धान की खेती में नई तकनीक – श्री विधि (SRI Method)
भारत में खरीफ सीजन में कई राज्यों में धान की खेती होती है। किसानों की सबसे बड़ी जरूरत है – कम खर्च में ज्यादा पैदावार। इस जरूरत को पूरा करने के लिए एक आधुनिक तकनीक सामने आई है जिसे श्री विधि या SRI (System of Rice Intensification) कहा जाता है। यह विधि मेडागास्कर से शुरू हुई थी और अब भारत में भी तेजी से अपनाई जा रही है।
श्री विधि क्या है?
श्री विधि में 8 से 12 दिन पुराने छोटे पौधे इस्तेमाल होते हैं। पौधों को 20×20 सेमी की दूरी पर लगाया जाता है जिससे हर पौधे को भरपूर हवा, पानी और पोषण मिल सके।
इसमें खेत में पानी पूरी तरह नहीं भरा जाता, बल्कि “भर-खाली” पद्धति अपनाई जाती है यानी कुछ दिन गीला रखा जाता है, फिर सूखने दिया जाता है। इससे पानी की भी बचत होती है।
इस विधि में गोबर, वर्मी खाद जैसे जैविक खाद का ज्यादा उपयोग किया जाता है जिससे जमीन की उर्वरता बनी रहती है।
श्री विधि के फायदे
- बीज की 80 से 90 प्रतिशत तक बचत होती है। सिर्फ 5 से 8 किलो बीज प्रति हेक्टेयर में काम हो जाता है।
- 25 से 50 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है।
- पैदावार में 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी देखी गई है। जहां पारंपरिक तरीके से 4 से 6 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है, वहीं श्री विधि से 6 से 10 टन तक धान मिल सकता है।
- लागत कम आती है और आमदनी बढ़ती है। जैसे नेपाल में 39,500 रुपए प्रति हेक्टेयर तक का शुद्ध मुनाफा देखा गया है।
श्री विधि से खेती कैसे करें?
सबसे पहले नर्सरी तैयार करें। इसके लिए 10 मीटर लंबा और 5 सेमी ऊंचा बेड बनाएं। उसमें 50 किलो गोबर खाद मिलाएं और 120 ग्राम बीज प्रति बेड के हिसाब से बोएं। 15 से 21 दिन में पौधे तैयार हो जाएंगे।
खेत की तैयारी में गहरी जुताई करें और खरपतवार साफ करें। खेत को हल्का गीला रखें। फिर खेत में 20×20 सेमी की दूरी पर एक-एक पौधा लगाएं। पौधे लगाते समय ध्यान दें कि जड़ें सीधी रहें और 2 सेमी गहराई तक रोपें।
खरपतवार साफ करने के लिए कोनो वीडर जैसे औजारों का इस्तेमाल करें। मिट्टी की जांच कर सही मात्रा में गोबर, वर्मी खाद और यूरिया डालें।
पानी के लिए श्री विधि की खास तकनीक अपनाएं – खेत को हल्का गीला रखें, फिर कुछ दिन सुखा दें। यह चक्र चलता रहता है।
पर्यावरण को भी होता है फायदा
इस विधि से मीथेन जैसी गैसों का उत्सर्जन 30 से 70 प्रतिशत तक कम हो जाता है। मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है और फसल सूखे में भी टिक सकती है।
उपज कितनी बढ़ सकती है?
जहां पारंपरिक तरीके से 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान पैदा होता है, वहीं श्री विधि से 35 से 50 क्विंटल तक उपज हो सकती है। कुछ ट्रायल में 12 से 14 टन प्रति हेक्टेयर तक भी उत्पादन मिला है।
नतीजा
श्री विधि यानी मेडागास्कर विधि किसानों के लिए फायदेमंद है। इससे पानी, बीज और रासायनिक खाद की खपत कम होती है, लागत घटती है और उत्पादन व आमदनी बढ़ती है।