लहसुन की खेती क्यों करें??
कृषि की बात करें तो वर्तमान में किसान भाई परंपरागत खेती के अतिरिक्त अन्य खेती की और भी ध्यान देने लगे हैं।इसी क्रम में यदि खेती को व्यवसाय के रूप में किया जाए तब यह अच्छी कमाई देने वाले साबित हो सकती है।हमारे देश में युवा किसान व्यावसायिक खेती करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।यदि हमारे देश के युवा किसान द्वारा सही फसल का चयन करके खेती की जाए तो अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है।लहसुन की फसल इसी क्रम में आने वाली फसल हैं।लहसुन की उत्पत्ति मूलरूप से मध्य एशिया हैं।यह प्राचीनतम फसल हैं।लहसुन को प्राकृतिक एंटीबायोटिक भी कहते हैं।लहसुन खाने में उपयोग की जाने वाली फसल है इसके बिना कोई भी सब्जी बनाना संभव नहीं होता है।लहसुन का उपयोग अधिकांश मसालों और आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता हैं।प्राचीन भारत में लहसुन को औषधीय उपयोग में और भूख बढ़ाने के लिए किया जाता था।किसान भाई के लिए अक्टूबर का माह लहसुन की खेती के लिए उचित होता है।लहसुन की खेती 6 महीने में अच्छी कमाई दे सकती है।आइए लहसुन की उन्नत खेती से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।
हमारे देश में लहसुन की खेती और संबंधित राज्य
हमारे देश में लहसुन की खेती से संबंधित राज्य इस प्रकार है जैसे – मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश , राजस्थान , गुजरात , पश्चिम बंगाल , हरियाणा और असम आदि।भारत में लगभग 2.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में लहसुन की खेती की जाती है जिससे लगभग 16.17 लाख टन पैदावार प्राप्त होती है।हमारे देश के कई क्षेत्रों में लहसुन की बुवाई नवंबर और दिसंबर के माह में होती है और इसकी खुदाई का कार्य अप्रैल से मई के माह में किया जाता है।
लहसुन की खेती में कृषि उपकरणों का प्रयोग क्यों करें??
हमारे देश में लहसुन की खेती मुख्य रूप से छोटे और मध्यम किसानों द्वारा की जाती है।लहसुन की खेती बड़े पैमाने पर करने के लिए कई तकनीक के और उपकरण उपलब्ध है किंतु कई किसान भाइयों को इन तकनीक से संबंधित कोई ज्ञान नहीं है।संसाधनों की कमी और श्रमिकों की कमी के कारण लहसुन की खेती बड़े पैमाने पर नहीं की जा सकती हैं।यदि किसान भाई बड़े पैमाने पर लहसुन की खेती करना चाहते हैं तो वह लहसुन की खेती से संबंधित कृषि उपकरणों का प्रयोग करें।कृषि उपकरणों के प्रयोग से समय की बचत के साथ कार्य कुशलता भी बढ़ेगी।लहसुन की खेती में सही समय पर कार्य करने के लिए जैसे – बीज , खाद , सिंचाई और रसायन आदि सभी कार्यों के लिए कृषि उपकरणों का प्रयोग किया जा सकता है।लहसुन की खेती में कृषि उपकरणों के प्रयोग से इससे संबंधित सभी कार्य समय पर होने के साथ ही उत्पादकता में भी सहायता होगी।इस प्रकार लहसुन की खेती में कृषि उपकरणों के प्रयोग से मुनाफे में वृद्धि की जा सकती है। आइए , लहसुन की खेती से संबंधित इन कृषि उपकरणों के बारे में जानिए।
लहसुन के खेत में जुताई के लिए यंत्र : मोल्ड बोर्ड या डिस्क प्लाऊ
