तिल की उन्नत किस्में और सब्सिडी
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार तिल की खेती पर सब्सिडी दे रही है। इसके तहत किसानों को 6 उन्नत किस्मों के बीज कम दामों पर दिए जा रहे हैं। राज्य सरकार बीजों पर 95 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी दे रही है, जिससे किसानों की लागत घटेगी और उत्पादन बढ़ेगा।
तिल की उन्नत किस्में
कृषि विभाग ने तिल की ये 6 किस्में किसानों के लिए जारी की हैं:
- आर.टी.-346
- आर.टी.-351
- गुजरात तिल-6
- आर.टी.-372
- एम.टी.-2013-3
- बी.यू.ए.टी. तिल-1
ये किस्में ज्यादा उत्पादन और बेहतर क्वालिटी देती हैं।
तिल की खेती कैसे करें?
तिल की खेती गर्म और शुष्क मौसम में होती है। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में तिल उगाना बेहतर रहता है। बुवाई जुलाई के आखिरी हफ्ते तक की जा सकती है। कतार से कतार की दूरी 30-45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी रखें। बीजों को बुवाई से पहले थिरम या कार्बेंडाजिम जैसे दवाओं से उपचारित करना चाहिए ताकि रोगों से बचाव हो सके।
रोग-कीट और खरपतवार नियंत्रण
बुवाई के बाद खरपतवार रोकने के लिए पेंडीमेथालिन का छिड़काव करें। फूल और दाना भरने की अवस्था में सिंचाई जरूरी है। रोगों से बचाने के लिए थायोफेनेट मिथाइल, मैनकोजेब और कीटों के लिए डाईमेथोयेट का छिड़काव करें।
उत्पादन और मुनाफा
वैज्ञानिक विधि से खेती करने पर तिल का उत्पादन 8 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकता है। इससे किसानों को एक हेक्टेयर में लगभग 1 लाख रुपये तक की आय हो सकती है।
तिल के पोषक गुण
तिल में प्रोटीन, वसा, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन आदि पोषक तत्व भरपूर होते हैं। तिल का तेल भी बहुत पौष्टिक होता है और आयुर्वेद में इसे रोजाना सेवन की सलाह दी जाती है।
उत्तर प्रदेश में तिल की खेती का महत्व
उत्तर प्रदेश में खरीफ सीजन में लगभग 5 लाख हेक्टेयर में तिल की खेती होती है। कम पानी और बंजर जमीन में भी तिल की खेती संभव है। सरकार ने तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 9846 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिलेगा।
किसानों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया
जो जमीन पहले खाली रहती थी, वहां अब ड्रिप सिंचाई से तिल की खेती की जा सकती है। इससे किसान अतिरिक्त आय कमा सकते हैं।