कृषि समस्याएं : भारतीय किसानों की 10 प्रमुख कृषि समस्याएं और उनके उपाय

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भारतीय कृषि की समस्याओं और उनके समाधान की जानकारी

भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन आजादी के 77 साल बाद भी किसानों की समस्याएं पूरी तरह समाप्त नहीं हो पाई हैं। किसान खुद को आर्थिक रूप से समाज के सबसे कमजोर वर्गों में मानते हैं। समाज के अन्य क्षेत्रों की आय साल-दर-साल बढ़ रही है, लेकिन किसान आज भी कर्ज के बोझ से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। भारत के ज्यादातर किसान अब खेती को अपने बच्चों को सौंपने से बच रहे हैं। भारतीय कृषि में हमेशा से कार्य करने वाले किसान अब खेती को नुकसान का सौदा मानने लगे हैं। सभी प्रयासों के बाद भी सरकार कृषि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाई है।

2011 की कृषि जनगणना के अनुसार, भारत की कुल जनसंख्या का ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 61.5% भाग रहता है और किसी न किसी रूप में कृषि से जुड़ा हुआ है। वर्तमान में भारत विश्व की शीर्ष 5 सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, किंतु योजनाबद्ध तरीके से कृषि में निवेश किए जाने के बाद भी भारतीय किसान अन्य देशों के किसानों की तुलना में काफी पीछे हैं। देश में प्रति हेक्टेयर कृषि उत्पादकता अभी भी वैश्विक औसत से कम बनी हुई है।

भारतीय किसानों की 10 प्रमुख कृषि समस्याएं और उनके उपाय

1. कृषि भूमि का असमान वितरण
भारत में कृषि भूमि का असमान वितरण एक बड़ी समस्या है। देश के लगभग 85% किसान छोटे और सीमांत हैं, जिनके पास सिर्फ 1 या 2 हेक्टेयर जमीन है। वहीं, 1% किसानों के पास 20% जमीन, 10% किसानों के पास 50% जमीन, और बाकी 89% किसानों के पास केवल 30% जमीन है। बड़े किसानों के पास 25 एकड़ से ज्यादा भूमि होती है। छोटे किसान कम जमीन होने के कारण नई तकनीकों और मशीनों का प्रयोग नहीं कर पाते हैं और पारंपरिक तरीकों से खेती करते हैं। इस कारण प्रत्येक वर्ष उत्पादन कम होता है और आर्थिक स्थिति कमजोर रहती है।

उपाय : सामूहिक खेती को बढ़ावा देकर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।

2. कृषि में निवेश के लिए पर्याप्त पूंजी ना होना
किसानों के पास खेती में निवेश करने के लिए पूंजी की कमी रहती है। पूंजी की कमी के कारण वे नई तकनीकों और जोखिम को अपनाने से बचते हैं और पारंपरिक तरीके से खेती करते हैं। इससे उत्पादन सीमित रहता है और उनकी आय में वृद्धि नहीं हो पाती। बैंक और वित्तीय संस्थान भी किसानों को कर्ज देने में रुचि नहीं दिखाते। ऐसे में किसान महंगे ब्याज पर बाजार से कर्ज लेते हैं और ब्याज चुकाने में अपनी अधिकांश कमाई लगा देते हैं। कई बार स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि बीज, खाद और सिंचाई के लिए भी उनके पास पैसे नहीं रहते हैं।

उपाय : PM किसान सम्मान निधि और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी सरकारी योजनाओं से किसानों को काफी मदद मिल रही है। राज्य सरकारें भी महिलाओं और युवाओं के लिए योजनाएं लाकर उनकी आर्थिक स्थिति सुधार रही हैं।

3. भारतीय किसानों का कर्ज से मुक्त ना होना
भारत के ज्यादातर किसान कर्ज में डूबे रहते हैं। कर्जमाफी और अन्य सरकारी योजनाओं के बाद भी किसान कर्ज के जाल से बाहर नहीं आ पाते। हर साल हजारों किसान कर्ज के कारण आत्महत्या कर लेते हैं। हमारे देश में लगभग 50% किसान हमेशा कर्ज में दबे रहते हैं। सरकारी बैंक छोटे किसानों को कर्ज देने में रुचि नहीं दिखाते, जिससे वे साहूकारों से ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज लेते हैं और अपनी आय का बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने में लगा देते हैं।

