मिट्टी की उपजाऊ ताकत बढ़ाना क्यों जरूरी है?
अगर खेत की मिट्टी उपजाऊ रहेगी, तभी फसल अच्छी होगी और किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलेगा। अच्छी मिट्टी से अनाज की क्वालिटी भी बेहतरीन रहती है। लेकिन अगर मिट्टी कमजोर हो गई, तो फसल भी कम होगी और खर्चा उतना ही रहेगा। इससे किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है। लेकिन चिंता की बात नहीं है, खराब मिट्टी को भी मेहनत से दोबारा उपजाऊ बनाया जा सकता है। आइए जानते हैं मिट्टी की ताकत बढ़ाने के आसान तरीके।
गाय का गोबर डालें
गाय का सड़ा हुआ गोबर (पुराना गोबर) मिट्टी के लिए अमृत के जैसा काम करता है। एक एकड़ खेत में 4 से 5 ट्रॉली गोबर डालें। कच्चा गोबर बिल्कुल न डालें, क्योंकि इससे दीमक और बीमारियां फैल सकती हैं। अब तो खेत में गोबर या खाद छिड़कने की मशीनें भी आती हैं, जिससे खेत में बराबर मात्रा में खाद डाली जा सकती है।
वर्मी कम्पोस्ट खाद का इस्तेमाल करें
वर्मी कम्पोस्ट (केंचुआ खाद) मिट्टी को उपजाऊ बनाने में बहुत असरदार है। एक एकड़ खेत में 4 से 6 टन वर्मी कम्पोस्ट डाल सकते हैं। इसे आप सीधा खेत में फैला सकते हैं या बेड बनाकर डाल सकते हैं।
मिट्टी की जांच कराएं
खेत में गोबर या वर्मी कम्पोस्ट डालने से पहले मिट्टी की जांच जरूर कराएं। अगर मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन कम है तो उसमें गोबर या कम्पोस्ट डालना जरूरी है। जांच कराने से आपको यह भी पता चलेगा कि मिट्टी में किस चीज की कमी है।
दलहनी फसलों की खेती करें
अरहर, मूंग, चना, मटर, उड़द जैसी दलहनी फसलों की खेती से भी मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ती है। इन फसलों की जड़ों में राइजोबियम बैक्टीरिया होते हैं, जो मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाते हैं। इससे बिना ज्यादा खर्च किए ही मिट्टी उपजाऊ बनती है।
कच्चे गोबर का उपयोग न करें
बहुत से किसान सीधे खेत में कच्चा गोबर डाल देते हैं, जो गलत है। कच्चा गोबर डालने से दीमक, फफूंदी और अन्य रोग लग जाते हैं। इसमें मीथेन गैस और ज्यादा नाइट्रोजन होता है, जो पौधों को जला सकता है। कच्चे गोबर से मिट्टी की अम्लीयता बढ़ती है और फसल खराब हो सकती है। इसलिए अगर कच्चा गोबर हो तो उसे पहले सड़ाएं (कम से कम 2-3 महीने), जब वह अच्छी तरह खाद बन जाए, तभी खेत में डालें।