सरसों की फसल पर कीटों के प्रकोप से किसान चिंतित
रबी सीजन में सरसों की फसल देशभर में किसानों की प्रमुख तिलहनी फसलों में से एक मानी जाती है, लेकिन इस बार किसानों के लिए सरसों की फसल चिंता का विषय बन गई है। कड़ाके की ठंड और कोहरे के कारण सरसों की फसल पर कीटों का प्रकोप तेज़ी से बढ़ रहा है, जिससे फसल की पैदावार पर गंभीर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। इन कीटों के कारण उत्पादन में भारी कमी आ सकती है, जिससे किसानों की चिंता और बढ़ गई है।
लाही कीट का बढ़ता खतरा
सरसों की फसल में इस समय प्रमुख रूप से लाही कीट का प्रकोप बढ़ रहा है। ये छोटे भूरे या काले रंग के कीट होते हैं, जो पौधों का रस चूसकर उनके विकास को रोक देते हैं। लाही कीटों के असर से पत्तियां मुरझा जाती हैं और सिकुड़ने लगती हैं, जिससे फलियों में दाने नहीं बनते और उत्पादन में भारी कमी आती है।
बचाव के उपाय
लाही कीट के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए कुछ प्रभावी उपाय सुझाए गए हैं:
पीली स्टिकी ट्रैप का उपयोग: खेत में 5-6 पीली स्टिकी ट्रैप प्रति एकड़ लगाना फायदेमंद साबित हो सकता है। ये ट्रैप कीटों को आकर्षित कर उन्हें फंसा लेते हैं, जिससे कीटों की संख्या नियंत्रित रहती है।
खरपतवार की सफाई: समय-समय पर खेत से खरपतवार को हटाना भी जरूरी है, क्योंकि यह लाही कीट को शरण देने का काम करता है। इससे खेत में कीटों का प्रकोप कम होता है।
दवा का छिड़काव: यदि सरसों की फसल 40-45 दिन की हो चुकी है और लाही कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा हो, तो क्लोरोपायरीफॉस 20% EC की 200 मिलीलीटर दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करना चाहिए। यह दवा लाही कीटों सहित अन्य कीटों को प्रभावी ढंग से नष्ट करती है।
इन उपायों को अपनाकर किसान सरसों की फसल को कीटों के प्रकोप से बचा सकते हैं और उपज में होने वाली कमी को रोका जा सकता है।