जानिए , सरसों की फसल की गुणवत्ता से संबंधित जानकारी…
रबी के सीजन में सरसों की खेती किसान भाइयों द्वारा मुख्य रूप से की जाती है।रबी सीजन की फसलों में गेहूं के पश्चात् सरसों का मुख्य स्थान है।तिलहनी फसलों के अंतर्गत सरसों का एक प्रमुख स्थान है।हमारे देश में कई राज्यों में सरसों की खेती मुख्य रूप से की जाती है जैसे – मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश , राजस्थान , गुजरात , पंजाब , हरियाणा , असम और पश्चिम बंगाल आदि। सरसों एक नकदी फसल है। इस वर्ष भी अधिकांश किसानों ने सरसों की बुवाई की हैं।सरसों की गुणवत्ता उसके दानों में तेल की मात्रा पर निर्भर करती है क्योंकि सरसों की खेती प्रमुख रूप से इससे मिलने वाले तेल के लिए की जाती है।यदि सरसों की गुणवत्ता खराब हैं या कुछ कारणों से गुणवत्ता में कमी हैं तब सरसों के बाजार भाव कम प्राप्त होते हैं।इस स्थिति में सरसों की खेती करने वाले किसान भाइयों को सरसों की गुणवत्ता का मुख्य रूप से ध्यान रखना चाहिए।सरसों के तेल की बाजार मांग अधिक होने के कारण इसका बाजार भाव भी अच्छा मिल जाता हैं जिससे किसान सरसों की खेती करने में रुचि रखते हैं।सरसों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कुछ आसान तरीके हैं जिनका प्रयोग कर किसान भाई अपने सरसों की फसल की गुणवत्ता में सुधार कर तेल की मात्रा में वृद्धि कर सकते हैं।इससे संबंधित जानकारी किसान भाइयों को होना आवश्यक हैं।आइए , सरसों में तेल की मात्रा बढ़ाने से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।
सरसों में तेल की मात्रा बढ़ाने वाले पोषक तत्व कौन-से है??
सरसों की फसल में तेल की मात्रा में वृद्धि करने के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग होना चाहिए।सरसों में गंधक(सल्फर) के प्रयोग से दानों में तेल की मात्रा में वृद्धि की जा सकती है। सरसों की खेती करने वाले किसान भाई खेत तैयार करते समय गंधक युक्त उर्वरक में तेल की मात्रा बढ़ाने वाले पोषक तत्व जैसे – सिंगल सुपर फास्फेट , अमोनियम सल्फेट और जिप्सम जैसे पोषक तत्वों से युक्त उर्वरक का प्रयोग करें।सरसों की खेती करने वाले किसान भाई सरसों में गंधक युक्त उर्वरक का प्रयोग करें ताकि दानों में तेल की मात्रा में वृद्धि हो सके और साथ ही उपज में भी वृद्धि हो सकें।
सरसों में गंधक (सल्फर) का प्रयोग किस प्रकार करें??
- सरसों में गंधक (सल्फर) का प्रयोग करने के लिए किसान भाई प्रति एकड़ खेत में गंधक(सल्फर) की 8 से 10 किग्रा मात्रा मिला दें।इससे सरसों के दानों में तेल की मात्रा में वृद्धि होती हैं।
- इसके अतिरिक्त बुवाई से पूर्व प्रति एकड़ खेत में जिंक सल्फेट की 10 किग्रा मात्रा और बोरेक्स की 4 किग्रा मात्रा को मिला दें।इससे भी दानों में तेल की मात्रा में वृद्धि होने के साथ अधिक उपज प्राप्त होती हैं।
सरसों की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए करें यह कार्य
- सरसों फसल में मरगोजा (ओरोबैकी) खरपतवार हो जाता हैं।खरपतवार होने से फसल को नुकसान होता हैं।फसल को नुकसान होने से बचाव के लिए खरपतवार पर नियंत्रण करना आवश्यक हैं।इसके लिए किसान भाई रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करें।
- रासायनिक उर्वरकों के रूप में प्रति एकड़ में राउंडअप या ग्लाईसेल (ग्लाईफोसेट 41% SL) की 25 मिली मात्रा का प्रयोग बुवाई के 25 से 30 दिन पश्चात् करें।
- इसके अतिरिक्त प्रति एकड़ में 150 लीटर पानी में राउंडअप या ग्लाईसेल (ग्लाईफोसेट 41% SL) की 50 मिली मात्रा का प्रयोग बुवाई के 50 दिन पश्चात् करें।
- किसान भाई उर्वरकों के छिड़काव के लिए फैन नोजल का प्रयोग कर सकते हैं।छिड़काव करते समय खेत में नमी होना आवश्यक हैं।यदि मिट्टी में नमी न हो तब उर्वरकों के छिड़काव से पूर्व हल्की सिंचाई करें।इस रासायनिक उर्वरक का प्रयोग फसल पर फिर से अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे फसल की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
सरसों की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
सरसों की अच्छी उपज और तेल की अधिक मात्रा प्राप्त करने के लिए किसान भाई इन बातों का विशेष ध्यान रखें।सरसों की खेती में ध्यान रखने योग्य बातें इस प्रकार हैं-
- सरसों की उन्नत खेती में सरसों की अधिक तेल की मात्रा देने वाली किस्म की बुवाई करना चाहिए।
- सरसों की उन्नत खेती में अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए प्रथम सिंचाई फुल निकलते समय करना चाहिए।यदि पानी की कमी हो तब भी फूल आते समय एक सिंचाई अवश्य करना चाहिए।
- सरसों की उन्नत खेती में अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए द्वितीय सिंचाई फलियां लगते समय करना चाहिए।
- सरसों की उन्नत खेती में दो बार निराई-गुड़ाई अवश्य करना चाहिए।प्रथम निराई-गुड़ाई बुवाई के 21 दिन पश्चात् और द्वितीय निराई-गुड़ाई बुवाई के 35 दिन पश्चात् करना चाहिए।
इसके अतिरिक्त भी किसान भाई सरसों की खेती में अपने क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु के अनुसार स्थानीय कृषि विशेषज्ञों की सलाह से निश्चित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें।