चने की उन्नत किस्म : जानिए चने की प्रति हेक्टेयर 32.9 क्विंटल उत्पादन देने वाली उन्नत किस्म के बारे में

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चने की उन्नत किस्म से संबंधित जानकारी..

चना एक दलहनी फसल हैं।खरीफ की सीजन के पश्चात् अब रबी के सीजन की प्रारंभिक अवस्था है जिसमें रबी की फसलों की बुवाई का कार्य प्रारंभ हो चुका है।रबी सीजन की फसलों में चने की खेती भी अपना एक अलग ही महत्व रखती हैं।रबी के सीजन में चने की खेती मुख्य रूप से की जाने वाली खेती हैं।चना दलहनी फसल होने के कारण यह भूमि से नाइट्रोजन को एकत्रित करके भूमि में पहुंचाती है जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती हैं।चने की फसल में दाने के आकार का बहुत महत्व होता है क्योंकि दानों के आकार के आधार पर बाजार भाव निश्चित होता हैं।देश में दलहन व तिलहन के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए सरकार भी किसान भाइयों को दलहन व तिलहन फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।सरकार द्वारा दलहन व तिलहन की बुवाई के लिए इसकी उन्नत किस्मों की बुवाई पर जोर दिया जा रहा हैं।कृषि वैज्ञानिक और कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा भी दलहन फसलों की कई उन्नत किस्में विकसित की गई है।इसी क्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान(IARI)(पूसा) की ने चने की नई उन्नत किस्म विकसित की हैं जो कम खर्च में अधिक उत्पादन देने में सक्षम हैं।चने की इस उन्नत किस्म का नाम पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) किस्म हैं।चने की इस किस्म से प्राप्त उत्पादन प्रति हैक्टेयर लगभग 32.9 क्विंटल हैं।किसान भाई चने की खेती के लिए उन्नत किस्म का चयन करें।आइए , चने की इस उन्नत किस्म से संबंधित जानकारी प्राप्त करें

चने की पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) किस्म की खासियत

चने की पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) किस्म को केंद्रीय किस्म विमोचन समिति की ओर से वर्ष 2021 में खेती के लिए जारी किया गया था।चने की यह किस्म सिंचित अवस्था और रबी सीजन में समय से बुवाई के लिए अनुशंसित की गई किस्म हैं।चने की यह किस्म मध्य भारत के राज्य मध्यप्रदेश , महाराष्ट्र और गुजरात के लिए उपयुक्त किस्म हैं।चने की पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) किस्म की खासियत इस प्रकार हैं –

  • चने की पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) किस्म सिंचित अवस्था और रबी सीजन में समय से बुवाई के लिए अनुशंसित की गई किस्म हैं।
  • चने की पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) किस्म शुष्क जड़ गलन , फली भेदक , कॉलर रॉट और स्टंट रोगों के प्रति मध्यम सहनशील किस्म हैं।
  • चने की पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) किस्म फुसैरियम विल्ट रोग के लिए अति सहनशील किस्म हैं।
  • चने की पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) किस्म के 100 बीजों का वजन लगभग 19.5 ग्राम होता हैं और इस किस्म में प्रोटीन की लगभग 18.9 प्रतिशत मात्रा होती हैं।
  • चने की पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) किस्म से प्राप्त औसत उत्पादन प्रति हैक्टेयर लगभग 23.9 क्विंटल हैं।चने की इस किस्म से अधिकतम उत्पादन प्रति हैक्टेयर पैदावार 32.9 क्विंटल तक प्राप्त किया जा सकता हैं।
  • चने की पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) किस्म के पकने की अवधि लगभग 108 दिन हैं।

चने की इस उन्नत किस्म की बुवाई की प्रक्रिया

  • चने की खेती में अधिक उपज प्राप्त करने के लिए सिंचित और असिंचित क्षेत्रों में इसकी बुवाई का उचित समय अक्टूबर का पहला और दूसरा सप्ताह हैं।जिन क्षेत्रों में उकटा रोग का प्रकोप अधिक हो वहां इसकी बुवाई देर से करना चाहिए।
  • चने की खेती के लिए मिट्टी की बात की जाए तो चने की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली अम्लीय और क्षार से मुक्त हल्की दोमट मिट्टी होना चाहिए।मिट्टी का PH मान 6.6 से 7.2 के मध्य हो।चने की खेती में बीजों की उचित मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
  • यदि चने की बड़े दाने वाले किस्म की बुवाई की जाए तो बीजों की मात्रा प्रति हेक्टेयर लगभग 100 किग्रा होना चाहिए।यदि चने के छोटे दाने वाले किस्म की बुवाई की जाए तो उसके तो बीजों की मात्रा प्रति हेक्टेयर लगभग 50 से 60 किग्रा होना चाहिए।चने की काबुली किस्म के लिए बीजों की मात्रा प्रति हेक्टेयर लगभग 100 से 125 किग्रा होना चाहिए।चने की पछेती बुवाई के लिए बीजों की मात्रा प्रति हेक्टेयर लगभग 90 से 100 किग्रा होना चाहिए।
  • चने की फसल में दीमक के नियंत्रण के लिए बीजों को उपचारित करें।इसके लिए रसायन के रूप में 100 किग्रा बीज में 600 मिली क्लोरोपायरीफॉस 20 EC से बीजों को उपचारित करना चाहिए।चने की खेती में जड गलन व उकठा रोग से बचाव के लिए बीजों को उपचारित करने के लिए प्रति किग्रा बीज में मैन्कोजेब की 2 ग्राम मात्रा या कार्बेंडाजिम की 2 ग्राम मात्रा और थाईरम की 2.5 ग्राम मात्रा से बीजों को उपचारित करने के पश्चात् बुवाई करें।
  • चने की बुवाई से पूर्व खेत तैयार करने के लिए खेत की पहली जुताई ट्रैक्टर से जोड़कर चलने वाले मिट्टी पलटने वाले हल या डिस्क हैरो की सहायता से करें।इसके पश्चात् एक क्रॉस जुताई करना चाहिए।इसके पश्चात् खेत को समतल बनाने के लिए पाटा का प्रयोग करें।चने की बुवाई के लिए सीड ड्रिल का प्रयोग करें और बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होना चाहिए।चने की खेती में यदि खेत में नमी कम हो तब बीजों को नमी के लिए गहराई में बुवाई करें।
  • सिंचित क्षेत्रों में बीजों की बुवाई 5 से 7 सेमी गहराई में और बारानी क्षेत्रों में बीजों की बुवाई 7 से 10 सेमी गहराई में करनी चाहिए।चने की खेती में यदि दूरी की बात की जाए तब पौधों की आपसी दूरी 10 सेंटीमीटर और कतारों की आपसी दूरी 30 सेंटीमीटर होना चाहिए और पंक्तियों(कूंड़ों) की आपसी दूरी 30 सेंटीमीटर होना चाहिए।चने की पछेती किस्म की बुवाई में कतारों की आपसी दूरी 25 सेंटीमीटर कर देना चाहिए।चने की बुवाई में यदि काबुली किस्म की बुवाई की जा रही हो तब पंक्तियों(कूंड़ों) की आपसी दूरी 45 सेंटीमीटर होना चाहिए।चने की खेती में पौधों की संख्या प्रति वर्ग मीटर 25 से 30 होना चाहिए।

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