अगस्त में करें इन सब्जियों की खेती और पाए भरपूर लाभ

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बारिश का मौसम और अगस्त माह में सब्जी बुवाई का महत्त्व

बारिश का मौसम किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है क्योंकि इसमें प्रत्येक फसल के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है और अन्य फसलों के लगाने और रोपण का कार्य भी उचित तरीके से हो जाता है। बारिश में कई फसलों में पानी की अधिक मात्रा से और कई फसलों में कम पानी से भी नुकसान होता है इसलिए बारिश के मौसम के अनुसार अगस्त के माह में कुछ ऐसी फसलों की बुवाई की जा सकती है जो फायदेमंद हो। इसी क्रम में सब्जियों की बुवाई अगस्त के माह में करना किसानों के लिए फायदेमंद होता है। अगर हम बात करें इन सब्जियों में तो जिस प्रकार जुलाई के महीने में धनिया, टमाटर और हरी मिर्च की खेती होती है उसी प्रकार अगस्त के माह में पालक, फूल गोभी, चौलाई, धनिया, गाजर और शलजम की बुवाई की जानी चाहिए क्योंकि जुलाई और अगस्त का महीना सब्जियों की बुवाई के लिए उचित होता है क्योंकि इसमें सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। आइए अगस्त के माह में बोई जाने वाली सब्जियों के बारे मे जानकारी लें। यह सब्जियां इस प्रकार हैं

पालक

बारिश की सीजन में अगस्त के महीने में पालक की भी खेती की जा सकती है। पालक सब्जी के अलावा ज्यूस के रूप में भी उपयोग होता है। इसकी मांग साल भर रहती है क्योंकि पालक एक लाभदायक फसल है। चूंकि पालक की खेती बारिश के मौसम में करने से यह अति शीघ्रता से बढ़ती है। पालक की खेती में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है, इसीलिए इसकी बुवाई बारिश में फायदेमंद होती है।
पालक की बुवाई के लिए दूरी की बात करें तो इसके बीजों को आधे से 1 इंच की गहराई में बोना चाहिए तथा पौधों की आपसी दूरी 20 से 30 सेंटीमीटर रखना चाहिए।
पालक के लिए मिट्टी पर्याप्त जीवाश्म वाली होना चाहिए तथा पालक के लिए उपयुक्त मिट्टी रेतीली दोमट मिट्टी है। पालक की खेती में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है इसीलिए इसकी बुवाई बारिश में फायदेमंद होती है।

फूलगोभी

फूल गोभी एक ऐसी सब्जी है जिसकी मांग वर्ष भर रहती है और यह सब्जी भी वर्ष भर चलती है किंतु यदि सर्दी के मौसम में फूलगोभी प्राप्त हो इसके लिए पौधों का रोपण अगस्त से सितंबर के माह में करना चाहिए क्योंकि अगस्त में बुवाई करने से सर्दी के मौसम के पहले ही फसल प्राप्त हो जाती है। फूलगोभी की उन्नत किस्म की बुवाई की जानी चाहिए जिससे हमें उच्च गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त हो।
फूलगोभी की खेती की प्रक्रिया की बात करें तो खेत तैयार करते समय दो बार जुताई करें और खेत को समतल बनाएं तथा सड़ी गोबर की खाद को मिट्टी में मिला दें।
फूलगोभी की खेती के लिए तापमान 15°C से 25°C होना चाहिए। वहीं अगर मिट्टी की बात करें तो फूलगोभी के लिए उपयुक्त मिट्टी बलुई दोमट मिट्टी होती है और मिट्टी का PH मान 7 से कम हो तथा पौधों की आपसी दूरी 40 से 50 सेंटीमीटर हो।

चौलाई

चौलाई एक पत्तेदार सब्जी होती है। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती है। चौलाई को गर्मी और बारिश के मौसम में उगाया जाता है। किसान भाई चौलाई की खेती बेहतर तरीके से कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
चौलाई की खेती के लिए मिट्टी उचित जल निकासी वाली हो जिससे जल भराव की समस्या ना हो। इसकी खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी रेतीली दोमट मिट्टी होती है तथा इसकी खेती के लिए उपयुक्त जलवायु गर्म जलवायु है।

धनिया

धनिया मसाले वाली फसलों के अंतर्गत आने वाली फसल है। धनिया का हरे पत्ते का उपयोग किया जाता है तथा साथ ही सूखने पर इसके बीजों को मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। धनिए की महक इतनी अच्छी होती है कि इसको सब्जी में उपयोग करने से सब्जी का स्वाद बढ़ जाता है।
धनिया उगाने पर पहले हरी पत्तियों को बेचकर इससे कमाई की जाती है तथा सूखने पर बेचने पर मसाले के रूप में उपयोग होने के कारण मुनाफा प्राप्त किया जाता है। इस प्रकार किसान धनिया से दुगना लाभ प्राप्त कर लेते हैं।

गाजर

गाजर एक जड़ वाली फसल है। गाजर की बुवाई अगस्त के प्रारंभ में करने से अच्छा मुनाफा कमाया जाता है। गाजर स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे लिए लाभदायक होते हैं।
गाजर के अंतर्गत प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और कैरोटीन पाया जाता है जो सेहत के लिए अच्छा होता है। गाजर की हरी पत्तियों का भी उपयोग किया जाता है क्योंकि गाजर की हरी पत्तियां मुर्गियों के लिए चारे के रूप में काम करती हैं।
गाजर की पैदावार लगभग प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल तक हो जाती है। गाजर की उन्नत किस्म का उपयोग बुवाई के लिए करना चाहिए जिससे कि अच्छी गुणवत्ता वाली फसल हमें प्राप्त हो।
गाजर की खेती के लिए खेत तैयार करने की प्रक्रिया में पहले मिट्टी को गहरी जुताई कर समतल बना लें। खेत को समतल बनाने के लिए पाटा का उपयोग करें जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाती है। अब मिट्टी में सड़ी हुई गोबर की खाद को मिला दें, इसके पश्चात गाजर की उन्नत किस्म की बुवाई करें।

शलजम

बरसात के मौसम में बोई जाने वाली फसलों में एक फसल शलजम है जिसकी बुवाई अगस्त के माह में की जा सकती है। शलजम भी गाजर की तरह एक जड़ वाली फसल है। इसकी मांग भी बाजार में बनी रहती है।
शलजम का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे – कैल्शियम, विटामिन C, विटामिन K आदि। शलजम के पत्ते पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं इसलिए शलजम सेहत के लिए फायदेमंद फसल होती है।
शलजम की खेती में खेत तैयार करने के लिए तीन से चार बार गहरी जुताई करें। इसके पश्चात खेत को समतल बनाने के लिए पाटा का उपयोग करें तथा इसमें मिट्टी में कंपोस्ट खाद को मिला दें। शलजम की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी रेतीली और बलुई मिट्टी होती है क्योंकि चिकनी और कड़क मिट्टी में इसकी खेती उचित रूप से नहीं हो पाती है।

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