धान उपार्जन की सुरक्षा : मध्यप्रदेश में बेमौसम बारिश से धान उपार्जन की सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था

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मध्यप्रदेश में बेमौसम बारिश से धान उपार्जन की सुरक्षा

मध्यप्रदेश में इस साल धान उपार्जन के दौरान बेमौसम बारिश ने किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं, लेकिन राज्य सरकार ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि अब तक प्रदेश में 24.84 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया जा चुका है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 60% अधिक है। सरकार ने धान की सुरक्षा और भंडारण के लिए खास कदम उठाए हैं।
मंत्री श्री राजपूत ने कहा कि इस साल धान उपार्जन में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है और गोदाम स्तरीय केंद्रों पर धान का भंडारण होने से परिवहन लागत में कमी आई है। यह मॉडल भविष्य में भंडारण प्रक्रिया को और अधिक कुशल और सुरक्षित बनाने के लिए एक आदर्श बन सकता है।राज्य सरकार के इन प्रयासों से किसानों को राहत मिली है और वे बेमौसम बारिश के बावजूद अपनी उपज को सुरक्षित तरीके से बाजार में बेचने में सक्षम होंगे।

धान भंडारण के लिए विशेष व्यवस्था

प्रदेश में 1394 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें से 749 केंद्र गोदाम स्तरीय हैं। इन केंद्रों पर उपार्जित धान को सुरक्षित तरीके से सीधे भंडारित किया गया, जिससे परिवहन की आवश्यकता नहीं पड़ी। 3.97 लाख मीट्रिक टन धान मिलिंग के लिए मिलर्स को भेजा गया, जबकि 14.40 लाख मीट्रिक टन धान का गोदामों में भंडारण किया गया। बेमौसम बारिश के दौरान, जो धान बचा, उसे उपार्जन समितियों द्वारा तिरपाल और पॉलिथीन का इस्तेमाल कर सुरक्षित रखा गया।

निगरानी और समीक्षा

धान के भंडारण की प्रक्रिया की निगरानी के लिए प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरुण शमी की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रतिदिन समीक्षा की जा रही है। जिले स्तर पर अधिकारियों को लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं ताकि धान की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

किसानों को अतिरिक्त समय

बेमौसम बारिश के कारण धान उपार्जन प्रक्रिया में देरी हुई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों के हित में समीक्षा की और उन्हें सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। खराब मौसम के कारण 1 जनवरी तक धान उपार्जन स्थगित कर दिया गया है। जिन किसानों ने 30 और 31 दिसंबर तथा 1 जनवरी के लिए स्लॉट बुक किया था, उन्हें अब 5 कार्य दिवस का अतिरिक्त समय दिया गया है। किसानों को इस बदलाव की सूचना एसएमएस के माध्यम से भेजी जा रही है। 2 जनवरी से किसान अपने धान को उपार्जन केंद्रों पर बेचने के लिए वापस जा सकेंगे।

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