लहसुन के खेत तैयार करने के लिए जुताई की जाती है क्योंकि लहसुन की खेत में समतल और खरपतवार मुक्त मिट्टी होना चाहिए।लहसुन के खेत में जुताई लिए यंत्र का प्रयोग करें।जुताई के लिए यंत्र हैं – मोल्ड बोर्ड या डिस्क प्लाऊ।मोल्ड बोर्ड या डिस्क प्लाऊ की सहायता से खेत की 20 से 25 सेमी गहरी जुताई की जा सकती है। इसके पश्चात् मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए कल्टीवेटर को 2 से 3 बार चलाएं।लहसुन की बुवाई के पहले मिट्टी को अच्छे से तैयार करने के लिए रोटावेटर का उपयोग करें।यह सभी यंत्र कम समय और खर्च में खेत को तैयार करने के लिए उपयुक्त होते हैं।
लहसुन गांठ तोडऩे वाला उपकरण : बल्ब ब्रेकर मशीन
लहसुन की खेती में बुवाई के लिए की लहसुन की गांठ को तोड़ने का कार्य किया जाता हैं क्योंकि लहसुन की बुवाई के लिए लहसुन की कली का प्रयोग होता है।किसान भाई लहसुन की गांठ तोड़ने की परंपरागत विधि का प्रयोग करते हैं जिसमे लहसुन की बुवाई के लिए इन कलियों की गांठ को हाथ या लकड़ी द्वारा अलग किया जाता हैं।इस विधि में बहुत अधिक समय लग जाता है और साथ ही श्रमिकों का खर्च भी लग जाता है।समय और श्रम लागत की बचत के लिए किसान भाई लहसुन की गांठ तोड़ने के लिए बल्ब ब्रेकर मशीन का उपयोग कर सकते हैं।लहसुन की बल्ब ब्रेकर मशीन बिजली या ट्रैक्टर से चलने वाली मशीन हैं।इसकी क्षमता बिजली से चलने पर प्रति घंटा 10 से 15 क्विंटल और ट्रैक्टर से चलने पर प्रति घंटा 25 से 30 क्विंटल होती है।लहसुन की गांठ तोड़ने वाले उपकरण बल्ब ब्रेकर मशीन की प्रणाली में पहले लहसुन को हॉपर में भरा जाता है जिससे लहसुन की गांठ दो घूमते हुए ड्रमों के बीच से गुजरती है जिससे कलियां अलग-अलग हो जाती है।इस उपकरण में लगे ब्लोअर की सहायता से छिलकों से कलियों को पृथक कर दिया जाता है।लहसुन के बल्ब ब्रेकर उपकरण द्वारा कलियों को आकार के अनुसार विभाजित भी कर दिया जाता है।
लहसुन बुवाई तकनीक : रेज्ड बेड मेकर
लहसुन की बुवाई के लिए क्यारियों का निर्माण करने के लिए रेज्ड बेड मेकर तकनीक का उपयोग किया जाता है।यह तकनीक किसानों के मध्य लोकप्रिय होती जा रही है।लहसुन की बुवाई की रेज्ड बेड मेकर तकनीक में ऊंची उठी हुई क्यारियों में लहसुन की बुवाई की जाती है।लहसुन की उन्नत खेती में खेत तैयार करने के पश्चात् रेज्ड बेड मेकर तकनीक द्वारा खेतों में क्यारियों का निर्माण किया जाता है। क्यारियों की चौड़ाई और पंक्तियों की आपसी दूरी फसल और मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करती है क्योंकि इस तकनीक में बेड की चौड़ाई को बदल सकते है।रेज्ड बेड मेकर तकनीक द्वारा लहसुन की बुवाई होने पर कम बारिश और बहुत अधिक बारिश होने पर भी पैदावार बेहतर प्राप्त होती है।
लहसुन बुवाई मशीन : लहसुन सीड ड्रिल
लहसुन की उन्नत खेती में बुवाई करने के लिए लहसुन सीड ड्रिल मशीन का प्रयोग किया जाता है।लहसुन सीड ड्रिल मशीन के कार्य करने की क्षमता प्रति घंटा 0.50 से 0.65 हेक्टेयर है।लहसुन सीड ड्रिल मशीन द्वारा एक बार में 17 क्यारियों में बुवाई की जा सकती है।लहसुन की बुवाई के लिए सीड ड्रिल द्वारा क्यारियों की आपसी दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर रखते हुए 3 से 5 सेंटीमीटर गहराई में बुवाई की जाती है।लहसुन के खेती में इस मशीन से बुवाई करने पर बीजों की मात्रा प्रति हेक्टेयर 5 से 7 क्विंटल होना चाहिए।लहसुन की खेती में इस मशीन के उपयोग से क्यारियों में बुवाई करने से समान रूप से बुवाई होने के साथ ही बीजों की भी कम मात्रा प्रयुक्त होती हैं।लहसुन सीड ड्रिल मशीन द्वारा बुवाई के साथ ही उचित गहराई में उर्वरक भी डाल सकते हैं।
