सोयाबीन को सूखे की मार से बचाए : किसान नुकसान से बचने के लिए अपनाए यह तरीका

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कैसे हो रहा हैं सोयाबीन की फसल में नुकसान??

खरीफ के सीजन में सोयाबीन मुख्य रूप से बोई जाने वाली फसल है। सोयाबीन तिलहन फसलों के अंतर्गत आने वाली फसल है। हमारे देश में सोयाबीन की खेती कई राज्यों में की जाती है। सोयाबीन को मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में बोया जाता है किंतु इस वर्ष मानसून नियमित रूप से न होने के कारण बारिश की कमी से कई स्थानों पर सोयाबीन की फसल सूखे की मार से ग्रसित है। इसके अतिरिक्त कई जगह पर सोयाबीन की फसल में कीट रोग लगने से नुकसान हो रहा है। इस दौर में सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर की ओर से किसानों के लिए आवश्यक सलाह दी गई है जिससे कि सोयाबीन की फसल में आने वाली समस्या को दूर करने के साथ ही किसान भाई को अच्छा उत्पादन मिल सकें। सोयाबीन की फसल से किसान भाई को नुकसान ना उठाना पड़े इसके लिए आइए, इससे संबंधित जानकारी प्राप्त करें।

सूखे की मार से बचाव के उपाय

इस वर्ष बारिश की अनियमितता होने के कारण कई स्थानों पर सोयाबीन की फसल सूखे से ग्रसित होने लगी है जिससे किसान भाई चिंतित है। इस बात का ध्यान रखते हुए सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर ने सूखे से सोयाबीन को बचाने और अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए कुछ सलाह दी है जो इस प्रकार है-

• सोयाबीन की फसल को सूखे से बचाने के लिए जिन किसान भाइयों के पास सिंचाई की पर्याप्त उपलब्धता है वे किसान बारिश से सोयाबीन की सिंचाई के बिना ही भूमि में दरारें पड़ने से पूर्व ही फसल की सिंचाई कर दें जिससे फसल ना सूखे। वहीं नमी संरक्षण के उपाय को अपनाएं जैसे कि प्रति हेक्टेयर 5 टन भूसे की पलवार लगाएं।

• सोयाबीन की फसल जिन किसान भाइयों द्वारा अगले वर्ष के लिए बीजों के उत्पादन के लिए बोई गई है वे किसान सोयाबीन की फसल में गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अतिरिक्त भिन्न पौधों को अपने खेत से उखाड़ कर नष्ट कर दें जिससे कि कीट रोग ना लग सके।

• सोयाबीन की फसल में जिन किसान भाइयों ने कम अवधि में पकने वाली किस्म की बुवाई की है वह किसान भाई फलियों को चूहों से बचाएं जिससे कि फलियों के अंदर के दाने को नुकसान ना हो। इसके लिए चूहों के बिल के पास प्रति हेक्टेयर 15 से 20 बेट फ्लोकोउमाफेन 0.005 % रसायन को रख दें।

फफूंद जनित रोगों के नियंत्रण के उपाय

सोयाबीन की फसल को बचाने के लिए फफूंद जनित रोगों पर नियंत्रण करना भी आवश्यक है। सोयाबीन की फसल को फफूंद जनित रोगों से बचने के लिए उपाय इस प्रकार है-

उपाय – सोयबीन के प्रति हेक्टेयर में लगभग सल्फर 65 प्रतिशत WG की 1250 ग्राम मात्रा या कार्बनडाजिम + इपिक्साकोनाजोल 50 ग्राम प्रति लीटर SE की 750 मिली मात्रा + टेबुकोनाजोल 25.9 E.C. की 625 मिली मात्रा या टबुकोनाझोल 10% + पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 ग्राम प्रति लीटर SC की 300 ग्राम मात्रा या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 133 ग्राम प्रति लीटर + मेन्कोजेब 63% WP की 1250 ग्राम मात्रा या पिकोक्सीस्ट्रोबिन 22.52% W/WSC की 400 मिली मात्रा या फ्लुक्सापयोक्साड 167 ग्राम प्रति लीटर में से कोई एक फफुंदनाशक का प्रयोग करें। इन फफूंद नाशकों के छिड़काव से फसल को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।

पीला मोजेक वायरस रोग के नियंत्रण के उपाय

सोयाबीन की फसल में यदि पीला मोजेक वायरस के लक्षण दिखाई दें तब प्रारंभिक लक्षण के साथ ही तुरंत रोग से ग्रसित पौधे को खेत से उखाड़ कर फेंक दें और खेत में विभिन्न जगहों पर पीला स्टिकी ट्रैप का उपयोग करें। पीला मोजैक वायरस पर नियंत्रण के उपाय इस प्रकार है-

