गेहूं की उच्च उपज के लिए क्या हैं विशेष सलाह??
गेहूं की फसल में उच्च उपज प्राप्त करना हर किसान का मुख्य उद्देश्य होता है, और इसके लिए सही देखभाल और पोषण प्रबंधन बेहद जरूरी है। इस दिशा में, ICAR-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने गेहूं की फसल की उच्च उपज के लिए नए और प्रभावी छिड़काव सुझाव जारी किए हैं। इन सुझावों में कीट-रोग नियंत्रण और पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने वाले पोषक तत्वों के बारे में जानकारी दी गई है, जिससे किसान न केवल अपनी फसल की उपज बढ़ा सकते हैं, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी सुधार सकते हैं।
वर्तमान समय में, भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में बुआई की प्रक्रिया अच्छी तरह से चल रही है, और उत्तरी क्षेत्रों में देर से होने वाली बुआई आगामी दिनों में पूरी हो जाएगी। इस समय मौसम की स्थिति गेहूं की फसल के लिए अनुकूल है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली उपज की संभावना बढ़ जाती है।
उच्च उर्वरता वाली फसल में इस प्रकार करें छिड़काव??
जल्दी बोई गई और उच्च उर्वरता वाली गेहूं की फसल के लिए ICAR ने क्लोरमेक्वेट क्लोराइड (50% एसएल के 0.2% वाणिज्यिक उत्पाद) और टेबुकोनाजोल (25.9% ईसी के 0.1% वाणिज्यिक उत्पाद) के टैंक मिश्रण का छिड़काव पहले नोड चरण (50-55 दिन बाद) में करने की सलाह दी है। इसके लिए 160 लीटर पानी प्रति एकड़ की आवश्यकता होगी। यह छिड़काव फसल की वृद्धि को बढ़ावा देने और रोगों के नियंत्रण में सहायक होगा।
जल्दी बुवाई वाली फसल का प्रबंधन
जल्दी बोई गई गेहूं की फसल के लिए ICAR के अनुसार, पहला छिड़काव फसल की प्रथम नोड अवस्था (50-55 दिन बाद) में करें, जिसमें क्लोरमेक्वेट क्लोराइड और टेबुकोनाजोल का टैंक मिक्स संयोजन हो। इस प्रक्रिया के लिए 160 लीटर पानी प्रति एकड़ का उपयोग करें।
उच्च उपज के लिए अन्य सामान्य उपाय
1.उपयुक्त किस्म का चयन करें
अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार गेहूं की किस्म का चयन करें। यह सुनिश्चित करेगा कि फसल की वृद्धि और उपज पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
2.खास किस्मों से बचें
उन किस्मों से बचें जो रोगों के प्रति संवेदनशील हैं। इससे फसल में बीमारी का जोखिम कम होगा और उत्पादन में वृद्धि होगी।
3. विवेकपूर्ण सिंचाई
फसल की सिंचाई में विवेक का प्रयोग करें। समय पर सिंचाई से पानी की बचत होगी और लागत भी कम होगी। साथ ही, उर्वरक, शाकनाशी और कवकनाशी का संतुलित उपयोग करें
4. मौसम पर नजर रखें
सिंचाई से पहले मौसम का पूर्वानुमान देखें। यदि बारिश की संभावना हो, तो सिंचाई टालें ताकि जलभराव से फसल को नुकसान न हो।
5. फसल के पीलापन पर ध्यान दें
अगर फसल में पीलापन नजर आए, तो नाइट्रोजन (यूरिया) का अधिक उपयोग न करें। बादल या कोहरे के मौसम में भी नाइट्रोजन का प्रयोग सीमित करें।
6. पीले रतुआ की निगरानी करें
फसल पर पीले रतुआ रोग का निरीक्षण करें। यदि संक्रमण दिखाई दे, तो तुरंत नजदीकी कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें।
7. फसल अवशेषों का प्रबंधन
फसल अवशेषों को जलाने की बजाय मिट्टी में मिला दें या खेत में ही रहने दें। अवशेषों के साथ हैप्पी सीडर या स्मार्ट सीडर का उपयोग करें।
8. सही समय पर उर्वरक का प्रयोग
संरक्षण खेती के तहत, यूरिया का टॉप ड्रेसिंग सिंचाई से पहले करें ताकि फसल को पोषण का अधिकतम लाभ मिल सके।
इस प्रकार समय पर और सही तरीके से किए गए ये उपाय किसानों को गेहूं की फसल से बंपर उपज दिला सकते हैं और उत्पादन की गुणवत्ता में भी सुधार कर सकते हैं।