जानिए, काले धान की खेती के बारे में और कैसे होगा लाभ??
मानसून की बारिश शुरू होते ही किसान भाई खरीफ फसलों की बुवाई शुरू कर देते हैं। मानसून की फसलों में धान की बुवाई कई किसानों द्वारा की जाती है। धान की खेती जो किसान भाई करते हैं वह मानसून के प्रारंभ होते ही नर्सरी बनाने का काम करना प्रारंभ कर देते हैं और कई किसानों द्वारा नर्सरी से संबंधित कार्य करना प्रारंभ कर दिया जाता है।
इसी दौर में किसान भाई यदि काले धान की खेती करें तो यह साधारण धान और बासमती धान की तुलना में ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती है। इसका प्रमुख कारण है — काले धान की बाजार में अधिक कीमत और स्वास्थ्य लाभ। 2025 में काले धान की मांग तेजी से बढ़ रही है और देश-विदेश से इसकी डिमांड काफी बढ़ चुकी है।
काले धान का बाजार भाव प्रति किलोग्राम ₹500 तक है, और यह सामान्य धान की तुलना में कहीं अधिक पोषक और औषधीय गुणों से भरपूर होता है।
काले धान और इसके फायदेमंद गुणों को जानिए
काले धान में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत फायदेमंद होते हैं:
• काले धान की पौधे की लंबाई साधारण धान के समान होती है लेकिन इसकी बालियों के दाने लंबे होते हैं।
• इसके पौधे मजबूत होते हैं जिससे इनके टूटने की संभावना कम होती है।
• इसकी खेती कम पानी और कम लागत में भी की जा सकती है।
• फसल की पकने की अवधि 100 से 110 दिन होती है।
• पकने के बाद काले चावल का रंग बदल जाता है, इसलिए इसे नीला भात भी कहते हैं।
• इसमें प्रोटीन, आयरन और एंटी-कैंसर तत्व पाए जाते हैं, जो इसे एक हेल्दी सुपरफूड बनाते हैं।
काले धान की खेती से संबंधित राज्य
2025 में काले धान की खेती केवल पूर्वोत्तर राज्यों तक सीमित नहीं रही है, अब यह कई अन्य राज्यों में भी हो रही है:
• उड़ीसा, मणिपुर और त्रिपुरा
• मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र
• इसके अलावा छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है
कहां से लें काले धान का बीज?
• किसान अपने क्षेत्र में पहले से काले धान की खेती कर रहे किसानों से बीज ले सकते हैं।
• कृषि विभाग और ICAR द्वारा अधिकृत संस्थाएं भी बीज उपलब्ध करवाती हैं।
• 2025 में ऑनलाइन प्लेटफार्म जैसे IFFCO, KisanMitra, Krishify आदि से भी प्रमाणिक बीज ऑर्डर किया जा सकता है।
• मांग पत्र द्वारा सरकारी बीज वितरण योजना से भी लाभ उठाया जा सकता है।
काले धान की खेती का तरीका
• सबसे पहले नर्सरी तैयार की जाती है, जो मानसून आने से पहले ही तैयार कर लेनी चाहिए।
• नर्सरी तैयार होने के 1 महीने बाद रोपाई की जाती है।
• फसल की कटाई 5 से 6 महीने में होती है, जो साधारण धान की तुलना में थोड़ी लंबी होती है।
उड़ीसा राज्य में बोई जाती है काले धान की कलाबाती किस्म
उड़ीसा में कलाबाती (कालाबैंशी) किस्म सबसे प्रसिद्ध है।
इसमें भरपूर पोषण और एंटी-एजिंग गुण पाए जाते हैं।
इसे नियमित खाने से बुढ़ापे के प्रभाव धीरे आते हैं।
यह किस्म स्वास्थ्य और निर्यात दोनों दृष्टिकोण से बहुत लाभकारी है।
काले धान का बाजार भाव और निर्यात
सामान्य धान का मूल्य ₹30 से ₹150 प्रति किलो तक होता है।
काले धान का भाव ₹250 से ₹500 प्रति किलोग्राम तक जाता है।
2025 में इसकी निर्यात मांग बहुत बढ़ी है — प्रमुख देश हैं:
• न्यूजीलैंड
• ऑस्ट्रेलिया
• कतर
• संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
भारत से इस अनाज का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है, जिससे किसानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लाभ मिल रहा है।