सोयाबीन की खेती : सोयाबीन की खेती में रखें इन 5 बातों का ध्यान , होगा भरपूर उत्पादन

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सोयाबीन की खेती में ध्यान रखें ये 5 ज़रूरी बातें

भारत में सोयाबीन की खेती धीरे-धीरे किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प बनती जा रही है। यह खरीफ सीजन की प्रमुख तिलहनी फसल है जो मुख्यतः मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। सोयाबीन फसल न केवल तेल उत्पादन के लिए उपयोगी है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता को भी बेहतर बनाए रखने में मदद करती है। यदि किसान बुवाई से पहले कुछ ज़रूरी तैयारियाँ और सावधानियाँ अपना लें, तो वे कम लागत में ज्यादा पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

यहाँ हम आपको 5 ऐसे ज़रूरी बिंदु बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपनी सोयाबीन की खेती में अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।

1. बुवाई के लिए सही बीज का चुनाव करें

अच्छी फसल के लिए सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात है – बीज का सही चुनाव। अगर आपके पास पिछली फसल से बचाया गया अच्छा बीज है, तो आप उसे दो से तीन साल तक उपयोग में ले सकते हैं। ऐसा बीज पहले से ही आपके खेत की मिट्टी और वातावरण के हिसाब से अनुकूल होता है। यदि आप नया बीज खरीदने की सोच रहे हैं, तो हमेशा प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें। बीज की ग्रेडिंग और सफाई बहुत जरूरी है। इसके लिए आप स्पाइरल सीड ग्रेडर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे बीज का आकार समान रहेगा और गुणवत्ता अच्छी बनी रहेगी।

2. बीज बोने से पहले उसका अंकुरण जरूर जांचें

बीज को बोने से पहले उसका अंकुरण परीक्षण करना बहुत जरूरी है। इससे आपको यह मालूम चलता है कि बीज खेत में ठीक से उगेगा या नहीं। यह परीक्षण आप घर पर भी कर सकते हैं। 100 बीज लेकर उन्हें गीले बोरे में डालें और उसे रोज हल्का गीला करते रहें। अगर 2-3 दिन में 70 या उससे ज्यादा बीज अंकुरित हो जाते हैं, तो समझ लीजिए बीज अच्छा है। अगर 60% से कम अंकुरण हो, तो बीज की मात्रा बढ़ा दें, और 50% से कम हो तो नया बीज लें। इससे आपको पहले ही पता चल जाएगा कि बीज खेती के लिए उपयुक्त है या नहीं।

3. बीज की सरकारी प्रयोगशाला से जांच भी करवा सकते हैं

अगर आप खुद से बीज का अंकुरण नहीं जांच सकते, तो राज्य सरकार की बीज परीक्षण प्रयोगशालाओं में भी आप यह सेवा ले सकते हैं। यह सेवा बिल्कुल मुफ्त होती है। इसके लिए आपको सिर्फ 1 किलो बीज एक साफ थैली में भरकर प्रयोगशाला में भेजना होता है। थैली पर आपका नाम, पता और संपर्क नंबर साफ-साफ लिखा होना चाहिए। आप यह बीज खुद भेज सकते हैं या अपने क्षेत्र के सहायक कृषि अधिकारी से संपर्क करके भी भिजवा सकते हैं। सरकारी प्रयोगशाला से मिली रिपोर्ट आपको बीज के बारे में पूरी जानकारी देती है, जिससे आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि वह बीज उपज बढ़ाने में सहायक होगा या नहीं।

4. अपने खेत का तैयार किया हुआ बीज सबसे बेहतर होता है

अगर आपने अपने खेत में पहले से ही अच्छी फसल ली है और उसका बीज सुरक्षित रखा है, तो वही बीज अगली बुवाई में इस्तेमाल करें। इससे आपका खर्च कम होगा और बीज की गुणवत्ता पर पूरा भरोसा भी रहेगा। यह बीज पहले से ही आपकी मिट्टी और जलवायु के अनुसार तैयार हुआ होता है, इसलिए इससे बेहतर उत्पादन मिलने की संभावना भी ज्यादा होती है। साथ ही, बाजार से नकली बीज लेने का खतरा भी नहीं रहेगा।

5. बाजार से बीज खरीदते समय सावधानी बेहद जरूरी है

अगर किसी कारण से आपको बाजार से बीज खरीदना ही पड़े, तो हमेशा प्रमाणित दुकान या संस्था से ही खरीदें। बीज खरीदते वक्त हमेशा रसीद लें जिसमें खरीद की तारीख, बैच नंबर और एक्सपायरी डेट दी गई हो। बीज की थैली को ध्यान से जांचें — अगर थैली की सिलाई दोबारा की गई हो या सील टूटी हुई हो, तो वह बीज नकली हो सकता है। ऐसे मामलों में आप तुरंत कृषि विभाग में शिकायत कर सकते हैं। नकली या खराब बीज आपकी मेहनत और फसल दोनों को बर्बाद कर सकता है।

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