गेहूं की पछेती खेती के बारे में जानिए : गेहूं की पछेती किस्मों की बुवाई कर पाए भरपूर मुनाफा

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क्यों करें गेहूं की पछेती किस्मों की बुवाई??

खरीफ के सीजन के पश्चात् अब रबी का सीजन प्रारंभ होने वाला है और कई किसान भाई रबी के सीजन की फसलों की बुवाई में लगे हुए हैं।गेहूं रबी के सीजन की प्रमुख फसल है।हमारे देश में गेहूं की अगेती बुवाई का कार्य प्रारंभ होने वाला है। वह किसान भाई जो किसी कारण से गेहूं की अगेती बुवाई नहीं कर सकेंगे उन किसान भाई को दिसंबर माह तक गेहूं की पछेती बुवाई की सलाह दी जाती हैं।गेहूं की पछेती बुवाई के लिए किसान भाई को जल्दी पकने वाली किस्म की बुवाई करनी होगी।इसके साथ ही बीजों की मात्रा तथा बुवाई की प्रक्रिया की जानकारी भी किसान भाई को होना आवश्यक है।गेहूं की अगेती बुवाई की तुलना में गेहूं की पछेती बुवाई से उत्पादन थोड़ा कम प्राप्त होता है लेकिन किसान भाई यदि उचित तरीके से खेती करें तब पैदावार अच्छी प्राप्त हो सकती है। गेहूं की खेती सही तकनीक और उचित तरीके से करने के लिए किसानों को जानकारी होना भी आवश्यक हैं , जिससे उन्हें बेहतर उत्पादन प्राप्त हो सके।आइए , गेहूं की पछेती बुवाई से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।

गेहूं की विभिन्न पछेती किस्में

देश में राज्यों की भौगोलिक स्थिति और जलवायु के हिसाब से गेहूं की पछेती बुवाई के लिए कई किस्में जारी की गई है। उनमें से हम यहां आपको कम समय में पककर तैयार होने वाली गेहूं की पछेती किस्मों की जानकारी दे रहे हैं।

(1) DBW-90 किस्म

गेहूं की DBW-90 किस्म उच्च तापमान को सहने वाली किस्म हैं। गेहूं की यह किस्म लीफ रस्ट और स्ट्रिप के प्रति सहनशील हैं।गेहूं की DBW-90 किस्म से उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर 42.80 क्विंटल तक प्राप्त किया जा सकता हैं।गेहूं की DBW-90 किस्म के पकने की अवधि लगभग 121 दिन हैं।

(2) DBW-173 किस्म

गेहूं की DBW-173 किस्म भी तापमान को सहने वाली किस्म हैं। गेहूं की यह किस्म भूरा और पीला रस्ट के प्रति सहनशील हैं।गेहूं की DBW-173 किस्म से उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर 47.2 क्विंटल तक प्राप्त किया जा सकता हैं।गेहूं की DBW-173 किस्म के पकने की अवधि लगभग 122 दिन हैं।

(3) PBW-590 किस्म

गेहूं की PBW-590 किस्म भी तापमान को सहने वाली किस्म हैं।गेहूं की यह किस्म लीफ रस्ट के प्रति सहनशील हैं।गेहूं की PBW-590 किस्म पंजाब , हरियाणा , राजस्थान, उत्तराखंड , हिमाचल प्रदेश , दिल्ली और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य के लिए उपयुक्त किस्म हैं।गेहूं की PBW-590 किस्म से उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर 42.2 क्विंटल तक प्राप्त किया जा सकता हैं।गेहूं की PBW-590 किस्म के पकने की अवधि लगभग 121 दिन हैं।

(4) WH-1021 किस्म

गेहूं की WH-1021 किस्म उच्च तापमान को सहने वाली किस्म हैं। गेहूं की यह किस्म देरी से बुवाई के लिए अच्छी किस्म हैं।गेहूं की WH-1021 किस्म से उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर 39.1 क्विंटल तक प्राप्त किया जा सकता हैं।

(5) WH-1124 किस्म

गेहूं की WH-1124 किस्म भूरा और पीला रस्ट के प्रति सहनशील हैं।गेहूं की WH-1124 किस्म से उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर 42.2 क्विंटल तक प्राप्त किया जा सकता हैं।गेहूं की WH-1124 किस्म के पकने की अवधि लगभग 123 दिन हैं।

