मटर की फसल को बीमारियों से बचाने के कारगर उपाय: विशेषज्ञों की सलाह
मटर की फसल भारतीय कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन इसे विभिन्न बीमारियों का सामना करना पड़ता है, जैसे फफूंद, झुलसा रोग, और पत्ती के कीट। ये रोग फसल की उपज और गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में किसानों को मटर की फसल की रक्षा के लिए कुछ विशेष उपाय अपनाने की आवश्यकता होती है।
मटर की फसल को बचाने के लिए सुझाव
बीज शोधन करें
मटर के बीजों को बोने से पहले उन्हें फफूंदनाशक और कीटनाशक से उपचारित करना अनिवार्य है। इससे बीजजनित रोगों से बचा जा सकता है। थायरम या कार्बेंडाजिम जैसे फफूंदनाशकों का उपयोग करें।
सही फसल चक्र अपनाएं
फसल चक्र (Crop Rotation) का पालन करते हुए मटर को ऐसी फसल के साथ उगाएं, जिसमें नाइट्रोजन की आवश्यकता अधिक हो। इससे मिट्टी का स्वास्थ्य बना रहता है और रोगजनक कीटों का प्रभाव कम होता है।
पौधों के बीच उचित दूरी रखें
फसल को रोपण करते समय पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखें ताकि हवा का संचार सही तरीके से हो। यह फफूंद और अन्य रोगों को बढ़ने से रोकता है।
जैविक तरीकों का उपयोग करें
ट्राइकोडर्मा या बैसिलस सबटिलिस जैसे जैविक फफूंदनाशकों का उपयोग करें। ये पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं और फसल को प्राकृतिक रूप से रोगों से बचाते हैं।
समय पर सिंचाई और जल निकासी सुनिश्चित करें
मटर की फसल में जल जमाव से जड़ सड़न रोग (Root Rot) हो सकता है। इसलिए जल निकासी की सही व्यवस्था करें। अत्यधिक सिंचाई से बचें।
रोग पहचानकर उपचार करें
- झुलसा रोग: इसके लक्षणों में पत्तियों पर भूरे धब्बे दिखाई देते हैं। इसके नियंत्रण के लिए मैंकोज़ेब या कार्बेंडाजिम का छिड़काव करें।
- पाउडरी मिल्ड्यू: इस फफूंद रोग से बचने के लिए सल्फर आधारित दवाओं का उपयोग करें।
- कीटों से बचाव: सफेद मक्खी और थ्रिप्स को रोकने के लिए नीम तेल या इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें।
फसल सुरक्षा के लाभ
सही उपाय अपनाकर मटर की फसल की गुणवत्ता और उपज को बढ़ाया जा सकता है। इससे न केवल उत्पादन लागत कम होती है, बल्कि किसानों को बाजार में बेहतर मूल्य भी मिलता है।
नोट: किसानों को किसी भी रासायनिक या जैविक उपाय का उपयोग करते समय विशेषज्ञों से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।