शीतलहर से फसलों की सुरक्षा हेतु सुझाव
सर्दियों के मौसम में पाला और शीतलहर किसानों के लिए बड़ी चुनौती साबित होती है। पाले के कारण फसलों की पत्तियां, फूल, और फल झुलसकर खराब हो जाते हैं, जिससे उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ता है। राजस्थान के कृषि विशेषज्ञों ने इस समस्या से निपटने के लिए किसानों को विशेष सुझाव दिए हैं। अजमेर के कृषि अधिकारी श्री पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि संयुक्त निदेशक कृषि विभाग श्री शंकर लाल मीणा ने फसलों की सुरक्षा के लिए कई उपयोगी सुझाव दिए हैं।
फसलों को ढककर बचाव करें
सीमित क्षेत्र में उगाई जाने वाली फसलों और नगदी फसलों को पाले से बचाने के लिए टाट, पॉलीथीन, या भूसे से ढकें। नर्सरी और किचन गार्डन की सुरक्षा के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा से आने वाली ठंडी हवाओं को रोकने के लिए वायुरोधी टाट का उपयोग करें। शाम को क्यारियों को ढककर रात में सुरक्षित रखें और दिन में इसे हटा दें। इस उपाय से मिट्टी का तापमान स्थिर रहेगा और फसलों को नुकसान नहीं होगा।
सिंचाई से मिट्टी को नम रखें
पाले से बचने के लिए शाम के समय हल्की सिंचाई करें। इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और तापमान तेजी से गिरने से रोका जा सकता है। नमीयुक्त मिट्टी गर्मी को अधिक समय तक बनाए रखती है, जिससे फसलें शीतलहर और पाले के प्रभाव से बची रहती हैं।
धुएं का करें उपयोग
खेतों और मेडों के आसपास घास-फूस जलाकर धुआं करना एक प्रभावी पारंपरिक उपाय है। यह वातावरण को गर्म बनाए रखता है और पाले के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। यह विधि सर्दी के मौसम में लंबे समय से किसानों द्वारा अपनाई जाती रही है।
गंधक और थायो यूरिया का छिड़काव करें
फसल को पाले से बचाने के लिए 0.2% घुलनशील गंधक (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। यह पौधों को ठंड के दुष्प्रभाव से बचाने के साथ-साथ उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। गंधक का प्रभाव लगभग दो सप्ताह तक रहता है। अगर शीतलहर लंबे समय तक बनी रहती है, तो 15 दिनों के अंतराल पर फिर से छिड़काव करें। इसके अलावा, 500 पीपीएम (आधा ग्राम प्रति लीटर पानी) थायो यूरिया घोल का छिड़काव भी फायदेमंद होता है।
वायु अवरोधक पेड़ों का रोपण
पाले और ठंडी हवाओं से फसलों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए खेत की उत्तर-पश्चिमी मेडों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी आदि लगाए जा सकते हैं। ये पेड़ ठंडी हवाओं को रोककर फसलों की रक्षा करते हैं और तापमान में स्थिरता बनाए रखते हैं।
संवेदनशील फसलों की विशेष देखभाल करें
सरसों, गेहूं, चना, आलू, और मटर जैसी फसलें पाले के प्रति बेहद संवेदनशील होती हैं। गंधक के छिड़काव से न केवल इन फसलों को सुरक्षित रखा जा सकता है, बल्कि पौधों में लौह तत्व की जैविक सक्रियता भी बढ़ाई जा सकती है। यह विधि फसलों की गुणवत्ता को बनाए रखने और उन्हें समय पर पकाने में मदद करती है।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
अगर किसानों को किसी जानकारी या सहायता की आवश्यकता हो, तो वे नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, किसान कॉल सेंटर के निःशुल्क नंबर 18001801551 पर कॉल कर कृषि विशेषज्ञों से सलाह ले सकते हैं।