शरबती गेहूं की खेती के बारे में जानिए : शरबती गेहूं के भाव और इसकी खासियत

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भरपुर मुनाफे के लिए बुवाई करें : शरबती गेहूं की प्रीमियम किस्म (C – 306)

गेहूं एक रबी के मौसम की फसल हैं। खाद्य फसलों में अपना विशेष स्थान रखता है। हमारे देश में सामान्यत सभी क्षेत्रों में गेहूं के सामान्य किस्म बोई जाती हैं। गेहूं का लगभग 97% क्षेत्र भारत का सिंचित क्षेत्र हैं। हमारे देश में में गेहूं की खेती से संबंधित राज्य मध्यप्रदेश , उत्तर प्रदेश , पंजाब और हरियाणा हैं। हम गेहूं की सबसे प्रीमियम किस्म की बात करेंगे। गेहूं की इस प्रीमियम किस्म को शरबती (306) कहा जाता हैं ।शरबती गेहूं एक क्षेत्र में विकसित होने वाली किस्म है, इस किस्म को MP गेहूं भी कहा जाता हैं क्योंकि यह मध्य प्रदेश के अशोकनगर और कुछ अन्य जिलों में उगाए गए गेहूं से प्राप्त होता है । शरबती गेहूं की मुख्य विशेषता यह है कि इसकी चमक और दाने दोनों एक जैसे होते हैं । गेहूं के सामान्य किस्मों से इसकी कीमत ज्यादा होती है। गेहूं की सामान्य किस्म लोकमन और मालवा शक्ति और अन्य प्रकार की किस्म का भाव 2000 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल होता हैं यही शरबती गेहूं के भाव की बात करें तो इसका न्यूनतम भाव ही 2800 रुपये प्रति क्विटंल होता है। यह सामान्यतः 3500 से 4000 रूपये प्रति क्विंटल तक इसका भाव होता है। गेहूं की अन्य किस्म की तुलना मे शरबती गेहूं का उत्पादन देश में कम होता है। अधिकतम इस किस्म के गेहूं की बुआई पहले से बुकिंग पर की जाती है। यहीं कारण है कि किसान भाई को इसका भाव 4000 से लेकर 5000 तक मिल जाता है किंतु शरबती गेहूं की पैदावार की क्षमता अन्य किस्म के गेहूं से कम है। शरबती गेहूं का रंग सुनहरा होने के कारण शरबती गेहूं को द गोल्डन ग्रेन के नाम से भी जाना जाता है।

शरबती गेहूं की पहचान

शरबती गेहूं हमारे देश का सबसे प्रीमियम किस्म का गेहूं है । शरबती गेहूं को सबसे ज्यादा उत्पादित सीहोर क्षेत्र में किया जाता है क्योंकि सिहोर क्षेत्र में शरबती गेहूं के उत्पादन के लिए उचित मिट्टी काली मिट्टी और उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है।जो शरबती गेहूं के उत्पादन के लिए उचित होती है।शरबती गेहूं देश में उपलब्ध गेहूं की किस्मों में सबसे प्रीमियम किस्म है। शरबती गेहूं की पहचान इस प्रकार की जाती है रासायनिक पोटाश के गुण के कारण इसका रंग सुनहरा , चमकदार और दाना गोल होता है। इस गेहूं को हथेली पर लेने पर यह वजन में भारी लगता है और स्वाद में मीठा होने के कारण इसका नाम शरबती गेंहू हैं। शरबती गेहूं किस्म में अन्य गेहूं के किस्म की तुलना में ग्लूकोज और सुक्रोज शर्करा की मात्रा ज्यादा होती हैं इसलिए शरबती गेहूं स्वाद में मीठे होते है।

सीहोर के शरबती गेहूं की विशेषता

शरबती गेहूं की बुवाई मध्य प्रदेश के सीहोर के अलावा भोपाल , विदिशा , होशंगाबाद , नरसिंहपुर , हरदा , अशोकनगर और मालवा क्षेत्र में की जाती है किंतु सीहोर जिला में शरबती गेहूं 40390 हेक्टेयर क्षेत्र में शरबती गेहूं बोया जाता है। सिहोर जिला शरबती गेहूं की पैदावार में विशेष स्थान रखता है । सीहोर का शरबती गेहूं भारत के सात राज्यों में जाता हैं ये राज्य गुजरात , तमिलनाडु , हैदराबाद , चेन्नई , मुंबई , दिल्ली और हिमाचल प्रदेश हैं।

