गाजर की खेती कैसे करें : नवंबर माह में करें गाजर की बुवाई , रखें कुछ सावधानियां और पाए बंपर कमाई

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गाजर की खेती क्यों करें??

गाजर भारत की प्रमुख सब्जी है साथ ही यह फल के रूप में भी इस्तेमाल की जाती है।गाजर एक जड़ वाली फसल है।गाजर के जड़ वाले भाग को खाने में प्रयोग किया जाता हैं।गाजर को सब्जी और फल के साथ सलाद के रूप में भी उपयोग किया जाता है। गाजर तीन रंगों में पाई जाती हैं – लाल , नारंगी और काली।लंबी , लाल या नारंगी रंग की अच्छी गुणवत्ता वाली गाजर अच्छी मानी जाती हैं।सितंबर के माह में गाजर की बुवाई के साथ दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक पैदावार प्राप्त हो जाती है।गाजर की बुवाई अगस्त के प्रारंभ में करने से अच्छा मुनाफा कमाया जाता है।गाजर की फसल से तीन से चार महीने में उपज प्राप्त कर सकते हैं।सर्दी के मौसम के साथ ही गाजर की बाजार मांग भी बहुत होती है इसलिए इसकी खेती करके किसान भाई काफी अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। हमारे देश में गाजर के लिए प्रमुख राज्य उत्तर प्रदेश , आंध्र प्रदेश , पंजाब , हरियाणा और कर्नाटक है।गाजर की हरी पत्तियों का भी उपयोग किया जाता है क्योंकि गाजर की हरी पत्तियां मुर्गियों के लिए चारे के रूप में काम करती हैं। गाजर की पैदावार लगभग प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल तक हो जाती है।गाजर की उन्नत किस्म का उपयोग बुवाई के लिए करना चाहिए जिससे कि अच्छी गुणवत्ता वाली फसल हमें प्राप्त हो।आइए , गाजर की उन्नत किस्मों और इसकी खेती से संबंधित जानकारी प्राप्त करें।

गाजर में पाए जाने वाले पोषक तत्व

गाजर स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे लिए लाभदायक होते हैं।गाजर के अंतर्गत प्रोटीन , विटामिन , मिनरल्स और कैरोटीन पाया जाता है जो सेहत के लिए अच्छा होता है। गाजर की जड़ों में अल्फा और बीटा कैरोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं।गाजर मे विटामिन K और विटामिन B6 मुख्य रूप से पाया जाता हैं। गाजर का सेवन नियमित करने से अल्सर और पाचन की समस्या दूर हो जाती हैं।गाजर खाने से आंखों की रोशनी भी बढ़ती हैं। गाजर खाने से पीलिया की समस्या दूर होने के साथ ही प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती हैं।

गाजर की विभिन्न किस्में

(1) पूसा मेघाली किस्म

गाजर की पूसा मेघाली किस्म के गुदे का रंग नारंगी और जड़ों का आकार गोल और लंबी होती हैं।इस किस्म की गाजर में कैरोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती हैं।गाजर की पूसा मेघाली किस्म की अगेती किस्मों की बुवाई का समय अगस्त से सितंबर का माह हैं।गाजर की पूसा मेघाली किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 250 से 350 क्विंटल हैं।गाजर की पूसा मेघाली किस्म के पकने की अवधि लगभग 100 से 110 दिन हैं।

(2) पूसा रुधिर किस्म

गाजर की पूसा रुधिर किस्म का रंग लाल और आकार में लंबी होती हैं।गाजर की पूसा रुधिर किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 280 से 300 क्विंटल हैं।

(3) पूसा जमदग्नि किस्म

गाजर की पूसा जमदग्नि किस्म के गुदे का रंग केसरिया और गुदा कोमल , उत्तम महक वाला और स्वादिष्ट होता हैं।इस किस्म के गाजर का हरी पत्तियों वाले भाग का आकार मंझौला होता हैं।गाजर की पूसा जमदग्नि किस्म जल्दी से वृद्धि करने वाली किस्म हैं और अधिक उत्पादन देने वाली किस्म हैं।गाजर की इस किस्म के पकने की अवधि भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न हैं लेकिन सामान्य रूप से पकने की अवधि लगभग 85 से 130 दिन हैं।

(4) नैनटिस किस्म

गाजर की नैनटिस किस्म एक यूरोपियन किस्म है।गाजर की इस किस्म की जड़ो का रंग नारंगी और आकार बेलनाकार होता हैं। जड़ों का अगला सिरे का आकार छोटा और पतला होता हैं।इस किस्म के गाजर का ऊपरी भाग का आकार छोटा और हरी पत्तियों वाला होता हैं।गाजर की नैनटिस किस्म अच्छी महक वाली , स्वादिष्ट और कोमल हैं।गाजर की इस किस्म को मैदानी भागों में तैयार नहीं कर सकते हैं।गाजर की नैनटिस किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 200 क्विंटल हैं।गाजर की नैनटिस किस्म के पकने की अवधि लगभग 110 से 120 दिन हैं।

(5) चैंटनी किस्म

गाजर की चैंटनी किस्म एक यूरोपियन किस्म है।गाजर की इस किस्म का रंग गहरा लाल नारंगी और आकार मोटा होता हैं।गाजर की इस किस्म को मैदानी भागों में तैयार कर सकते हैं।गाजर की चैंटनी किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 150 क्विंटल हैं।

(6) चयन नं 223 किस्म

गाजर की 5 किस्म एक एशियाई किस्म है लेकिन इसके गुण यूरोपियन किस्म नैनटिस के समान हैं।गाजर की इस किस्म की जड़ो का रंग नारंगी और लंबाई 15 से 18 सेमी होती हैं।गाजर की यह किस्म मीठी होती है और इसकी बुवाई देरी से भी की जा सकती हैं।गाजर की चयन नं 223 किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 200 से 300 क्विंटल हैं।गाजर की चयन नं 223 किस्म के पकने की अवधि लगभग 90 दिन हैं।

गाजर की खेती में खेत कैसे तैयार करें??

