गेंहू की उन्नत खेती : वैज्ञानिकों द्वारा बताए गए इन तरीकों को अपनाए और गेहूं की पैदावार को बढ़ाएं

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क्यों अपनाए गेंहू की पैदावार बढ़ाने के वैज्ञानिक तरीके??

खरीफ सीजन की फसलों की कटाई के पश्चात् रबी की फसलों की बुवाई प्रारंभ हो जाती है और वर्तमान में रबी की फसलों की बुवाई का समय है।किसान भाई रबी के सीजन में गेहूं के अतिरिक्त अन्य फसलों की बुवाई पर ध्यान दे रहे हैं।किसान भाई गेंहू की अगेती किस्म की बुवाई कर सकते हैं।गेहूं की अगेती बुवाई की तुलना में गेहूं की पछेती बुवाई से पैदावार थोड़ी कम प्राप्त होती है लेकिन उन्नत तकनीक और उचित तरीके से गेहूं की पछेती किस्म से भी अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है।हमारे देश में गेहूं की अगेती किस्मों की बुवाई का कार्य प्रारंभ होगा। वैज्ञानिकों द्वारा बताए गए तरीकों को अपनाकर किसान भाई गेहूं से अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं । आइए , गेहूं की पैदावार बढ़ाने के इन वैज्ञानिक तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

गेहूं की पछेती बुवाई की विभिन्न किस्में

गेहूं की सिंचित दशा में

HI-1634 , HD-2932 , HD-2985 , JW-1202 , JW-1203 , WH-1021 , WR-544 , UP-2425 , MP-3336 , DBW-16 , PBW-373 , PBW-590 , DL-788-2 विदिशा , राज-3765 , राज-4238 , पूसा 111 और पूसा अहिल्या आदि।

किसान भाईयों को पछेती गेहूंं की बुवाई 31 दिसंबर तक जरूर कर लेना चाहिए।

गेहूं की पछेती बुवाई के लिए खेत तैयार कैसे करें??

गेहूं के पछेती बुवाई के लिए खेत तैयार करने के लिए खेत की गहरी जुताई करें।उसके पश्चात दो से तीन बार स्थानीय रूप से हल और तख्ती से करें।ओस की नमी को सोखने के लिए ट्रैक्टर और हैरो की सहायता से शाम के समय खेत की गहरी जुताई करें।रात का समय ओस की नमी सूख जाती हैं।प्रातःकाल जल्दी प्लैंकिंग करें।सिंचित दशा में पूर्व की फसल कटाई के पश्चात् मोल्ड बोर्ड हल या डिस्क की सहायता से खेत की गहरी जुताई करें।अजैविक क्षेत्र से बचाव के लिए 10 से 30 मीटर चौड़ाई का मध्य क्षेत्र रखें। गेहूं की फसल में बीजों के समान वितरण हेतु अच्छी तरह से चूर्णित बीज का प्रयोग करें।सामान्य बुवाई में फसल में पंक्तियों की आपसी दूरी 20 से 22.5 सेंटीमीटर और देरी से बुवाई होने पर पंक्तियों की दूरी 15 से 18 सेंटीमीटर होना चाहिए।

गेेहूं की पछेती बुवाई में बीजों की मात्रा

गेहूं की पछेती बुवाई में बीजों की मात्रा की जानकारी होना भी आवश्यक है।गेहूं की किस्म में बीज दर अलग-अलग हो सकती है।यह बीज दर बीज के अंकुरण , बीज के आकार , बुवाई का समय , बुवाई की विधि , जुताई और मिट्टी में नमी पर भी निर्भर करती है।यदि गेहूं के बुवाई डिबलर द्वारा हो रही है तब बीजों की मात्रा प्रति एकड़ 10 से 12 किग्रा होना चाहिए।सामान्य रूप से बीजों की मात्रा प्रति एकड़ 40 किग्रा होना चाहिए।देरी से बुवाई की जाने वाली सोनालिका जैसी मोटे अनाज वाली किस्म में बीजों की मात्रा में वृद्धि कर प्रति एकड़ लगभग 50 किग्रा करना चाहिए।

