गेहूं की अधिक उपज पाने के लिए किसान भाई अपनाएं यह 10 आसान तरीके और पाए अधिक मुनाफा

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गेहूं की उपज में वृद्धि से संबंधित जानकारी..

रबी के सीजन में गेहूं एक मुख्य फसल है।अनाज वाली फसलों में गेहूं का अपना एक विशेष स्थान है।हमारे देश में सामान्य रूप से सभी जगह भोजन में गेहूं को सम्मिलित किया जाता है।भारत के खाद्यान्न में गेहूं की भूमिका में वृद्धि होती जा रही हैं।पिछले वर्षों में अच्छी उपज के साथ ही भारत गेहूं की दृष्टि से विश्व में दूसरा स्थान पर आता हैं।हमारे देश में परंपरागत खेती के रूप में गेहूं की खेती उत्तरी क्षेत्रों में की जाती हैं। पंजाब और हरियाणा के साथ ही राजस्थान जैसे राज्यों में गेहूं की खेती अधिक की जाती हैं।गेहूं की खेती में उन्नत फसल प्राप्त करने और पैदावार में वृद्धि करने के लिए कृषि वैज्ञानिक निरंतर प्रयासरत रहते हैं।कृषि वैज्ञानिकों को गेहूं की किस्म से अच्छा परिणाम मिल जाने के पश्चात् किसान भाइयों को इन किस्म की खेती से संबंधित जानकारी दी जाती है।किसान भाई अपनी फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं किंतु जानकारी न होने के कारण फसल की सही देखरेख नहीं हो पाती है जिससे फसल की उपज में कमी आती है।यदि गेहूं की फसल की बात की जाए तो किसान गेहूं की खेती में बुवाई से कटाई तक की प्रक्रिया में कुछ तरीकों को अपनाएं तो गेहूं की गुणवत्ता में सुधार के साथ ही उपज में भी बढ़ोतरी कर सकते है।आइए , गेहूं की अधिक उपज पाने के 10 आसान तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

गेहूं की खेती में अधिक उपज पाने के 10 आसान तरीके

गेहूं की खेती में अधिक उपज प्राप्त करने और अच्छी गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त करने के लिए किसान भाई बुवाई से लेकर कटाई तक कुछ विशेष बातों का अवश्य ध्यान रखें।यदि इन बातों पर ध्यान ना दिया गया तो फसल की उपज में कमी आ सकती है।किसान भाई अच्छी उपज प्राप्त करने के कुछ आसान तरीके अपनाए जिससे फसल की अच्छी उपज प्राप्त हो सके।गेहूं की अधिक उपज पाने के 10 आसान तरीके इस प्रकार हैं-

(1) गेहूं की क्षेत्र अनुसार उन्नत किस्मों का चयन करें

गेहूं की खेती भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में की जाती है।गेहूं की खेती में बीजों का चयन अपने क्षेत्र के अनुसार करें।गेहूं की फसल पर भौगोलिक स्थिति का प्रभाव अवश्य होता है इसलिए किसान भाई जलवायु और अपने क्षेत्र के अनुसार गेहूं की उन्नत किस्म का चयन कर बुवाई करें जिससे उपज पर कोई विपरीत प्रभाव ना हो।

(2) उत्तम गुणवत्ता वाले बीजों का प्रयोग करें

किसान भाइयों द्वारा फसलों की बुवाई में यह हमेशा कहा जाता हैं कि बीजों की गुणवत्ता उत्तम होना चाहिए।गेहूं की खेती में भी बीजों की गुणवत्ता का मुख्य रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए।
यदि किसान भाई स्वयं का उत्पादित पूर्व वर्ष का बीज प्रयोग करते हैं तो इसकी गुणवत्ता की जांच अवश्य करें और इसके लिए अंकुरण परीक्षण करें।यदि बीज का अंकुरण प्रतिशत 80% से 90% तक हो तो कहा जा सकता है कि बीज की गुणवत्ता सही है यदि बीजों का अंकुरण प्रतिशत इससे कम हो तब बीज की गुणवत्ता बेहतर नहीं मानी जाती ऐसे में किसान भाई दूसरे बीजों का प्रयोग करें।किसान भाई उत्तम गुणवत्ता वाले प्रमाणिक बीजों का प्रयोग करें।बीजों की खरीद मान्यता प्राप्त दुकान से करें और बीजों की खरीद का बिल अवश्य लें।

(3) उचित समय पर फसल की बुवाई करें

गेहूं की खेती करने वाले किसान भाईयों के लिए यह आवश्यक है कि फसल की बुवाई उचित समय पर होना चाहिए।यदि बात करें गेहूं की बुवाई की उचित समय की तो गेहूं की बुवाई का उचित समय 15 अक्टूबर से 25 नवंबर तक होता है।यदि किसान भाई इस समय पर बुवाई नहीं कर पाते हैं तो 25 नवंबर से 25 दिसंबर तक बुवाई का कार्य अवश्य कर लें।देर से बुवाई करने पर गेहूं की पछेती किस्म का प्रयोग करें नहीं तो गेहूं की उपज में कमी हो जाती है।उचित समय पर गेहूं की बुवाई करने से अच्छी उपज प्राप्त हो जाती है वहीं देर से बुवाई करने पर उपज में कमी देखने को मिलती है।

(4) तापमान में वृद्धि से गेहूं की फसल को नुकसान से बचाएं

गेहूं की फसल में तापमान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अधिक तापमान गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाता है।गेहूं की खेती के लिए उचित तापमान 20°C से 25 °C तक होता है।जब गेहूं के पौधों में दाना बनना प्रारंभ होता है उस समय तापमान सही होना चाहिए अन्यथा दाना कमजोर हो जाता है।यदि तापमान में वृद्धि हो रही हो तब आवश्यकता अनुसार हल्की सिंचाई करना चाहिए जिससे उपज में कमी ना हो।