(6) HD-2985 (पूसा बसंत) किस्म

गेहूं की HD-2985 (पूसा बसंत) किस्म फोलियर ब्लाइट और लीफ रस्ट के प्रति सहनशील हैं।गेहूं की HD-2985 (पूसा बसंत) किस्म से उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर 37.7 क्विंटल तक प्राप्त किया जा सकता हैं।गेहूं की HD-2985 (पूसा बसंत) किस्म के पकने की अवधि लगभग 105 से 110 दिन हैं।

(7) HD-3059 (पूसा पछेती) किस्म

गेहूं की HD-3059 (पूसा पछेती) किस्म उच्च तापमान को सहने वाली किस्म हैं। गेहूं की यह किस्म लीफ रस्ट के प्रति सहनशील हैं।गेहूं की HD-3059 (पूसा पछेती) किस्म से उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर 39.5 क्विंटल तक प्राप्त किया जा सकता हैं।गेहूं की HD-3059 (पूसा पछेती) किस्म के पकने की अवधि लगभग 157 दिन हैं।

(8) राज-3765 किस्म

गेहूं की राज-3765 किस्म के दाने का आकार बड़ा , सख्त और दाने शरबती चमकीले आभा लिए होते हैं।गेहूं की यह किस्म सिंचाई , सामान्य बुवाई और पछेती बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म मानी गई हैं।गेहूं की राज-3765 किस्म से उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर 38 से 42 क्विंटल तक प्राप्त किया जा सकता हैं।गेहूं की सामान्य बुवाई में राज-3765 किस्म के पकने की अवधि लगभग 120 से 125 दिन हैं।गेहूं की पछेती बुवाई में राज-3765 किस्म के पकने की अवधि लगभग 110 से 115 दिन हैं।

गेहूं की पछेती किस्म में बीजों की मात्रा

गेहूं की पछेती खेती में बुवाई के लिए बीजों की मात्रा प्रति एकड़ लगभग 55 से 60 किलोग्राम होना चाहिए। पछेती किस्म की बुवाई में बीज का शीघ्र और अधिक जमाव हो इसके लिए बीज को लगभग 12 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें।इसके पश्चात बीज को पानी से निकाल कर 2 घंटे तक छांव में सुखाना चाहिए।

गेहूं की पछेती किस्मों में बीजों को उपचारित करें

गेहूं की पछेती किस्म की बुवाई करने से पूर्व बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए जिससे फसल रोग ग्रस्त ना हो।

  • कंडुआ व करनाल बंट रोग के नियंत्रण के लिए प्रति किग्रा बीज में लगभग रेक्सिल फफूंदनाशक की 1 ग्राम मात्रा से सुखा उपचार करना चाहिए।
  • दीमक के नियंत्रण के लिए 1 क्विंटल बीज में साढ़े चार लीटर पानी में क्लोरोपाइरीफोस 20% की 150 मिली मात्रा का घोल बनाकर बीजों को उपचारित करना चाहिए।
  • बुवाई से थोड़ी देर पहले जीवाणू खाद फोसफोटीका और एजोटोवेक्टर से उपचार कर लें।

गेहूं की पछेती किस्मों की बुवाई की प्रक्रिया

गेहूं की पछेती खेती में बीजों को उपचारित करने के पश्चात बुवाई की प्रक्रिया होती है।गेहूं की बुवाई के लिए उर्वरक ड्रिल का उपयोग करें या किसान जीरो सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल का उपयोग भी गेंहू की बुवाई के लिए कर सकते हैं। यदि गेहूं की बुवाई में डिबलर यंत्र द्वारा कर रहे हैं तब बीज की मात्रा प्रति एकड़ 10 से 12 किग्रा होना चाहिए। गेहूं की बुवाई में पंक्तियों की आपसी दूरी 20 से 22.5 सेंटीमीटर होना चाहिए।यदि बुवाई में देरी हो तब यह दूरी 15 से 18 सेंटीमीटर होना चाहिए।गेहूं की पछेती बुवाई में खूड़ से खूड़ की दूरी लगभग 18 सेंटीमीटर होना चाहिए।

गेहूं की बुवाई करें प्रचलित श्री विधि तकनीक द्वारा

किसानों के बीच गेहूं की बुवाई के लिए विशेष विधि है जिसका नाम श्री विधि है।इस विधि द्वारा गेहूं की बुवाई में इस बात का खास ध्यान रखा जाता हैं कि बुवाई में अंकुरित बीजों का प्रयोग होना चाहिए साथ ही बुवाई के समय मिट्टी नम होना चाहिए।खेत में पलेवा देने के बाद ही बुवाई करना चाहिए।कुदाल या देशी हल की सहायता से 20 सेमी की दूरी पर गहरी नाली का निर्माण किया जाता हैं।नाली की गहराई 3 से 4 सेमी रखें।20 सेमी की दूरी पर एक जगह पर 2 बीज डाले जाते हैं।बुवाई के पश्चात् बीज को हल्की मिट्टी से ढंक देना चाहिए।बुवाई के 2 से 3 दिन पश्चात् पौधे उगने लगते हैं।

गेहूं की पछेती किस्मों में सिंचाई कैसे की जाए??

