबीन उत्पादन होता है, और यहां किसानों को बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।
किसानों के लिए राहत और विकास
मध्यप्रदेश की सोयाबीन उपार्जन योजना को लेकर किसानों में उत्साह है, और सरकार की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से भविष्य में कृषि उत्पादन को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। सरकार का उद्देश्य किसानों की आय को दोगुना करना और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करना है, ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें।