जानिए धान की CR धान 416 किस्म की खासियत और फायदे
आज के समय में मौसम लगातार बदल रहा है, जिससे खेती करना मुश्किल हो गया है। ऐसे में वैज्ञानिक नई-नई फसलों की किस्में तैयार कर रहे हैं जो मौसम की मार झेलकर भी अच्छी पैदावार दे सकें। इन्हीं में से एक खास किस्म है CR धान 416, जिसे ओडिशा स्थित राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (ICAR-NRRI) ने विकसित किया है।
CR धान 416 किस्म कम लागत में ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्म है। यह कीट और बीमारियों के खिलाफ अच्छी प्रतिरोधक क्षमता रखती है, जिससे फसल खराब होने का खतरा कम होता है।
CR धान 416 किस्म की खासियत
- यह किस्म पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे तटीय इलाकों की जलवायु के लिए उपयुक्त है।
- फसल 125 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
- यह ब्राउन स्पॉट, नेक ब्लास्ट, शीथ सड़न, टुंग्रो रोग और ग्लूमे डिस्कलरेशन जैसी बीमारियों के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है।
- साथ ही, यह भूरे पौधे हॉपर, टिड्डी और तना छेदक जैसे कीटों से अच्छी तरह लड़ सकती है।
- इसकी उत्पादन क्षमता औसतन 48.97 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
- यह किस्म प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी की गई जलवायु अनुकूल 109 किस्मों में से एक है।
अब जानते हैं धान की कुछ अन्य लोकप्रिय किस्मों के बारे में जो अच्छी उपज देती हैं:
(1) पूसा-1401 बासमती धान
- इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और IARI ने मिलकर विकसित किया है।
- यह एक अर्द्ध बौनी किस्म है जो 135-140 दिन में पकती है।
- इससे 4-5 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार ली जा सकती है।
- इसके दाने लंबे, पतले और खुशबूदार होते हैं।
- यह बैक्टीरियल लीफ ब्लास्ट और लवणता के प्रति सहनशील है।
(2) पंत धान-12
- इस किस्म को ICAR और GB पंत यूनिवर्सिटी ने विकसित किया है।
- यह भी अर्द्ध बौनी किस्म है और 110-115 दिनों में तैयार हो जाती है।
- यह खासतौर पर उत्तर भारत के सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
- इससे 7-8 टन प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन संभव है।
(3) पूसा 834 बासमती धान
- IARI द्वारा विकसित यह किस्म 125-130 दिनों में तैयार होती है।
- यह पत्ती झुलसा रोग और लवणता के प्रति सहिष्णु है।
- इसे कम गुणवत्ता वाली मिट्टी और पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है।
- इससे 6-7 टन प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन होता है।
(4) पीएचबी 17 (PHB 17)
- यह किस्म अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI), फिलीपींस द्वारा तैयार की गई है।
- यह 105-110 दिन में पक जाती है और 6-7 टन प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है।
- यह लीफ ब्लास्ट, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट और टुंग्रो वायरस जैसी बीमारियों के प्रति सहनशील है।
- यह खासकर दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मानी गई है।
अगर आप धान की खेती करते हैं और कम लागत में अच्छी पैदावार चाहते हैं, तो ये किस्में आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती हैं।