लहसुन की नई फसल आते ही बाजारों में भाव ने अप्रत्याशित रूप से गिरावट दर्ज की है। कुछ दिनों पहले जहां नई लहसुन के दाम ₹21,000-22,000 प्रति कुंतल तक पहुंचे थे, वहीं अब ये ₹13,000 प्रति कुंतल तक आ गए हैं। देसी लहसुन भी इस गिरावट से अछूती नहीं रही, जिसके भाव पहले ₹14,000 प्रति कुंतल थे और अब गिरकर ₹8,000 प्रति कुंतल तक आ गए हैं।
इस तेज गिरावट ने किसानों को गहरी चिंता में डाल दिया है। जो किसान लहसुन की फसल से अच्छे मुनाफे की उम्मीद कर रहे थे, उनके लिए यह झटका किसी संकट से कम नहीं।
लहसुन के भाव में गिरावट के कारण
- बढ़ी हुई आपूर्ति:
फसल कटाई के साथ ही बाजार में लहसुन की उपलब्धता अचानक बढ़ गई है, जिससे भाव गिरने लगे हैं। - कमजोर डिमांड:
मौजूदा समय में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में लहसुन की मांग कम है। - एक्सपोर्ट में कमी:
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा और ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ने के कारण निर्यात पर असर पड़ा है। - मध्यस्थों का प्रभाव:
व्यापारियों और बिचौलियों द्वारा कम कीमत पर खरीदारी करने का प्रयास भी भाव गिरने का एक बड़ा कारण है।
किसानों की स्थिति और चुनौतियां
किसान अब इस सवाल में उलझे हुए हैं कि आगे लहसुन के दाम कैसे रहेंगे। इस गिरावट से जहां मुनाफा कम हो गया है, वहीं कई किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
किसानों की मुख्य चिंताएं:
- उत्पादन लागत को पूरा करना।
- बाजार में उचित दाम मिलना।
- भाव गिरने से अगले सीजन की फसल पर असर।
आगे लहसुन का भाव कैसा रहेगा?
मौसम, मांग और बाजार की परिस्थितियों के आधार पर लहसुन के भाव में अगले कुछ हफ्तों में कुछ सुधार देखने को मिल सकता है।
- मांग में बढ़ोतरी:
सर्दी के मौसम और त्योहारों के कारण घरेलू खपत बढ़ सकती है। - एक्सपोर्ट की संभावना:
अगर सरकार निर्यात को बढ़ावा देती है, तो बाजार में सुधार संभव है। - मध्यस्थों का प्रभाव घटने पर:
किसानों को सीधा बाजार से जोड़ने के प्रयासों से भी दाम बढ़ सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि लहसुन के दाम ₹15,000-17,000 प्रति कुंतल तक जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए समय लग सकता है।
किसानों को क्या करना चाहिए?
- भंडारण करें: अगर संभव हो, तो फसल को कुछ समय के लिए स्टोर करें और बेहतर दाम मिलने पर बेचें।
- सीधी बिक्री: मंडियों में व्यापारियों पर निर्भर रहने के बजाय बाजार में सीधे बेचने की कोशिश करें।
- सरकार से मदद: सरकारी योजनाओं और समर्थन मूल्य पर ध्यान दें।
लहसुन के भाव में आई इस गिरावट ने किसानों को संकट में डाल दिया है, लेकिन आने वाले समय में बाजार में सुधार की संभावनाएं बनी हुई हैं। बेहतर योजना और सरकारी मदद से किसान इस स्थिति से उबर सकते हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि जल्दबाजी में फसल न बेचें और बाजार के रुझान पर नज़र बनाए रखें।