उपाय – सोयाबीन मोजैक रोग के नियंत्रण के लिए रोग से ग्रसित पौधे को तुरंत खेत से उखाड़ कर नष्ट कर दें और इन रोग के फैलने का वाहक सफेद मक्खी है इस पर नियंत्रण करना आवश्यक है। इसके लिए कीटनाशक का छिड़काव करें जैसे- सोयाबीन की फसल में प्रति हेक्टेयर में लगभग बायफेंथ्रिन 25% WG की 250 ग्राम मात्रा या एसिटेमीप्रीड 25% का प्रयोग करें। इसके अतिरिक्त तना मक्खी के नियंत्रण के लिए मिश्रित कीटनाशक प्रति हेक्टेयर में लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन की 125 मिली मात्रा या बीटासायफलुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड की 350 मिली मात्रा का छिड़काव करें।

जेवेल बग कीट के नियंत्रण के उपाय

सोयाबीन में रस चूसक कीटों का भी प्रकोप होता है जो फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके नियंत्रण के लिए उपाय इस प्रकार है-

उपाय – सोयाबीन की फसल में प्रति हेक्टेयर में लगभग थायोमिथोकसम 12.60% + इमिडाक्लोप्रिड की 350 मिली मात्रा या इंडोक्साकार्ब 15.88 EC की 333 मिली मात्रा या आइसोसायक्लोसरम 9.2% W/WDC (10%W/V) DC की 600 मिली मात्रा + बीटासायफ्लुथ्रिन या लैंब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% ZC की 125 मिली मात्रा का प्रयोग करें। तना मक्खी के नियंत्रण के लिए भी इन कीटनाशकों का प्रयोग करें।

इल्लियों से नियंत्रण के उपाय

इल्लियों से नियंत्रण के लिए शुरुआती अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें। चक्र भृंग के नियंत्रण के लिए प्रारंभिक अवस्था में ही कीटनाशक का छिड़काव करें जैसे-

उपाय – सोयाबीन की फसल में प्रति हेक्टेयर में लगभग एसीटेमीप्रिड 25% या आइसोसायक्लोसरम 9.2% W/WDC (10%W/V) DC की 600 मिली मात्रा + क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 18.50% SC या थायक्लोप्रिड 21.7 SC की 750 मिली मात्रा या इमोमेकटीन बेंजोएट की 425 मिली मात्रा या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 SC की 250 से 300 मिली मात्रा या बायफेंथ्रिन 25% WG की 250 ग्राम मात्रा या प्रोफेनोफॉस 50 EC की 1 लीटर मात्रा का छिड़काव करें।

बिहार में हेयरी कैटरपिलर के प्रकोप से बचाव

बिहार में सोयाबीन में हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप अधिक होता है इसलिए फसल की शुरुआती अवस्था में झुंड में रहने वाली इन इल्लियों को पौधे सहित नष्ट कर देना चाहिए। इसके अतिरिक्त इसके नियंत्रण के लिए इन रसायनों का छिड़काव करें जैसे-

उपाय – सोयाबीन की फसल में प्रति हेक्टेयर में लगभग इंडोक्साकार्व 15.8 SC की 333 मिली मात्रा या लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 04.90 CS की 300 मिली मात्रा का प्रयोग करें।

तीनों प्रकार की इल्लियों से फसल को बचाने के उपाय

सोयाबीन की फसल में जिन जगहों पर तीनों प्रकार की पत्तियां खाने वाली इल्लियों का प्रकोप हो जाए वहां पर इन रसायनों का छिड़काव करें जैसे-

उपाय – सोयाबीन की फसल में प्रति हेक्टेयर में लगभग बायफेंथ्रिन 25% WG की 250 ग्राम मात्रा या ब्रोफ्लानिलाइड 300 SC की 12 से 62 ग्राम प्रति लीटर मात्रा + एसीटेमिप्रिड 25% का छिड़काव करें।

किसानों के लिए ध्यान देने वाली बातें

किसान भाई अपनी फसल में कीटनाशकों का प्रयोग करें किंतु कीटनाशक के प्रयोग से पूर्व मिट्टी की जांच कर लें और अपने क्षेत्र के अनुसार कीटनाशकों का प्रयोग करें। इसके लिए किसान भाई रसायनों के उपयोग से पूर्व अपने समीपस्थ कृषि विभाग के कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें, उसके पश्चात ही रसायनों का प्रयोग करें। कीटनाशक को हमेशा भारत सरकार की रजिस्टर्ड और प्रामाणिक दुकान से ही खरीदना चाहिए। सरकार द्वारा कुछ कीटनाशकों को प्रतिबंधित किया गया है, उनका प्रयोग ना करें और बाजार से इन रसायनों को खरीदने से पहले खरीद का पक्का बिल लें।

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