शरबती गेहूं में पाए जाने वाले गुण

  • रासायनिक पोटाश के गुण के कारण इसका रंग सुनहरा , चमकदार और दाना गोल होता है।
  • इस गेहूं को हथेली पर लेने पर यह वजन में भारी लगता है स्वाद में मीठा होने के कारण इसका नाम शरबती गेंहू हैं।
  • शरबती गेहूं किस्म में अन्य गेहूं के किस्म की तुलना में ग्लूकोज और सुक्रोज शर्करा की मात्रा ज्यादा होती हैं इसलिए शरबती गेहूं स्वाद में मीठे होते है और इससे बनी हुई रोटियां मुलायम और ताजा रहती है।
  • बाजार में बिकने वाला महंगा चक्की का आटा अधिकांश रूप से शरबती गेहूं का ही आटा होता है।
  • शरबती गेहूं की खेती अधिकांश रूप से असिंचित क्षेत्र में होती है इसलिए इसका दाना 99% शुष्क रहता हैं।
  • शरबती गेहूं पर रासायनिक दवाओं के इस्तेमाल से बुरा प्रभाव होता है तथा इसकी पैदावार भी कम होती है। इसी वजह से इसकी खेती प्राकृतिक तरीके से की जाती है ।
  • शरबती गेहूं की खेती में किसी भी प्रकार की रासायनिक यूरिया DAP का इस्तेमाल नहीं होता है।

शरबती गेहूं का बाजार भाव

गेहूं की प्राकृतिक किस्म को शरबती गेहूं कहते हैं।शरबती गेहूं की खेती में किसी भी प्रकार की रासायनिक यूरिया DAP का इस्तेमाल नहीं होता है। शरबती गेहूं रासायनिक दवाओं को सहन नहीं कर पाता है रासायनिक दवाओं का इस पर बुरा प्रभाव होता है। इसकी पैदावार भी कम होती है। इसी वजह से इसकी खेती प्राकृतिक तरीके से की जाती है । बाजार में मांग होने के कारण और भाव अधिक होने के कारण अधिकतम इस किस्म के गेहूं की बुआई पहले से बुकिंग पर की जाती है।गेहूं की सामान्य किस्म लोकमन और मालवा शक्ति और अन्य प्रकार की किस्म का भाव 2000 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल होता हैं यही शरबती गेहूं के भाव की बात करें तो इसका न्यूनतम भाव ही 2800 रुपये प्रति क्विटंल होता है। यह सामान्यतः 3500 से 4000 रूपये प्रति क्विंटल तक इसका भाव होता है। शरबती गेहूं की पैदावार क्षमता कम और बाजार में कम होने के कारण इसका मंडी भाव ज्यादा होता है। किसान भाई शरबती गेहूं की पहले से बुकिंग कर बाद में अच्छे कीमत पर बेच देते हैं इसी कारण शरबती गेहूं एक प्रीमियम किस्म का गेहूं है।

शरबती गेहूं एक उत्तम किस्म का गेहूं हैं…

शरबती गेहूं की बुवाई मध्य प्रदेश के सीहोर के अलावा भोपाल , विदिशा , होशंगाबाद , नरसिंहपुर , हरदा , अशोकनगर और मालवा क्षेत्र में की जाती है किंतु सीहोर जिला में शरबती गेहूं 40390 हेक्टेयर क्षेत्र में शरबती गेहूं बोया जाता है। सिहोर जिला शरबती गेहूं की पैदावार में विशेष स्थान रखता है।शरबती गेहूं किस्म में अन्य गेहूं के किस्म की तुलना में ग्लूकोज और सुक्रोज शर्करा की मात्रा ज्यादा होती हैं इसलिए शरबती गेहूं स्वाद में मीठे होते है। शरबती गेहूं की उत्पादन क्षमता अन्य गेहूं की किस्म की तुलना में कम होती है इसी कारण से किसान भाई कम जमीन पर शरबती गेहूं की खेती करते है। शरबती गेहूं की किस्म में C – 306 किस्म गेहूं की उन्नत प्रकार की किस्म हैं। यदि किसान भाई शरबती गेंहू की खेती उचित तरीके और अच्छी तकनीक द्वारा करें तो प्रति हैक्टेयर 55 से 60 क्विटंल और प्रति बीघा 8 से 12 क्विटंल की पैदावार प्राप्त की जा सकती हैं। इसकी खेती जैविक रूप से होने के कारण इसकी पैदावार कम होती हैं।

शरबती गेहूं की खेती कैसे करें?

शरबती गेहूं की खेती भी सामान्य गेहूं की खेती की तरह ही की जाती है किंतु शरबती गेहूं की खेती प्राकृतिक रूप से की जाती है । शरबती गेहूं की खेती सामान्य गेहूं की खेती के समान रासायनिक रूप से ना कर पूर्ण रुप से जैविक खेती की जाती है। शरबती गेहूं की खेती अधिकांश रूप से असिंचित क्षेत्रों में होती है। शरबती गेहूं की खेती में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है यह सिंचाई आवश्यकता के अनुसार तीन से चार बार की जाती है। शरबती गेहूं की खेती में गेहूं को बोने का कार्य नवंबर से प्रारंभ कर दिया जाता है। इस गेहूं की फसल की ऊंचाई 5 फीट तक होती है। क्योंकि रासायनिक खादों के उपयोग करने से जब फसल पकती है तब इसके गिरने का डर रहता है इसीलिए इसकी खेती प्राकृतिक रूप से होती है अतः इसकी खेती में रासायनिक खाद का उपयोग ना कर जैविक तरीके से ही खेती करें।

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