गन्ना किसानों की परेशानियां बढ़ीं , देरी से भुगतान के चलते मिलों और सरकार से राहत की मांग

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गन्ना मिलों में पेराई शुरू लेकिन भुगतान में देरी

गन्ना किसानों के लिए अभी का समय काफी कठिन साबित हो रहा है, क्योंकि उन्हें समय पर भुगतान नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी है। पिछले सीजन के भुगतान के बकाए के बावजूद , गन्ना किसानों को इस बार फिर से भुगतान में देरी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी चिंता बढ़ गई है। पिछले सीजन के बकाए के अलावा, वर्तमान सीजन में भी भुगतान में एक महीने से ज्यादा का विलंब हो चुका है। अंबाला के किसान इस स्थिति से जूझ रहे हैं और समय पर भुगतान की अपील कर रहे हैं।

किसानों की बढ़ती परेशानी

15 नवंबर से चीनी मिलों में पेराई का काम शुरू हो चुका है, लेकिन किसानों का कहना है कि पिछला बकाया अभी तक नहीं चुकता हुआ है, और अब नए सीजन के भुगतान में भी देरी हो रही है। अंबाला के गन्ना किसानों ने नारायणगढ़ शुगर मिल के अधिकारियों से शिकायत की है कि जबकि पिछले साल के बकाए का भुगतान कुछ हद तक किया गया है, लेकिन चालू सीजन के लिए हालात पहले जैसे ही हैं। किसानों का कहना है कि यदि इस प्रकार की देरी जारी रही तो आने वाले महीनों में लाखों रुपये का बकाया फिर से अटक सकता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी।

पिछला बकाया और चालू सीजन का भुगतान

चालू सीजन में अब तक 14 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई हो चुकी है, जिसका मूल्य लगभग 54 करोड़ रुपये है, लेकिन किसानों को अब तक केवल 1 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया गया है। चीनी मिलें यह दावा करती हैं कि उन्होंने पिछले सीजन का बकाया चुका दिया है और अब नए सीजन का भुगतान क़िस्तों में किया जा रहा है। हालांकि, किसान इससे संतुष्ट नहीं हैं और समय पर भुगतान की उम्मीद लगाए हुए हैं।
किसान यूनियन के नेता राजीव शर्मा ने कहा कि भुगतान में यह देरी किसी भी किसान के लिए बड़ी समस्या बन सकती है, क्योंकि वे अपने परिवार का पालन-पोषण करने और खेत मजदूरों को भुगतान करने में असमर्थ हो सकते हैं। शर्मा ने सरकार से इस समस्या के स्थायी समाधान की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने।

गन्ना मिलों की ओर से राहत

नारायणगढ़ शुगर मिल ने पिछले सीजन के बकाए का भुगतान कर किसानों को थोड़ी राहत दी है। हालांकि, किसानों का कहना है कि यह राहत पर्याप्त नहीं है और अभी भी बकाया भुगतान का एक बड़ा हिस्सा शेष है। मिलों का कहना है कि पिछले बकाए को चुकता करने के बाद ही नए सीजन का भुगतान किया जा सकता है, लेकिन किसानों का मानना है कि मिलों की यह प्रक्रिया बहुत धीमी है, और सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।

किसानों को राहत देने के लिए उठाए जा सकते हैं ये कदम

  • किसानों ने सरकार और चीनी मिलों से अपील की है कि वे जल्दी से जल्दी भुगतान सुनिश्चित करें ताकि किसानों की मुश्किलें और न बढ़ें। उनका कहना है कि किसी भी प्रकार की देरी से उन्हें न केवल आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि खेती के लिए जरूरी संसाधनों की भी कमी हो सकती है। सरकार और मिल अधिकारियों से यह उम्मीद जताई जा रही है कि वे किसानों की समस्याओं को शीघ्र सुलझाने के लिए कोई स्थायी उपाय अपनाएंगे।
  • यदि चीनी मिलों से भुगतान में यह देरी इसी तरह जारी रही, तो किसानों को आगामी सत्र के खत्म होने से पहले भारी बकाया का सामना करना पड़ सकता है। किसान संगठन और सरकार को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर किसानों के बकाए का भुगतान समय पर नहीं किया गया, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है, जिससे पूरे कृषि क्षेत्र पर असर पड़ेगा।

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