गेंहू के रोग : गेहूं में लगने वाले फ्लैग लीफ , पीला रतुआ , गुलाबी बेधक रोग से फसल को बचाए , करें ये उपाय

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गेहूं की खेती में कीट एवं रोग के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह

रबी के सीजन में गेहूं एक मुख्य फसल है। अनाज वाली फसलों में गेहूं का अपना एक विशेष स्थान है। हमारे देश में सामान्य रूप से सभी जगह भोजन में गेहूं को सम्मिलित किया जाता है। अगेती गेहूं की फसल की कटाई का कार्य चल रहा है और पछेती गेहूं की फसल खेतों में है। इस वर्ष गेहूं की बुवाई पिछले वर्ष की तुलना में कम होने से गेहूं की अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद है। गेहूं की फसल में रोगों का प्रकोप भी हुआ है। गेहूं की फसल में फ्लैग लीफ, पीला रतुआ और गुलाबी बेधक का प्रकोप होता है। गेहूं की फसल को कीटों और रोग से बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी है। इस स्थिति में किसान भाइयों को गेहूं की फसल में लगने वाले कीट और रोग से बचाव के लिए वैज्ञानिक उपाय का प्रयोग करना चाहिए। आइए, गेहूं में लगने वाले रोग और बचाव के उपाय से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।

गेहूं की खेती में फ्लैग लीफ (ध्वजा पत्ता) रोग: लक्षण और नियंत्रण के उपाय

गेहूं की खेती में अच्छी उपज तीन पत्तियों पर निर्भर है जैसे – झंडा पत्ती, निचली पत्ती और झंडा पेट वाली और उसके नीचे की पत्ती। ये तीनों पत्तियां गेहूं की उपज के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती हैं। यदि इन तीन पत्तियां हरी-भरी रहे तो उपज पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है। गेहूं की खेती करने वाले किसान भाई कीटनाशकों का प्रयोग करते समय सबसे ऊपर की तीन से चार पत्तियों का विशेष ध्यान रखें और पौधे के ऊपरी हिस्से पर अच्छी तरह से छिड़काव करें। गेहूं की फसल में फ्लैग लीफ (ध्वजा पत्ता) का प्रकोप होता है।

  • लक्षण: फ्लैग लीफ (ध्वजा पत्ता) रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां मुड़ने लगती है और साथ ही रोग के लक्षण गेहूं की बालियों पर भी दिखाई देते हैं।
  • नियंत्रण के उपाय: गेहूं की फसल में फ्लैग लीफ (ध्वजा पत्ता) के लक्षण गेहूं की बालियों पर दिखाई देने लगते हैं। इस अवस्था में किसान फसल पर किसी भी प्रकार के रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव ना करें। गेहूं के खेत में सिंचाई कर हल्की नाइट्रोजन का प्रयोग करें और अपने क्षेत्र की मिट्टी के अनुसार नजदीकी कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें।

गेहूं की खेती में पीला रतुआ रोग: लक्षण और नियंत्रण के उपाय

हमारे देश में गेहूं की खेती से संबंधित क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष पीला रतुआ रोग से फसल खराब होती है। गेहूं में पीला रतुआ रोग से फसल को नुकसान हो सकता है। पीला रतुआ रोग का प्रकोप दिसंबर के आखिरी से मार्च के मध्य तक होता है क्योंकि इस समय तापमान 10°C से 15°C तक होता हैं।

  • लक्षण: पीला रतुआ रोग में गेहूं के पत्तों पर पीले या संतरी रंग की धारियां दिखाई देने लगती है। पीला रतुआ रोग से ग्रसित पत्तों को अंगुली और अंगूठे के बीच में रगड़ा जाता है तब फफूंद के कण उंगली या अंगूठे में चिपक जाते हैं और इसका रंग हल्दी जैसा दिखाई देता है।
  • नियंत्रण के उपाय: गेहूं की खेती करने वाले किसान भाइयों को अपने क्षेत्र के अनुसार उन्नत किस्म का चयन करना चाहिए। एक किस्म की अधिक क्षेत्रों में बुवाई नहीं करना चाहिए। गेहूं किसानों को जनवरी और फरवरी के माह में खेत के मध्य में जाकर निरीक्षण करना चाहिए। गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग के लक्षण दिखाई देने पर रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए। किसानों को रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव मौसम साफ होने पर ही करना चाहिए। रासायनिक कीटनाशकों के रूप में प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में प्रोपकोनाजोल की 200 मिली मात्रा का छिड़काव करें। यदि रोग का प्रकोप ज्यादा हो तब आवश्यकतानुसार दूसरी बार भी छिड़काव करें।

गेहूं की खेती में गुलाबी बेधक(गुलाबी छेदक कीट) रोग: लक्षण और नियंत्रण के उपाय

गेहूं की फसल में कुछ दिनों पहले गुलाबी बेधक कीट का प्रकोप देखा गया है। गुलाबी बेधक कीट को गुलाबी छेदक कीट भी कहते हैं। गुलाबी छेदक कीट का प्रकोप मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में होता है जहां कपास, मक्का, गन्ने और धान की खेती की गई हो। गुलाबी बेधक कीट फसल की फूटाव के समय ही नुकसान पहुंचाना प्रारंभ कर देते हैं। पौधे की नवीन अवस्था में फसल पर इस कीट का प्रकोप होता है और इसका लार्वा पौधे के तने में ऊतकों को खाता है।

  • लक्षण: गुलाबी बेधक कीट से प्रभावित फसल की प्रारंभिक अवस्था में ही तने में डेट हार्ट बन जाता है और शुरुआती अवस्था में ही प्रभावित पौधे पीले पड़ने लगते हैं। गुलाबी बेधक कीट से प्रभावित पौधों को उखाड़ने पर निचली शिराओं पर गुलाबी रंग की इल्लियां दिखाई देती हैं।
  • नियंत्रण के उपाय: गेहूं की फसल में गुलाबी बेधक(गुलाबी छेदक कीट) से प्रभावित कल्लों को हाथ से चुनकर नष्ट कर दें ताकि कीट का प्रकोप कम हो सके। यदि कीट का प्रकोप ज्यादा हो तब रासायनिक कीटनाशकों के रूप में प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में क्विनालफॉस 25% EC की 1000 मिली मात्रा का छिड़काव करना चाहिए।

किसान भाइयों के लिए आवश्यक सलाह

किसान भाई गेहूं की फसल में किसी भी प्रकार का रोग लगने पर अपने क्षेत्र की मिट्टी के अनुसार और नजदीकी कृषि विशेषज्ञों के सलाह के पश्चात् ही फसल पर उचित कीटनाशक का प्रयोग करें।

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