धान की फसल के कीट और रोग निवारण के लिए करें ये प्राकृतिक उपाय
खरीफ फसलों की बात की जाए तो खरीफ फसलों में धान का प्रमुख स्थान है। कई जगहों पर इस बार लगातार बारिश होने के कारण धान की फसल को नुकसान होने की संभावना अधिक है इसलिए किसान भाई इस बात का ध्यान रखें कि धान के रोपण के लगभग 20 दिन पश्चात पाटा लगाकर धान की फसल को कीटों से बचाएं क्योंकि धान की फसल में पाटा चलाने से कीटों से फसल को होने वाले नुकसान की संभावना कम रहती है। धान की फसल की छोटी अवस्था में ही कीट लगने पर फसलों की सुरक्षा करें। धान की फसल में पाटा लगाकर कीटों से फसल को बचाया जा सकता हैं। इसमें कीटनाशक की भी आवश्यकता नहीं होगी जिससे लागत बचेगी। धान की फसल में होने वाले इस नुकसान से इस तरीके से बचाया जा सकता है।
धान की फसल में पाटा चलाने का फायदा
धान की फसल में पाटा चलाने के बहुत फायदे हैं। पाटा एक प्रकार की एक लकड़ी होती है जिसको खेत में फसल के ऊपर चलाया जाता है इससे पत्तियां पानी में डूब जाती हैं और कीड़े पानी में गिरकर मर जाते हैं। खरीफ सीजन में धान की फसल में लगातार बारिश होने से कई प्रकार के कीट रोग लग जाते हैं जैसे राइस हिस्पा, पत्ती फुदका और लपेटक आदि। इन कीटों से फसल को नुकसान होता है यदि किसान भाई धान के रोपण के 15 से 20 दिन के पश्चात खेत में पाटा लगाकर चलाएं तो कीटों से सुरक्षा की जा सकती है। इस प्रकार किसान भाई बिना किसी दवा और महंगे कीटनाशक के प्रयोग के बिना ही फसल की प्रारंभिक अवस्था में ही कीटों से फसल की सुरक्षा कर सकते हैं।
धान की फसल में कितनी बार चलाए पाटा
धान की फसल में पाटा चलाने की बात करें तो पाटा चलाने का फायदा खेत में पानी कम होने पर अधिक होता है। फसल के रोपण के 15 से 20 दिन पश्चात प्रथम बार फसल पर पाटा चलाना चाहिए और यदि फिर भी कीटों से सुरक्षा न हो तो फसल के 30 से 35 दिन पश्चात् एक बार फिर से खेत में पाटा चला दें।
धान की फसल में पाटा चलाने का तरीका
किसान भाइयों को धान की फसल में पाटा चलाने का तरीका भी आना चाहिए। पाटा चलाते समय ध्यान रहे की धान की फसल में पानी होना चाहिए तभी कीटों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके लिए धान की रोपण के 20 दिन के पश्चात पाटा चलाएं। इसके लिए 10 से 15 फीट लंबाई का बांस लें और इससे दो बार पाटा चलाएं क्योंकि इससे धान की जड़ों में झटका लगने से चिपके हुए कीट भी गिर जाते हैं और पानी में गिरकर मर जाते हैं। पाटा चलाते समय किसान भाई इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पाटा सीधी और उल्टी दोनों दिशा में चलना चाहिए। पहली बार सीधी तरफ और दूसरी बार उल्टी तरफ पाटा चलाएं। इससे कीट आसानी से पानी में गिरकर मर जाएंगे।
कीटों से छुटकारा पाने के लिए बेर की लकड़ी घुमाएं
कीटों से छुटकारा पाने के किसानों की यह पारंपरिक विधि है। कई देशों जैसे चीन, जापान, कंबोडिया और कोरिया आदि जगहों पर किसान इस उपाय के द्वारा कीटों द्वारा फसल को होने वाले नुकसान से बचाते हैं। इसके अनुसार धान की प्रारंभिक अवस्था में बेर की लकड़ी को फसल पर घुमाकर कीटों से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। इसके अनुसार बेर की एक डाल को काटकर पूरे खेत में फसल पर घुमाया जाता है जिससे बेर के कांटों में कीड़े फंसकर अलग हो जाते हैं और गिरकर मर जाते हैं किंतु यह प्रक्रिया धान के प्रारंभिक अवस्था में सरलता पूर्वक की जा सकती है।
धान की फसल को कीटों से बचाने के अन्य उपाय
धान की फसल को कीटों से बचाने के अन्य तरीके भी हैं।
• धान की प्रारंभिक अवस्था में पानी की तेज फुहार से लगने वाले कमजोर कीटों को गिराकर खत्म किया जा सकता है।
• इसके तहत किसान भाई धान के खेत में बत्तख को पालकर भी कीड़ों को दूर कर सकते हैं क्योंकि बत्तख कीट पतंगों को खा जाती है जिससे फसल सुरक्षित हो जाती हैं।
• धान के खेत में मछली को पालकर भी कीटों से छुटकारा पा सकते हैं क्योंकि मछलियां धान में लगने वाले कीड़ों को खा जाती हैं इससे कीटों से सुरक्षा मिल जाती है।
इन अन्य तरीकों द्वारा भी फसल को कीटों से बचाया जा सकता है।
धान को कीटों से बचाने की जैविक तकनीक
धान को कीड़ों से बचाने के लिए जैविक तकनीक का भी उपयोग किया जा सकता है। इसके अनुसार कीटों से फसल को बचाने के लिए जैविक तरीके से बनाया गया एक उत्पाद एंजाइम गोल्ड है। इस जैविक उत्पाद एंजाइम गोल्ड को समुद्री घास से बनाया गया है। यह जैविक उत्पाद धान के पौधों में वृद्धि करने के साथ ही पौधों में लगने वाले कीड़ों से फसल को बचाता है। अब बात करें इसके उपयोग की तो इस उत्पाद को लगभग प्रति हेक्टेयर 500 मिलीलीटर की मात्रा में छिड़काव किया जाता है। इसका घोल बनाने के लिए मात्रा 1 लीटर पानी में एक मिलीलीटर इस उत्पाद को मिलाया जाता है। किसान भाई फसल की किस्म और मिट्टी के अनुसार पूर्ण जानकारी के बाद ही किसी भी उत्पाद का छिड़काव अपनी फसल पर करें जिससे फसल में कोई नुकसान ना हो।