मटर की खेती में उन्नत बीज किस्मों का चयन फसल की गुणवत्ता, उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां कुछ उन्नत मटर बीज किस्में दी गई हैं, जो किसान भाइयों के लिए अधिक लाभकारी साबित हो सकती हैं:
1. पूसा प्रवेश (Pusa Pravesh)
- मुख्य विशेषता: यह किस्म अधिक उपज देती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता से युक्त है। इसके दाने भी बड़े और स्वादिष्ट होते हैं।
- पैदावार: औसतन 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
2. आर्केल (Arkel)
- मुख्य विशेषता: यह जल्दी तैयार होने वाली किस्म है, जो लगभग 55-60 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।
- उपयोग: इसे सलाद और सब्जी दोनों के रूप में उपयोग किया जाता है।
- पैदावार: 18-22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
3. आजाद पी-1 (Azad P-1)
- मुख्य विशेषता: यह किस्म जल्दी बढ़ने वाली और अत्यधिक उपज देने वाली है, जो किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है।
- पैदावार: 20-24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
- अनुकूल क्षेत्र: विशेषकर ठंडे इलाकों में अच्छा प्रदर्शन करती है।
4. बोनविल (Bonneville)
- मुख्य विशेषता: इस किस्म की विशेषता है कि यह लंबे समय तक हरापन बनाए रखती है, जिससे यह ताजगी बनाए रखने वाले बाजारों में ज्यादा पसंद की जाती है।
- पैदावार: 22-26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
- अनुकूल क्षेत्र: सभी प्रकार की जलवायु में उगाई जा सकती है।
5. VL Matar-42
- मुख्य विशेषता: यह पहाड़ी और ठंडे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और फसल जल्दी पकने वाली होती है।
- पैदावार: लगभग 18-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता: यह किस्म झुलसा रोग और जड़ गलन से सुरक्षा प्रदान करती है।
6. जेकेएम-3 (JKM-3)
- मुख्य विशेषता: यह किस्म ठंडे और मध्यम ठंडे इलाकों में अच्छा उत्पादन देती है और फसल मध्यम अवधि में तैयार होती है।
- पैदावार: 20-23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता: यह बीज झुलसा और फफूंद जनित रोगों के प्रति प्रतिरोधक है।
7. शीतल (Sheetal)
- मुख्य विशेषता: यह किस्म 60-65 दिनों में तैयार होती है और इसकी फलियां लम्बी और अच्छी गुणवत्ता की होती हैं।
- पैदावार: लगभग 20-24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
- उपयोग: इसे सलाद और सब्जी दोनों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
मटर की फसल में उन्नत किस्मों का महत्व
इन उन्नत बीज किस्मों से न केवल पैदावार में वृद्धि होती है, बल्कि ये अधिक रोग प्रतिरोधी और विभिन्न जलवायु में अनुकूल होती हैं। इसके अलावा, इनके उपयोग से किसानों को बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है।