जानिए, इस माह किस फसल में क्या करें कार्य??
किसान भाई कई प्रकार की फसलों की खेती करते हैं, जिसमें सब्जियों की खेती भी सम्मिलित है। सब्जियों की खेती की खासियत यह है कि सब्जी की फसल कम समय में तैयार हो जाती है जिससे किसान वर्ष भर कमाई कर सकता है। जिन किसान भाइयों ने सब्जियों की बुवाई की है, वे अच्छी उत्पादन प्राप्त करने के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की सलाह पर ध्यान दे सकते हैं। दिसंबर का महीना रबी सीजन का महत्वपूर्ण समय है। ठंड की वजह से मिट्टी की नमी बनी रहती है, जो फसलों और सब्जियों के लिए अनुकूल है। इस समय किसानों को विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकें।
दिसंबर के महीने में विभिन्न फसलों में रखे इन बातों को ध्यान
दिसंबर के महीने में ठंड का असर बढ़ जाता है, जो कई फसलों और सब्जियों के लिए अनुकूल समय होता है। इस समय इन फसलों की देखभाल और बुवाई के लिए निम्नलिखित कार्य किए जा सकते हैं:
1. सरसों की फसल
- सरसों की बुवाई का यह सही समय है। खेत की तैयारी कर अच्छे किस्म के बीज जैसे काली या सफेद सरसों का उपयोग करें।
- सरसों की फसल में कम सिंचाई की आवश्यकता होती हैं इसलिए खेत में जल निकासी की उत्तम व्यवस्था करें।
- कीट और रोगों से बचाव के लिए फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव करें।
2. गाजर और मूली
- गाजर और मूली की बुवाई के लिए यह उपयुक्त समय है। उन्नत किस्में जैसे पूसा रुधिरा (गाजर) या पूसा चेतकी (मूली) का उपयोग करें।
- इन फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए जल निकासी और नियमित सिंचाई की व्यवस्था करें।
- फसल को कीटों और फफूंद से बचाने के लिए जैविक या रसायनिक उपचार करें।
3. पालक
- पालक ठंड में जल्दी तैयार होने वाली फसल है। प्रति हफ्ते इसकी पत्तियां काटकर अच्छा उत्पादन और लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
- फसल में समय-समय पर नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का उपयोग करें ताकि पत्तियां हरी और मुलायम रहें।
4. सामान्य कार्य
- खेतों में ठहरे पानी की निकासी सुनिश्चित करें, क्योंकि यह फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है।
- फसलों को पाले से बचाने के लिए खेत के किनारे धुआं करने या मल्चिंग का उपयोग करें।
- रोगों और कीटों की निगरानी करें और जरूरत पड़ने पर नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें।
फसलों को कीट और रोग से बचाएं
इस मौसम में फसलों को सड़न रोग और कीटों से बचाने के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था करें। अधिक पानी खेत से निकालने के लिए नालियां बनाएं, जिससे पौधों की जड़ें खराब न हों। सब्जियों में कीट और रोगों से बचाव के लिए जैविक और रासायनिक कीटनाशकों का संतुलित उपयोग करें। नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से अपनी फसल और क्षेत्र के लिए उपयुक्त दवाओं की सलाह लें। गाजर, मूली, पालक, शलजम, और फूलगोभी जैसी फसलों में फफूंद और अन्य रोगों को रोकने के लिए रोगनाशकों का छिड़काव करें। गाजर और मूली की पाउडरी मिल्ड्यू और डाउनी मिल्ड्यू से बचाव के लिए सल्फर आधारित फफूंदनाशक (जैसे वेटेबल सल्फर) का छिड़काव करें। फूलगोभी और पालक को ब्लैक रॉट और फ्लेश फ्लाई से बचाव के लिए क्लोरोथालोनिल जैसे फफूंदनाशक का छिड़काव करें। फूलगोभी में डायमंड बैक मॉथ (कीट) से बचाव के लिए बायोलॉजिकल कंट्रोल एजेंट (जैसे ट्राइकोडर्मा) का उपयोग करें। इसी प्रकार, मक्का, मूंग, और अरहर जैसी फसलों में पत्तियों की पीलापन या कीटों के प्रकोप से बचाव के लिए रासायनिक या जैविक उपाय अपनाएं।