(5) गेहूं की खेती में उर्वरकों का अधिक उपयोग ना करें

वर्तमान में प्रत्येक फसल में रासायनिक खाद एवं उर्वरकों का अधिकतम प्रयोग किया जा रहा है जो स्वास्थ्य और फसल दोनों के लिए हानिकारक है।रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट होने के साथ ही फसल की गुणवत्ता में भी कमी आती है।इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए गेहूं की खेती करने वाले किसान भाई गेहूं की बुवाई करने से पूर्व खेत की मिट्टी का परीक्षण करवाए और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार निश्चित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें जिससे अच्छी उपज प्राप्त हो सके।

(6) गेहूं की खेती में खरपतवार पर नियंत्रण करें

वर्तमान में खेती में अधिक खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करने के साथ ही खरपतवार की समस्या भी देखने को मिलती हैं।गेहूं की फसल में भी खरपतवार की समस्या होती है।इन खरपतवार का गेहूं की फसल के आसपास होने से फसल को नुकसान होता हैं। खरपतवार अधिक होने से उपज में कमी देखने को मिलती है।इस स्थिति में गेहूं की खेती में खरपतवार पर नियंत्रण करें।इसके लिए किसान भाई निराई-गुड़ाई करने के साथ ही खरपतवारनाशी का प्रयोग करें।

(7) गेहूं की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें

गेहूं की फसल में अधिक उपज प्राप्त करने के लिए आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए।खेत में जल भराव की समस्या ना हो इसके लिए खेत में जल निकासी की उत्तम व्यवस्था होना चाहिए।गेहूं की अच्छी फसल के लिए पानी 10 सेंटीमीटर पर्याप्त होता है।सामान्य रूप से गेहूं की फसल में 4 से 6 सिंचाई , रेतीली भूमि में 6 से 8 सिंचाई की और भारी दोमट मिट्टी में 3 से 4 सिंचाई की आवश्यकता होती है।इस स्थिति में किसान भाई खेत की मिट्टी और तापमान को ध्यान में रखते हुए गेहूं की आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहे।जब गेहूं के पौधों में दाना बनना प्रारंभ होता है उस समय सिंचाई अवश्य करना चाहिए अन्यथा दाना कमजोर होता है।

(8) गेहूं की फसल को कीट व रोग से मुक्त रखें

गेहूं की फसल में भी अन्य फसल के समान ही कीट व रोग का प्रकोप बना रहता है।इस स्थिति में गेहूं की फसल को कीट एवं रोगों से बचाने के उपाय के बारे में किसान भाइयों को जानकारी अवश्य होना चाहिए।गेहूं की फसल को कीट एवं रोगों से बचाव के लिए किसान भाई अपने खेत की मिट्टी के अनुसार उचित कीटनाशक का छिड़काव करें।यदि फसल पर कीट एवं रोगों का अधिक प्रकोप दिखाई दे तब जिले के कृषि विभाग के कृषि विशेषज्ञ की सलाह से कीट एवं रोगों पर नियंत्रण के उपाय को अपनाना चाहिए।

(9) गेहूं की कटाई में सावधानी रखें

गेहूं की खेती में फसल की कटाई उचित समय पर होना चाहिए। जब गेहूं की बालियों का रंग सुनहरी व पीला होने लगे और पत्तियां सूखने लगे तब फसल की कटाई की जा सकती है।यदि गेहूं की कटाई हाथ से करनी हो तब दाने में नमी की मात्रा 25% से 30% होना चाहिए और यदि गेहूं की कटाई कंबाइन हार्वेस्टर से करना हो तब दाने में नमी की मात्रा 20% से अधिक नहीं होना चाहिए।गेहूं की कटाई हाथों से करने के लिए दरातियों का प्रयोग करना चाहिए और मशीन से कटाई में रीपर बाइंडर मशीन का प्रयोग करना चाहिए।।फसल अधिक पक जाने से दाने बाहर गिरने लगते है इसलिए फसल पकने के तुरंत बाद कटाई का कार्य करना चाहिए।

(10) गेहूं की कटाई के पश्चात् छंटाई का कार्य इस प्रकार करें

गेहूं की फसल की कटाई के पश्चात् जब फसल अच्छी तरीके से सूख जाए तब गेहूं की छंटाई का कार्य करना चाहिए।गेहूं की छंटाई के कार्य में गेहूं की फसल से घास-फूंस के कण आदि को अलग करके साफ दाना छान कर अलग किया जाता है।गेहूं के छने हुए दाने को साफ कंटेनर में भंडारित कर लेना चाहिए।दाने में नमी होने से कीट लगने की संभावना होती है इसलिए फसल को कंटेनर में भंडारित करने से पूर्व इस बात का विशेष ध्यान रखें की दाना पूर्ण रूप से सुख जाए।यदि दाना संग्रह करना हो तब संग्रह करते समय कंटेनर में नीम की पत्तियां या गोलियां रखना चाहिए जिससे अनाज लंबे समय तक खराब नहीं होता है।यदि फसल बेचने के लिए मंडी ले जाना हो तब फसल को प्लास्टिक की बोरी में भरकर ले जाना चाहिए।

इन 10 आसान तरीकों को अपनाकर किसान भाई गेहूं की अच्छी गुणवत्ता वाली फसल के साथ अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं।

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