गाजर की खेती में खेत तैयार करने के लिए खेत की 2 से 3 गहरी जुताई करें। भूमि को समतल बनाने और मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए पाटा का प्रयोग करें।अब तैयार खेत में सड़ी गोबर की खाद को मिट्टी में मिला देना चाहिए।

गाजर की बुवाई कैसे की जाए??

गाजर की खेती में अच्छी गुणवत्ता की गाजर लेने और अच्छी उपज के लिए गाजर की बुवाई हल्की डोलियों पर करें।खेत में बनी डोलियों की चोटी पर नाली बनाकर बीजों की बुवाई करें। इन नालियों की गहराई 2 से 3 सेमी होना चाहिए।यदि दूरी की बात की जाए तो पौधों की आपसी दूरी 6 से 8 सेमी और डोलियों की आपसी दूरी 30 से 45 सेमी होना चाहिए।

गाजर की खेती में सिंचाई कब की जाए??

गाजर की फसल में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करना चाहिए।गाजर की फसल में 5 से 6 सिंचाई की जानी चाहिए।खेत में गाजर की बुवाई के समय नमी होना चाहिए इसके लिए प्रथम सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करना चाहिए।प्रथम सिंचाई के पश्चात् बाकी सिंचाई 15 से 20 दिन के अंतराल पर करें।गाजर के खेत में पानी डोलियों से ऊपर नहीं जाना चाहिए।पानी डोलियों के 3/4 भाग तक रहना चाहिए।

गाजर की खेती में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग

गाजर की खेती में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग निश्चित मात्रा में करें।गाजर की फसल के लिए खेत तैयार करते समय प्रति हेक्टेयर सड़ी गोबर की खाद की 20 से 25 टन मात्रा को जुताई के समय मिट्टी में मिला देना चाहिए।
रसायन के रूप में प्रति हेक्टेयर लगभग फास्फोरस की 20 किग्रा मात्रा , शुद्ध नाइट्रोजन की 20 किग्रा मात्रा और पोटाश की 20 किग्रा मात्रा का प्रयोग करें।नाइट्रोजन की 20 किग्रा मात्रा 3 से 4 सप्ताह पश्चात् खड़ी फसल में मिट्टी चढ़ाते समय प्रयोग करें।

गाजर की खेती में खरपतवार नियंत्रण

गाजर की खेती में खरपतवार नियंत्रण करना आवश्यक हैं।इसके लिए बुवाई के 4 सप्ताह पश्चात् 2 से 3 निराई-गुड़ाई अवश्य करें।
यदि गाजर के खेत में ज्यादा खरपतवार हो तब रासायनिक उत्पादों का प्रयोग करें। इसके लिए प्रति हेक्टेयर लगभग 900 से 1000 लीटर पानी में पेंडीमेथिलीन 30 E.C. की 3 किग्रा मात्रा के घोल का छिड़काव बुवाई से 48 घंटे के अंदर करना चाहिए।

गाजर की खुदाई का कार्य और प्राप्त उपज

गाजर की खुदाई का कार्य जब गाजर की जड़े मुलायम अवस्था में हों तब करें।गाजर की यूरोपियन किस्मों की खुदाई गाजर की बुवाई के 60 से 70 दिन पश्चात् करें और गाजर की एशियन किस्मों की खुदाई गाजर की बुवाई के 100 से 130 दिन पश्चात् करें।
गाजर की खेती यदि उन्नत तरीके और उचित तकनीक से की जाए तब गाजर से प्रति हेक्टेयर लगभग 28 से 32 टन तक उपज प्राप्त की जा सकती हैं।

गाजर की खेती में ध्यान रखने योग्य बातें..

गाजर की खेती में कुछ बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए जो इस प्रकार हैं –

  1. गाजर की खेती में उपयुक्त मिट्टी उचित जल निकासी वाली दोमट मिट्टी होना चाहिए।भारी और सख्त भूमि में गाजर की फोर्किग (गाठ पंजा) जैसी समस्या आती हैं।
  2. गाजर की खेती में उपयुक्त तापमान 12°C से 21°C होना चाहिए।
  3. गाजर की खेती में किसान भाई को यूरोपियन किस्मों की बुवाई अक्टूबर से नवंबर और एशियन किस्मों की बुवाई अगस्त से सितंबर के माह में करना चाहिए।
  4. गाजर की खेती में बुवाई हेतु बीजों की मात्रा प्रति हैक्टेयर लगभग 10 से 12 किग्रा होना चाहिए।
  5. गाजर की खेती में सही समय पर बुवाई न करने पर अंकुरण की समस्या के अलावा गाजर की गांठ बनने लगती है।मुख्य जड़ के अलावा अन्य जड़े निकल जाती हैं और गाजर का रंग सफेद हो जाता हैं इसलिए बुवाई सही समय पर करना चाहिए।
  6. गाजर की खेती में अच्छी उपज और गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त करने के लिए गाजर की बुवाई हल्की डोलियों पर करें।
  7. गाजर में अधिक सिंचाई ना करें क्योंकि अधिक पानी से गाजर का रंग सफेद हो जाता हैं और गाजर में रेशे बनने लगते हैं और गाजर में देर से सिंचाई करने से गाजर फटने लग जाती हैं।
  8. गाजर की खेती में खुदाई का कार्य समय पर करना चाहिए क्योंकि देरी से खुदाई करने पर गाजर का पौष्टिक गुण कम हो जाता हैं।

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