गेेहूं की पछेती बुवाई की प्रक्रिया

गेहूं की बुवाई करने हेतु सिडड्रील का प्रयोग करें।गेहूं की बुवाई पंक्तियों में करना चाहिए।गेहूं की बुवाई फर्टीसीडड्रिल या देशी हल के पीछे पंक्तियों में करना चाहिए। खेत में पलेवा करके ही बुवाई करें।मिट्टी नम होने पर बुवाई करना फायदेमंद होता हैं।किसानों के बीच गेहूं की बुवाई के लिए विशेष विधि है जिसका नाम श्री विधि है।इस विधि द्वारा गेहूं की बुवाई में इस बात का खास ध्यान रखा जाता हैं कि बुवाई में अंकुरित बीजों का प्रयोग होने के करना बुवाई के समय मिट्टी नम होना चाहिए।कुदाल या देशी हल की सहायता से 20 सेमी की दूरी पर गहरी नाली का निर्माण किया जाता हैं।नाली की गहराई 3 से 4 सेमी रखें।20 सेमी की दूरी पर एक जगह पर 2 बीज डाले जाते हैं।बुवाई के पश्चात् बीज को हल्की मिट्टी से ढंक देना चाहिए।बुवाई के 2 से 3 दिन पश्चात् पौधे उगने लगते हैं।

गेहूं की उन्नत खेती में सिंचाई कैसे की जाए??

गेहूं की उन्नत फसल प्राप्त करने हेतु आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए।बुवाई के पश्चात् गेहूं के खेत में चारों ओर नालियों का निर्माण करें।इन नालियों का निर्माण 15 से 20 मीटर की दूरी पर करें।बुवाई के तुरंत पश्चात् इन नालियों का प्रयोग कर पंक्तियों में सिंचाई करें।गेहूं की खेती में तीन सिंचाई की आवश्यकता होती है।प्रथम सिंचाई बुवाई के तुरंत पश्चात् , द्वितीय सिंचाई बुवाई के 35 से 45 दिन पश्चात् तथा तृतीय सिंचाई बुवाई के 70 से 80 दिन पश्चात् करना चाहिए।गेहूं की अगेती खेती में सिंचाई निर्धारित मात्रा और निश्चित अंतराल पर ही करना चाहिए।गेहूं की देर से बुवाई में 17 से 18 दिन के अंतराल पर चार सिंचाई और वहीं जल्दी बुवाई में 20-20 दिन के अंतराल पर चार सिंचाई करना चाहिए।गेहूं की बालियां निकलने लगे तब फूल न खिर जाए इसके लिए फव्वारा विधि से सिंचाई करें।फूल खिरने से दानों का मुंह काला पड़ जाता हैं जिससे कंडुवा रोग , झुलसा रोग और करनाल बंट जैसे रोग लगने की संभावना रहती हैं।

गेहूं की उन्नत खेती में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग

गेहूं की उन्नत खेती में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। खेत में जितनी सिंचाई हो उतने ही भाग में यूरिया का प्रयोग करें और यूरिया का फैलाव समान रूप से करें।यदि खेत पूर्ण रूप से समतल ना हो तब यूरिया का प्रयोग सिंचाई के पश्चात् खेत में पर न धंसे उस स्थिति में करें। रसायनिक उर्वरकों के रूप में प्रति हेक्टेयर में स्फुर , पोटाश और नत्रजन की मात्रा सिंचित दशा में 60:30:120 , सीमित सिंचाई की दशा में 30:15:60 , असिंचित दशा में 20:10:40 , सिंचित दशा में मालवी किस्म में 70:35:140 , देर से बुवाई की किस्म में 50:25:100 और सामान्य रूप से 2:1:4 के अनुपात में प्रयोग करें। यदि गेहूं की बुवाई देरी से कर रहे हैं तब स्फुर और पोटाश की पूरी मात्रा और नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई से पूर्व मिट्टी में 3 से 4 इंच तक प्रयोग करें बाकी बची नत्रजन की मात्रा पहली सिंचाई के साथ प्रयोग करें।

गेहूं की खेती में कैसे करें खरपतवार नियंत्रण??

