सोयाबीन की उन्नत 5 किस्में : सोयाबीन की ये 5 बेहतरीन किस्में दिलाएगी बेहतरीन पैदावार

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जानिए सोयाबीन की बेहतरीन किस्में और बुवाई का सही तरीका

मानसून की पहली बारिश पड़ने के साथ ही किसान खरीफ की फसलें बोना शुरू कर देते हैं। इस मौसम में सोयाबीन एक अहम तिलहनी फसल है, जिसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। अच्छी कमाई और ज्यादा पैदावार के लिए जरूरी है कि किसान बढ़िया किस्म के बीज चुनें और खेती के हर जरूरी कदम को सही तरीके से अपनाएं।

सोयाबीन एक ऐसी फसल है जिससे सिर्फ तेल ही नहीं बल्कि सोया दूध, पनीर, बड़ी, दही और नमकीन जैसे कई खाने की चीजें भी बनाई जाती हैं। इसकी बाजार में हमेशा अच्छी मांग रहती है, इसलिए किसान इसे ज्यादा उगाते हैं। लेकिन अच्छी पैदावार तभी मिलती है जब बीज से लेकर बुवाई, खाद डालने और सिंचाई तक सब कुछ समय पर और सही तरीके से किया जाए।

सोयाबीन की उन्नत 5 किस्में

(1) JS 2303 – ज्यादा फलियां, जल्दी कटाई

JS 2303 किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने तैयार किया है। यह किस्म जल्दी पकती है और अच्छी उपज देती है। इसकी खास बात यह है कि इसे काटना आसान होता है और यह रोगों से भी काफी हद तक बची रहती है।

पकने का समय: 93 दिन
उत्पादन: 70–80 फलियां प्रति पौधा, हर फली में 3 दाने
बीज की मात्रा: 30 किलो प्रति एकड़
खासियत: रोगों से बचाव, आसानी से कटाई

(2) KDS 726 (फुले संगम) – महाराष्ट्र के किसानों की पसंद

KDS 726, जिसे फुले संगम भी कहते हैं, महाराष्ट्र कृषि विश्वविद्यालय ने तैयार किया है। यह किस्म थोड़ी फैलने वाली होती है लेकिन पैदावार काफी अच्छी देती है। इसकी सबसे बड़ी ताकत है – मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता।

पकने का समय: 110–115 दिन
पौधे का प्रकार: फैलने वाला
उत्पादन: 15–18 क्विंटल प्रति एकड़
बीज की मात्रा: 25 किलो प्रति एकड़
खासियत: बीमारियों से अच्छी तरह लड़ती है

(3) JS 9560 – पुरानी लेकिन भरोसेमंद किस्म

JS 9560 काफी समय से किसानों की पहली पसंद रही है। यह किस्म जल्दी तैयार हो जाती है और अच्छी पैदावार देती है। इसकी खास बात है कि यह मध्यम स्तर की बीमारी प्रतिरोधक है और ज्यादातर किसानों को पसंद आती है।

पकने का समय: 95 दिन
बीज की मात्रा: 30 किलो प्रति एकड़
खासियत: भरोसेमंद, पुरानी किस्म

(4) RVSM 1135 – राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में हिट

RVSM 1135 एक जल्दी पकने वाली किस्म है, जो खासतौर पर मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में लोकप्रिय है। यह किस्म बीमारियों से लड़ने में सक्षम है और अच्छी पैदावार देती है।

पकने का समय: 105 दिन
बीज की मात्रा: 20–25 किलो प्रति एकड़
उत्पादन: 14–15 क्विंटल प्रति एकड़
खासियत: जल्दी पकती है, रोग प्रतिरोधक

(5) NRC 150 – पोषण से भरपूर, नई किस्म

NRC 150 किस्म को खासतौर पर पौष्टिक तत्वों और बेहतर उत्पादन के लिए तैयार किया गया है। यह किस्म सफेद फूलों वाली होती है और JS 9560 से भी बेहतर मानी जाती है।

पकने का समय: 100–110 दिन
खासियत: नई किस्म, सफेद फूल, बेहतर क्वालिटी और उत्पादन

अधिक उत्पादन पाने के लिए अपनाएं ये तरीके

अच्छी किस्मों के साथ-साथ खेती की तकनीक, खाद का सही उपयोग और समय पर सिंचाई भी उपज बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। सोयाबीन की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है, जब खेत में कम से कम 100 मिमी वर्षा हो चुकी हो। कम वर्षा में बुवाई करने से अंकुरण पर असर पड़ सकता है।

सोयाबीन की बुवाई कैसे करें

खेत में पानी जमा न हो, यह सुनिश्चित करें। बुवाई से पहले खेत की समतलीकरण और जल निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए। बीजों की बुवाई करते समय पौधे से पौधे की दूरी 5 से 10 सेंटीमीटर और कतार से कतार की दूरी करीब 30 सेंटीमीटर रखें।

खाद प्रबंधन : यूरिया का प्रयोग कब और कितना करें

बुवाई के समय: 12-15 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर
पौधे के बढ़ने पर: 25-30 किलोग्राम यूरिया
फूल आने पर: 40-50 किलोग्राम यूरिया

यूरिया का प्रयोग संतुलित मात्रा में करें और जरूरत के अनुसार ही डालें ताकि पौधे को उचित पोषण मिले और उत्पादन अधिक हो।

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