चीना की खेती क्यों करना चाहिए
बारिश के प्रारंभ होते ही खरीफ की फसलों की बुवाई प्रारंभ हो जाती है और किसान खरीफ फसलों में धान, मक्का, बाजरा आदि की फसलों की बुवाई करते हैं और कुछ किसान भाइयों द्वारा सोयाबीन की बुवाई की जाती है। इन फसलों के अतिरिक्त किसान कुछ ऐसी फसलों की खेती पर विशेष ध्यान दें जिससे बेहतर मुनाफा प्राप्त हो सके और इसी फसल के रूप में चीना की खेती एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है। चीना एक मोटा अनाज है। चीना की खेती करके किसान भाई अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। सरकार की ओर से चीना की खेती के लिए किसानों को बीज भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। चीना की फसल मात्र 60 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था ना होने के कारण धान की खेती ना कर रहे किसान चीना जैसे मोटे अनाज की खेती करके मुनाफा कमा सकते हैं। किसानों द्वारा खेत खाली छोड़ देने के स्थान पर चीना की खेती करके मुनाफा प्राप्त करना एक अच्छा विकल्प है। इस वर्ष बिहार के गया में कृषि विभाग की ओर से लगभग 5 हेक्टेयर भूमि पर चीना की खेती करवाने का उद्देश्य है और इस हेतु किसानों को चीना के बीजों का वितरण भी किया जाएगा।
चीना अनाज क्या है
चीना एक मोटा अनाज है और इसे कई नामों से जाना जाता है। इसकी खेती हमारे देश में पहले के समय से हो रही है और हमारे देश के अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे-
गुजरात में इसे चेनो, महाराष्ट्र में इसे वरी, कर्नाटक में इसे बरागु, तमिलनाडु में इसे पानी वारागु और पंजाब एवं बंगाल में इसे चीना के नाम से जाना जाता है।
चीना के पौधे की ऊंचाई लगभग 45 से 100 सेंटीमीटर होती है। इसकी जड़ें पतली और रेशेदार होती हैं। इसके बीजों का रंग लाल, पीला, सफेद या काला होता है। इसका तना पतला और सूजे हुए गांठों के समान होता है।
चीना में पाए जाने वाले पोषक तत्व
चीना एक मोटे अनाज की श्रेणी में आता है जिसे कई रूपों में खाया जाता है। इसे रोटी, खीर और भात बनाकर खाया जाता है। चीना को सुखाकर, भिगोकर और भूनकर तीनों रूपों में खाया जा सकता है। इसके सेवन से शरीर में खून की कमी को दूर किया जा सकता है और यह ब्लड प्रेशर और मधुमेह रोगियों के लिए लाभदायक है। इसे खाने से काफी समय तक भूख नहीं लगती है और यह आसानी से पच जाता है जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
इसमें पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जैसे –
लोहा और कार्बोहाइड्रेट के अलावा प्रति 100 ग्राम में लगभग 11.18 ग्राम खनिज और 13.11 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है।
चीना : धान के रूप में एक अच्छा विकल्प
चीना की खेती किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प है क्योंकि सिंचाई व्यवस्था ना होने के कारण जिन किसानों ने धान की बुवाई नहीं की है और खेतों को खाली छोड़ा है, उनके लिए चीना की खेती करना एक सार्थक और लाभकारी उपाय है। इस वर्ष चीना के बीज मायापुर फार्म (टनकुप्पा प्रखंड) में तैयार किए जाएंगे जिससे कि किसानों को एक अच्छा विकल्प चीना के रूप में मिल सके।
भारत में चीना की खेती से संबंधित राज्य
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु।
चीना की खेती के लिए समय निर्धारण
चीना की खेती खरीफ की फसलों के मौसम में की जाती है। इसकी बुवाई जून या उसके बाद की जाती है। कुछ क्षेत्रों में इसकी बुवाई गर्मियों में मानसून से पहले भी कर दी जाती है। फसल लगभग 60 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है।
चीना की खेती के लिए मिट्टी का निर्धारण
चीना की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में हो सकती है। यह बंजर और रूखी-सूखी भूमि में भी आसानी से उगाई जा सकती है। इससे किसान अनुपयोगी ज़मीन से भी मुनाफा कमा सकते हैं।
चीना की खेती के लिए खेत तैयार करने की प्रक्रिया
खेत की पिछली फसल की कटाई के बाद जुताई करें। खेत को धूप के लिए छोड़ दें। मानसून प्रारंभ होते ही 2–3 बार जुताई करके समतल करें।
गर्मियों में बुवाई हो तो पहले सिंचाई करें। पाटा चलाकर खेत समतल करें। देसी हल या हैरो से क्यारियाँ बनाएं और बीज बोएं। लगभग 60 दिनों में फसल तैयार हो जाएगी।
चीना की खेती में बुवाई कैसे करें
बुवाई के लिए सीधी बुवाई तकनीक अपनाएं। 4–5 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है। बुवाई से पूर्व सरेसन या एग्रोसन GN (2.5 ग्राम प्रति किग्रा) से बीजों को उपचारित करें। कतारों की दूरी 25 सेंटीमीटर और पौधों की दूरी 10 सेंटीमीटर रखें।
चीना की खेती में सिंचाई प्रक्रिया
सामान्यतः बहुत कम सिंचाई की जरूरत होती है। कल्ले निकलने की अवस्था में सिंचाई आवश्यक होती है। सूखा होने पर या उत्पादन बढ़ाने के लिए भी सिंचाई करें।
चीना की खेती से प्राप्त उत्पादन
उपयुक्त तरीके से खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 12 से 15 क्विंटल अनाज और 20 से 25 क्विंटल भूसा प्राप्त होता है। भूसा पशु चारे के रूप में उपयोगी होता है।
चीना अनाज की बाजार में कीमत
चीना का बाजार भाव ₹4800 से ₹5000 प्रति क्विंटल तक होता है। दो महीने में अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। इससे खेत खाली छोड़ने की समस्या भी समाप्त होगी और कम पानी में बेहतर उत्पादन प्राप्त होगा।
चीना के बीज पर मिलने वाली सब्सिडी और सरकारी योजनाएं (2025 में)
- मध्य प्रदेश: मिनी डॅल मिल और मोटा अनाज मिल पर 50–60 प्रतिशत तक सब्सिडी मिल रही है, आवेदन की समय सीमा जनवरी 2025 तक बढ़ाई गई है।
- मध्य प्रदेश सरकार 2023–25 की अवधि में सभी जिलों में ‘श्री अन्ना मिशन’ के तहत प्रमाणित बीज पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दे रही है।
- मध्य प्रदेश ने 2024–25 मार्केटिंग सीज़न में रागी, बाजरा और ज्वार पर MSP बढ़ाकर ₹4290, ₹2625 और ₹3371 प्रति क्विंटल किया है।
- तमिलनाडु में वर्ष 2025–26 के लिए मिलेट मिशन के तहत प्रति एकड़ ₹2400 की पैकेज योजना लागू की गई है।
- उत्तर प्रदेश के 47 जिलों में “श्री अन्ना” (मोटा अनाज) को बढ़ावा देने के लिए खरीफ 2025–26 में विशेष विकास योजनाएं शुरू की गई हैं।
- मध्य प्रदेश सहित उड़ीसा, तेलंगाना और उत्तराखंड जैसे राज्यों में भी मिलेट रिसर्च, सब्सिडी, मंडी सुधार और शैक्षणिक सहयोग जैसी योजनाएं प्रोत्साहित की जा रही हैं।