खेती में समय पर बुवाई का खास महत्व है, खासकर गेहूं और गन्ने जैसी फसलों के लिए। यदि गेहूं की कटाई के बाद गन्ने की बुवाई में देरी हो जाए, तो गन्ने की पैदावार में 35-50% तक की गिरावट हो सकती है। लेकिन फर्ब तकनीक (Furrow Irrigated Raised Bed System) इस समस्या का एक आधुनिक समाधान है। यह तकनीक किसानों को गेहूं और गन्ने की एक साथ बुवाई करने की सुविधा देती है, जिससे दोनों फसलों की पैदावार बढ़ती है और लागत में भी कमी आती है।
फर्ब तकनीक क्या है?
फर्ब तकनीक के तहत खेत में उठी हुई क्यारियां (रेज्ड बेड) और नालियां बनाई जाती हैं। इन क्यारियों पर गेहूं की बुवाई की जाती है और नालियों में गन्ने की बुवाई की जाती है।
- गेहूं की बुवाई नवंबर में होती है।
- गन्ने की बुवाई गेहूं के साथ या उसके तुरंत बाद की जाती है।
- यह पद्धति ट्रैक्टर चालित रेज्ड बेड मेकर की मदद से की जाती है, जो खेत को तैयार करने का काम आसान और कुशल बनाता है।
फर्ब तकनीक के फायदे
- उत्पादन में वृद्धि
- गेहूं और गन्ने की एक साथ बुवाई से दोनों फसलों की पैदावार बढ़ती है।
- गेहूं से प्रति एकड़ लगभग 17 क्विंटल और गन्ने से 60 टन तक उत्पादन संभव है।
- पानी की बचत
- क्यारियों में सिंचाई से पानी का सही उपयोग होता है और भारी बारिश में फसलें सुरक्षित रहती हैं।
- बीज की बचत
- इस तकनीक से 25% तक बीज की बचत होती है।
- गेहूं के लिए 30-32 किलो बीज प्रति एकड़ पर्याप्त होता है।
- लागत में कमी
- फसल की तैयारी और सिंचाई में लगभग 7-8 हजार रुपये प्रति एकड़ की बचत होती है।
किसानों के अनुभव
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर के किसान गुरु सेवक सिंह ने बताया कि फर्ब तकनीक से उनकी पैदावार में बड़ा सुधार हुआ है। पहले गन्ने की बुवाई में देरी से नुकसान होता था, लेकिन अब गेहूं और गन्ना दोनों की खेती से उन्हें अधिक उत्पादन और आमदनी मिल रही है।
फर्ब तकनीक अपनाने के सुझाव
समय पर बुवाई करें: नवंबर में गेहूं और उसके बाद गन्ने की बुवाई करें।
- रेज्ड बेड मेकर का उपयोग करें: यह उपकरण खेती को कुशल और तेज बनाता है।
- सिंचाई पर ध्यान दें: नालियों में हल्की सिंचाई गन्ने के अच्छे अंकुरण में मदद करती है।
Disclaimer:
यह लेख किसानों को जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। फसल प्रबंधन और तकनीकों को अपनाने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सलाह अवश्य लें।