किसान भाई नकली DAP से रहे सतर्क : किसानों के लिए नकली DAP पर कृषि विभाग की अहम सलाह

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किसान DAP खरीदते समय नुकसान से बचाव के लिए रखें इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान

खरीफ की फसल के पश्चात् अब रबी फसल की खेती के दौरान किसानों को यूरिया, डीएपी और अन्य उर्वरकों की जरूरत होती है। DAP की बढ़ती मांग के कारण इसकी खपत भी बढ़ गई है, और कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा नकली डीएपी बेचने की घटनाएं सामने आई हैं। इन स्थितियों को देखते हुए, कृषि विभाग ने किसानों के हित में एक एडवाइजरी जारी की है, ताकि वे नकली डीएपी से बच सकें और अपनी फसलों को नुकसान से बचा सकें क्योंकि नकली खाद और उर्वरक का प्रयोग करने से फसलों में नुकसान होने की संभावना होती है। प्रशासन की ओर से किसानों को DAP आदि उर्वरक खरीदते समय कुछ मुख्य सलाह दी गई हैं। किसान भाइयों को यह जानना बहुत आवश्यक हैं ताकि किसान भाई फसल में होने वाले संभावित नुकसान से बच सकें।

किसान डीएपी खरीदते समय रखें इन बातों का ध्यान, नहीं होगा नुकसान

खरीफ की फसल तैयार होने को आ रही है और रबी फसल की बुवाई का सीजन जल्द ही शुरू होने वाला है। ऐसे में किसानों को यूरिया व डीएपी आदि उर्वरक की जरूरत होगी। किसानों के बीच डीएपी की बढ़ती मांग के कारण इसकी खपत भी काफी बढ़ गई है, जिसका फायदा उठाने के लिए कुछ लोगों द्वारा नकली डीएपी का बाजार में विक्रय करने की खबर प्रशासन को मिली है। इसे देखते हुए कृषि विभाग की ओर से किसानों के हित में डीएपी के संबंध में एडवाइजरी जारी की है ताकि किसान नकली डीएपी खरीदने से बचे, क्योंकि नकली खाद और उर्वरक का प्रयोग करने से फसलों में नुकसान होने की संभावना होती है।

डीएपी क्या है और क्यों है यह जरूरी?

डीएपी (DAP) का पूरा नाम डाई-अमोनियम फॉस्फेट (Di-Ammonium Phosphate) है। यह एक महत्वपूर्ण रासायनिक उर्वरक है जिसका उपयोग पौधों को नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की पूर्ति के लिए किया जाता है। यह क्षारीय प्रकृति का होता है और मिट्टी में जल्दी घुलकर पौधों को फॉस्फेट और अमोनिया उपलब्ध कराता है। डीएपी में 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से फसल की बुवाई के समय किया जाता है।

कौन-सी फसलों के लिए उपयुक्त है डीएपी?

डीएपी का उपयोग फसलों की बुवाई के समय किया जाता है और इसे भारी मिट्टी में मिलाने पर अच्छे परिणाम मिलते हैं। यह फूल आने से पहले की अवस्था में उपयोगी होता है। फूल वाली सब्जियों और भारी मिट्टी वाली फसलों के लिए डीएपी का उपयोग फायदेमंद है। हालांकि, पोटेशियम की कमी के कारण इसका उपयोग दानेदार फसलों के लिए कम प्रभावी हो सकता है।

DAP-यूरिया खरीदते समय किसानों को बरतनी चाहिए ये सावधानियां

कृषि विभाग ने अपनी एडवाइजरी में किसानों को सलाह दी है कि वे DAP और अन्य उर्वरकों की खरीद केवल प्रमाणित सहकारी समितियों या पंजीकृत दुकानों से करें। बिना लाइसेंस उर्वरकों को बेचना उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत दंडनीय अपराध है। नकली उर्वरकों की पहचान के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं:

  • उर्वरक खरीदते समय रसीद अवश्य लें।
  • पंजीकृत दुकान से ही खरीदारी करें और पीओएस मशीन से रसीद प्राप्त करें।
  • गांव में अनधिकृत विक्रेताओं से खाद न खरीदें।
  • किसी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत कृषि विभाग के संबंधित अधिकारियों को दें।

नकली DAP की पहचान कैसे करें?

  • डीएपी का रंग भूरा, काला या बदामी होता है और यह सख्त होता है। इसे नाखून से आसानी से तोड़ा नहीं जा सकता।
  • डीएपी के दानों को हाथ में लेकर उसमें चूना मिलाकर मसलें। अगर तीव्र गंध आए, तो खाद असली है।
  • धीमी आंच पर गर्म करने पर असली डीएपी के दाने फूल जाते हैं।

DAP खरीदते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • सत्यापित विक्रेता से खरीदें: DAP सहित किसी भी उर्वरक की खरीद हमेशा पंजीकृत दुकानों या सहकारी समितियों से ही करें।
  • रसीद अवश्य लें: POS मशीन से उर्वरक खरीदें और रसीद प्राप्त करें।
  • संदिग्ध विक्रेताओं से सावधान रहें: अनधिकृत विक्रेताओं से खरीदारी न करें और ऐसी गतिविधि की सूचना तुरंत कृषि विभाग को दें।
  • बैच नंबर का ध्यान रखें: उर्वरक के बैच नंबर की जानकारी रखें ताकि किसी समस्या की स्थिति में शिकायत दर्ज करवाई जा सके।

डीएपी की कमी होने पर विकल्प

यदि डीएपी उपलब्ध नहीं है, तो सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) और यूरिया का मिश्रण एक प्रभावी और सस्ता विकल्प है। एक बैग डीएपी के बदले तीन बैग SSP और आधा बैग यूरिया का इस्तेमाल करें। यह सरसों, चना और तारामीरा जैसी फसलों के लिए न केवल किफायती है, बल्कि मिट्टी को सल्फर भी प्रदान करता है।

कृषि विभाग की सलाह

कृषि विभाग ने स्पष्ट किया है कि नकली डीएपी बेचने वाले पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना अपने कृषि पर्यवेक्षक, सहायक कृषि अधिकारी या संयुक्त निदेशक कृषि को दें।

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