गेहूं की पछेती खेती में अच्छी गुणवत्ता वाली फसल और अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए। की फसल में फुटाव के समय , बालियां निकलने से पूर्व , गांठें बनते समय , दूधिया दशा में और दाना पकते समय सिंचाई अवश्य करना चाहिए।गेहूं की पछेती बुवाई में प्रथम सिंचाई 3 सप्ताह के स्थान पर 4 सप्ताह पश्चात करना चाहिए।इसके पश्चात् सिंचाई मध्य फरवरी और 25 से 30 दिनों के पश्चात करना चाहिए।उसके पश्चात 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।

गेहूं की पछेती बुवाई में खाद व उर्वरकों का प्रयोग किस आधार पर हो??

  1. गेहूं की पछेती बुवाई में उन्नत फसल प्राप्त करने के लिए खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना भी आवश्यक है।इसके लिए किसान भाई बुवाई से पूर्व गोबर की खाद का प्रयोग करें।प्रति एकड़ में 6 टन गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद का प्रयोग करें ।गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद का प्रयोग होने पर फास्फोरस खाद की आधी मात्रा का प्रयोग करें।
  2. गेहूं की बुवाई के समय NPK की 75 किग्रा मात्रा या DAP की 50 किग्रा मात्रा और जिंक सल्फेट की 10 किग्रा मात्रा और यूरिया की 45 किग्रा मात्रा का प्रयोग करें।NPK या DAP उर्वरकों का प्रयोग ड्रिल यंत्र द्वारा करें। जिंक सल्फेट और यूरिया का प्रयोग अंतिम जुताई के समय करें।
  3. गेंहू की प्रथम सिंचाई में प्रति एकड़ यूरिया की 60 से 65 किग्रा मात्रा का प्रयोग करें। यदि मिट्टी रेतीले है तब युरिया का प्रयोग दो बार यानि प्रथम और द्वितीय सिंचाई पर करना चाहिए।

गेहूं की पछेती किस्मों में खरपतवार नियंत्रण

गेहूं की पछेती बुवाई में खरपतवारों का प्रकोप ज्यादा रहता है जैसे – मंडूसी , कनकी और जंगली जई। इसके लिए आवश्यकता अनुसार निराई – गुड़ाई करके खरपतवार को नष्ट कर देना चाहिए और यदि रसायन का प्रयोग करके खरपतवार को नष्ट करना हो तब इन खरपतवारनाशी का प्रयोग करें-

  • बथुआ , हिरनखुरी और जंगली मटर खरपतवार के लिए बुवाई के 30 से 35 दिन पश्चात् प्रति एकड़ में 250 लीटर पानी में 2,4 -D सोडियम साल्ट 80% की 500 ग्राम मात्रा का घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • मंडूसी , कनकी और जंगली जई खरपतवार के लिए बुवाई के 30 से 35 दिन पश्चात् प्रति एकड़ में 250 लीटर पानी में क्लोडिनाफाप 15% की 160 ग्राम मात्रा का घोल बनाकर छिड़काव करें।

गेहूं की पछेती किस्मों में लगने वाले रोग और उनका समाधान

  • पीला रतवा रोग से बचाव – गेहूं में पीला रतवा रोग का प्रकोप भी अधिक दिखाई देता है। समय पर इस रोग पर नियंत्रण करना भी आवश्यक हैं।
  • समाधान – गेहूं में पीला रतवा रोग के नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ में लगभग 200 लीटर पानी में प्रापिकानाजोल 25 E.C. दवा की 200 मिली मात्रा का छिड़काव करना चाहिए।
  • दीमक से बचाव – गेहूं में दीमक का प्रकोप भी दिखाई देता है। समय पर दीमक पर नियंत्रण करना भी आवश्यक हैं।
  • समाधान – गेहूं में दीमक के नियंत्रण के लिए बुवाई से 1 दिन पूर्व 100 किग्रा बीज में लगभग 5 लीटर पानी में क्लोरोपायरीफोस 20 E.C. दवा की 150 मिली मात्रा का छिड़काव बीजों पर करना चाहिए।

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