उपाय : किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाओं से किसानों को सस्ता लोन मिल रहा है। कर्ज माफी योजनाओं में पारदर्शिता लानी चाहिए।

4. किसानों की कृषि की नई पद्धति से दूरी
कई किसान आज भी पुरानी सोच और परंपरागत तरीकों से खेती करते हैं। वे मशीनों और आधुनिक तकनीकों का उपयोग नहीं करते और अपनी मेहनत से ज्यादा भाग्य पर भरोसा करते हैं। 2019-20 के आर्थिक सर्वे के अनुसार, भारत में कृषि का मशीनीकरण केवल 40% है जबकि ब्राजील में 75% और अमेरिका में 95% हैं।

उपाय : सरकार किसानों के लिए प्रशिक्षण शिविर और कृषि यंत्रों पर सब्सिडी देकर उन्हें नई तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है।

5. सरकारी योजनाओं और प्रशिक्षण की कमी
किसानों के लिए बनी सरकारी योजनाएं कई बार भ्रष्टाचार के कारण उचित रूप से संचालित नहीं होती हैं। पहले किसानों के लिए आवंटित बजट का दुरुपयोग करना सामान्य बात थी। हालांकि पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम फसल बीमा योजना और पीएम कुसुम योजना जैसी योजनाएं अब किसानों तक मदद पहुंचा रही हैं।

उपाय : किसानों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण की सुविधा शुरू की जाए ताकि उनकी उत्पादकता और आय में सुधार हो।

6. मृदा अपरदन और मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी
किसान भाइयों द्वारा एक ही प्रकार की खेती करने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम होती जा रही है। इसके अतिरिक्त जंगलों की कटाई, तेज बारिश और हवा के कारण मिट्टी का अपरदन हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार, देश में लगभग 8 करोड़ हेक्टेयर भूमि मृदा अपरदन से प्रभावित है।

उपाय : जैविक खाद का उपयोग बढ़ावा देना चाहिए। पौधरोपण और मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के जरिए इस समस्या को दूर किया जा सकता है।

7. सिंचाई की सुविधा और पानी की कमी
भारत में खेती अधिकाश रूप से मानसून पर निर्भर है। बारिश अच्छी होती है तो किसान अच्छा उत्पादन करते हैं, लेकिन बारिश की कमी से नुकसान उठाना पड़ता है। आज भी देश में लगभग 48% कृषि भूमि सिंचाई सुविधाओं से वंचित हैं।

उपाय : सिंचाई योजनाओं, जैसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और जल निकायों के नवीनीकरण के जरिए पानी की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है।

8. प्रति हेक्टेयर कम उत्पादन
भारत में भूमि पर खेती अधिक होती है, लेकिन उत्पादन कम है। इसका कारण छोटे खेत, सिंचाई की कमी, खराब बीज और मानसून पर निर्भरता है।

उपाय : बीज, खाद और सिंचाई पर सब्सिडी देने और उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाने से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

9. फसलों के बिक्री और भंडारण की समस्याएं
किसानों को फसल की कटाई के बाद विक्रय और भंडारण की सुविधाएं नहीं मिल पाती जिससे वे अपनी उपज सस्ते दामों में बेच देते हैं। सब्जियों और फलों का भी भंडारण न होने से उनकी उपज नष्ट हो जाती हैं।

उपाय : वेयर हाउस और कोल्ड स्टोरेज की सुविधा हर जिले में उपलब्ध करानी चाहिए।

10. कृषि उपज के सही मूल्य का अभाव
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बाद भी किसान भाइयों को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता हैं। खेती के बढ़ते खर्च और बाजार में कम दाम के कारण उनकी आय में वृद्धि नहीं हो पाती हैं।

उपाय : ई-नाम पोर्टल जैसी योजनाएं किसानों को देशभर की मंडियों से जोड़कर बेहतर मूल्य दिलाने में मददगार हो सकती हैं।

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