जानिए, रबी फसलों को शीतलहर और पाले से बचाव के सरल उपाय
इन दिनों देश के कई हिस्सों में कोहरा और शीतलहर का असर देखने को मिल रहा है। मौसम विभाग ने सर्दी में और बढ़ोतरी की संभावना जताई है। इस स्थिति में पाला पड़ने का खतरा भी बढ़ गया है, जिससे रबी फसलों को करीब 80% तक नुकसान हो सकता है। इस बार गेहूं, सरसों, चना, आलू, मटर जैसी फसलों पर शीतलहर और पाले का बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। यदि समय रहते फसलों को पाले से बचाने के उपाय कर लिए जाएं, तो इस नुकसान को कम किया जा सकता है।
पाला फसलों के लिए सबसे घातक होता है, क्योंकि यह फसलों में दाना बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है और फसल की वृद्धि रुक जाती है। दिसंबर और जनवरी के दौरान पाला पड़ने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में फसलों को शीतलहर और पाले से बचाने के उपाय जानना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं इनसे बचाव के कुछ आसान और प्रभावी तरीके।
क्या है पाला?
जब शीतलहर के दौरान वातावरण में मौजूद जलवाष्प पेड़-पौधों की पत्तियों या ठोस सतह के संपर्क में आती है और उस सतह का तापमान शून्य डिग्री या इससे कम होता है, तो यह वाष्प बर्फ की परत में बदल जाती है। इसे ही पाला कहते हैं।
फसलों को पाले से होने वाले नुकसान
पाले के कारण पौधों की कोशिकाओं और ऊतकों में मौजूद पानी बर्फ में बदल जाता है, जिससे उनका आयतन बढ़ जाता है। इस वजह से पौधों के ऊतक, कोशिकाएं और संवहनी नलिकाएं फट जाती हैं, जिससे पौधा मर सकता है। कई बार पाले की वजह से पूरी फसल बर्बाद हो जाती है।
किन फसलों को पाले से हो सकता है ज्यादा नुकसान?
ठंड के मौसम में पाले और शीतलहर का प्रभाव सबसे अधिक टमाटर, आलू, मिर्च, बैंगन जैसी सब्जियों पर पड़ता है। वहीं फलों में पपीता और केले के पौधे अधिक प्रभावित होते हैं। इसके अलावा मटर, चना, अलसी, जीरा, धनिया, सौंफ और अफीम की फसलों में भी पाले के कारण 80-90% तक नुकसान हो सकता है।
पाले से फसलों को बचाने के उपाय
पाले से फसलों के बचाव के लिए किसान भाई कई सरल उपाय अपनाकर नुकसान से बचाव कर सकते हैं। फसलों को पाले से बचाव के लिए कुछ सरल उपाय इस प्रकार हैं
1. खेत का तापमान बढ़ाएं
जिस रात पाला पड़ने की संभावना हो, उस रात खेत की उत्तर-पश्चिम दिशा में कूड़ा-कचरा या सूखी घास-फूस जलाएं। इससे धुआं उत्पन्न होगा और खेत के वातावरण में गर्मी बनी रहेगी। इस तरीके से खेत का तापमान 4 डिग्री तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे पाले का असर कम होगा।
2. फसलों को ढंककर बचाएं
शीतलहर या पाले से बचाने के लिए फसलों को टाट, पॉलीथीन, या भूसे से ढंक दें। इससे मिट्टी का तापमान स्थिर रहेगा और फसलों पर पाले का प्रभाव कम होगा। नर्सरी या किचन गार्डन में फसलों के आसपास उत्तर-पश्चिम दिशा में टाटियां बांधें और दिन में इन्हें हटा दें।
3. हल्की सिंचाई करें
पाला पड़ने की स्थिति में खेत की हल्की सिंचाई करें। इससे पौधों में जमी हुई बर्फ पिघल जाएगी और पौधे मरने से बच जाएंगे। नमी युक्त मिट्टी में गर्मी अधिक समय तक बनी रहती है, जिससे शीतलहर और पाले का असर कम होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, सिंचाई करने से खेत का तापमान 0.5 से 2 डिग्री तक बढ़ सकता है।
4. गंधक का छिड़काव करें
पाले से बचाव के लिए फसलों पर गंधक के तेजाब (सल्फर) का 0.1% घोल छिड़कें। इसके लिए 1 लीटर गंधक को 1000 लीटर पानी में घोलकर 1 हेक्टेयर खेत में छिड़काव करें। अगर पाले की संभावना बनी रहे, तो 15 दिन के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें।
गंधक के छिड़काव के फायदे
- गंधक के छिड़काव से फसल पाले से बचती है।
- पौधों में लोह तत्व की सक्रियता बढ़ती है, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- फसल जल्दी पककर तैयार होती है।
उपरोक्त उपाय अपनाकर किसान अपनी फसल को शीतलहर और पाले से बचाकर संभावित नुकसान से बच सकते हैं। ध्यान रहे, रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल कृषि विशेषज्ञ की सलाह से ही करें।