गेहूं की उन्नत फसल प्राप्त करने के लिए खेत में खरपतवार नहीं होना चाहिए गेहूं की फसल में प्रमुख रूप से दो प्रकार के खरपतवार हो जाते हैं जैसे –
(1) संकरी पत्ती वाले खरपतवार – गेहूसा , गेहूं का मामा और जंगली जई आदि।
(2) चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार – जगंली मटर , जगंली पालक , कृष्ण नील , कासनी , हिरनखूरी , बथुआ , दूधी और सेंजी आदि।
गेहूं की फसल से इन खरपतवारों को नष्ट करना आवश्यक हैं।
रासायनिक रूप से खरपतवार को नष्ट करने के लिए रसायनों का प्रयोग किया जाता है

  • संकरी पत्ती वाले खरपतवार के लिए बुवाई के 25 से 35 दिन पश्चात् प्रति हेक्टेयर में क्लौडिनेफॉप प्रौपरजिल की 60 ग्राम मात्रा का छिड़काव करना चाहिए।
  • चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के लिए बुवाई के 30 से 35 दिन पश्चात् प्रति हेक्टेयर में मेटसल्फ्यूरॉन मिथाइल की 4 ग्राम मात्रा या 2,4-D की 0.65 किग्रा मात्रा का छिड़काव करना चाहिए।
  • संकरी और चौड़ी दोनों प्रकार की पत्तियों वाले खरपतवार के लिए बुवाई के 25 से 35 दिन पश्चात् प्रति हेक्टेयर में क्लौडिनेफॉप प्रौपरजिल की 60 ग्राम मात्रा और मेटसल्फ्यूरॉन मिथाइल की 4 ग्राम मात्रा का छिड़काव करना चाहिए।
  • रसायन का प्रयोग न करने पर कूलपा , डोरा या हाथ से निराई – गुड़ाई करके खरपतवार को नियंत्रित करें।40 दिन के अंतराल पर दो बार खरपतवार को निराई – गुड़ाई करके नष्ट कर देना चाहिए।गेहूं की फसल में पहले 35 से 40 दिन तक खरपतवार को हटाना चाहिए।

ऐसे करें गेहूं की फसल में कीटों और रोगों पर नियंत्रण

  • रबी के सीजन के समय रूट एफिड और जड़ माहू कीट का प्रकोप रहता हैं।ये कीट पौधे के जड़ से रस चूसकर पौधों को सुखाकर नष्ट कर देते हैं।गेहूं की फसल सूखने या पीली पड़ जाने पर शीघ्र कृषि विशेषज्ञ की सलाह लें और उपचार करें।पौधे का सूखना या पीला होना बीमारी , कीट रोग या पोषक तत्वों की कमी से हो सकता हैं।
  • माहू कीट का प्रकोप गेहूं की फसल के पत्तों और तने पर होने की स्थिति में प्रति हेक्टेयर में पानी में इमिडाक्लोप्रिड की 250 मिली मात्रा का घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • जड़ माहू कीट से बचाव के लिए प्रति हेक्टेयर में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL की 250 मिली मात्रा या प्रति किग्रा बीज में गाऊचे रसायन की 3 ग्राम मात्रा या 300 से 400 लीटर पानी में थाइमौक्सेम की 200 ग्राम मात्रा का घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • कृषि विशेषज्ञ की सलाह के बाद ही रसायन का प्रयोग करें।

गेहूं की फसल को पाले से बचाव के तरीके

गेहूं की फसल को पाले से बचाव के लिए फसल में स्प्रिंकलर द्वारा हल्की सिंचाई करना चाहिए। रसायनिक रूप से पाले से बचाव के लिए प्रति एकड़ में 8 से 10 किग्रा सल्फर पाउडर का भुरकाव या 0.1%व्यापारिक सल्फ्यूरिक अम्ल गंधक का अम्ल या 1000 लीटर पानी में थायो यूरिया की 500 ग्राम मात्रा का घोल या प्रति लीटर पानी में घुलनशील सल्फर की 3 ग्राम मात्रा का घोल का छिड़काव करें।

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