रसायन छिडक़ाव मशीन : नैपसैक या बूम प्रकार का स्प्रेयर
लहसुन की खेती में फसल पर रोग और कीट लग जाते हैं।लहसुन की फसल पर रोगों और कीटों के भारी प्रकोप से फसल को काफी ज्यादा नुकसान हो जाता है।इसके अलावा पौधे के विकास में खरपतवार से भी नुकसान होता है।इस प्रकार लहसुन की फसल को रोगों , कीटों और खरपतवारों से बचाव के लिए रसायनों का प्रयोग किया जाता है।
लहसुन की खेती में इन रसायनों का छिड़काव नैपसैक या बूम प्रकार का स्प्रेयर मशीन से करना चाहिए।लहसुन के रसायन छिड़काव की इस मशीन का उपयोग करने के लिए ट्रैक्टर के पहियों के बीच की चौड़ाई को ध्यान में रखकर लहसुन की बुवाई करना चाहिए।इस मशीन को कंधे पर बेल्ट द्वारा लगाया जाता है।इसका वजन 7.5 किलोग्राम होता है।लहसुन की रसायन छिड़काव की नैपसैक या बूम प्रकार का स्प्रेयर मशीन 10 से 18 लीटर की टंकी में भी उपलब्ध होती हैं।यह मशीन ट्रैक्टर द्वारा चलने वाली मशीन हैं।लहसुन के रसायन छिड़काव की नैपसैक या बूम प्रकार का स्प्रेयर मशीन की कार्य करने की क्षमता प्रतिदिन 0.4 हेक्टेयर है।लहसुन की रसायन छिड़काव की नैपसैक या बूम प्रकार का स्प्रेयर मशीन की कार्यप्रणाली में रसायन का प्रवाह टंकी से नोजल तक होता है। इस मशीन में रसायन का प्रवाह टंकी से नोजल तक उच्च दाब पंप के माध्यम से किया जाता है।इस मशीन में 10 से 20 नोजल होते हैं।
लहसुन खुदाई मशीन : लहसुन हार्वेस्टर
लहसुन की फसल की खुदाई का कार्य किसान भाई परंपरागत विधि से करते हैं।इस विधि में जमीन को खोद कर या लहसुन के तने को हाथों से खींचकर लहसुन को निकाला जाता हैं।इस विधि में समय और श्रम खर्च होता है।इस प्रकार लहसुन की खुदाई करने के लिए प्रति हेक्टेयर लगभग 30 से 35 श्रमिकों की आवश्यकता होती है।कई किसान कल्टीवेटर की सहायता से खेत की खुदाई करके लहसुन को निकालते हैं किंतु इस प्रक्रिया में नुकसान होने की संभावना होती है।
लहसुन की खुदाई के लिए ट्रैक्टर से चलने वाला मशीन लहसुन हार्वेस्टर है जिससे लहसुन की खुदाई का कार्य सरलता पूर्वक हो जाता है।लहसुन खुदाई की लहसुन हार्वेस्टर मशीन लाल मिट्टी में आसानी से प्रयोग की जा सकती हैं किंतु काली मिट्टी में प्रयोग करने पर मिट्टी में नमी होना चाहिए।लहसुन खुदाई की लहसुन हार्वेस्टर मशीन ट्रैक्टर के PTO द्वारा चलने वाली मशीन हैं।इस मशीन की कार्य करने की क्षमता प्रति घंटा 0.25 से 0.30 हेक्टेयर हैं।इस मशीन को चलाने के लिए खर्च प्रति हेक्टेयर लगभग 3000 से 3500 रुपए तक होता हैं।लहसुन की खुदाई की इस मशीन की कार्यप्रणाली में 1 से 1.5 मीटर चौड़ाई का ब्लेड लगा होता है जिससे भूमि की खुदाई की जाती है इसके पश्चात् लहसुन को चेन टाइप जाली से गुजारा जाता है।लहसुन खुदाई की लहसुन हार्वेस्टर मशीन से पौधों में लगी मिट्टी अलग करने के लिए पृथक्करण जाली लगी होती है।इस पृथक्करण जाली में लोहे की छड़ें समान दूरी पर लगी होती है।इस पृथक्करण जाली के पिछले भाग में लहसुन गिरकर एक पंक्ति में जमा हो जाती हैं।लहसुन की खुदाई के पश्चात् लहसुन की गांठों को सूखने के लिए 3 से 4 दिन तक खेत में रखा जाता हैं।