क्यों करें काली हल्दी की खेती??
भारत में किसानों द्वारा परंपरागत खेती के अलावा फलों की खेती और अन्य व्यापारिक खेती भी की जा रही है। इसी दौर में सरकार की ओर से किसानों की आय में वृद्धि के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके फलस्वरूप सरकार द्वारा औषधीय फसलों और अन्य फसलों की ओर किसान भाइयों को प्रोत्साहित किया जा रहा है तथा कई फसलों की खेती में सब्सिडी भी प्रदान की जाती है। औषधीय फसलों की खेती करके किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं और औषधीय फसलों में काली हल्दी की खेती के बारे में जानेंगे। इसकी खेती करके काफी अच्छा लाभ प्राप्त किया जा सकता है। काली हल्दी से पैदावार कम मात्रा में प्राप्त होती है किंतु इसको कुछ क्षेत्र में लगाकर कम पैदावार में भी अच्छा लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
काली हल्दी क्या है??
काली हल्दी का वानस्पतिक नाम करक्यूमा केसिया है। काली हल्दी को अंग्रेजी में ब्लैक जेडोरी कहते हैं। काली हल्दी के पौधे की ऊंचाई 360 सेंटीमीटर होती है और यह तनाव रहित पौधा होता है। पत्तियों का आकार छोटा भालाकार और ऊपरी सतह पर नीला बैंगनी रंग की मध्य में शिरायुक्त होती है। काली हल्दी के फूल किनारों पर सहपत्र लिए हुए गुलाबी रंग के होते हैं। काली हल्दी के कंद का आकार बेलनाकार और गहरे रंग के होते हैं और सूख जाने पर कठोर क्रिस्टल का निर्माण करते हैं। इसके कंद का रंग कालिमायुक्त होता है।
काली हल्दी के फायदे
काली हल्दी औषधीय पौधों में आती है, इसलिए यह फायदेमंद होती है। काली हल्दी अपने स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण देश-विदेश में काफी प्रसिद्ध है। काली हल्दी का प्रयोग मुख्य रूप से ब्यूटी प्रोडक्ट और रोग नाशक दोनों में किया जाता है। इसमें एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं, इसलिए इसका इस्तेमाल पाचन, लीवर, घाव, मोच और त्वचा रोग में होता है। यह वसा को भी कम करने में सहायक होती है। काली हल्दी के इन भरपूर गुणों के कारण यह काफी प्रसिद्ध है।
काली हल्दी के लिए मिट्टी, जलवायु और तापमान का निर्धारण
- काली हल्दी के लिए जल निकास वाली मिट्टी होना चाहिए ताकि जलभराव की समस्या ना हो।
- काली हल्दी के कंद चिकनी काली और मिश्रित मिट्टी में वृद्धि नहीं करते हैं।
- उपयुक्त मिट्टी: दोमट, बलुई, मटियार और मध्यम वाली उपजाऊ मिट्टी।
- मिट्टी का pH मान: 5 से 7 के मध्य।
- उपयुक्त जलवायु: उष्ण जलवायु।
- तापमान: 15°C से 40°C के मध्य।
काली हल्दी की खेती की प्रक्रिया
- खेत की गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें।
- कुछ दिन धूप लगने के लिए खेत को खुला छोड़ दें।
- सड़ी गोबर की खाद मिलाएं, फिर 2-3 बार तिरछी जुताई करें।
- खाद के बाद हल्की सिंचाई और पलेवा करें।
- मिट्टी सूखने पर फिर जुताई करें और रोटावेटर से भुरभुरी बनाएं।
- पाटा लगाकर खेत समतल करें।
काली हल्दी की खेती में बीजों की मात्रा
- बीज उपचार: बाविस्टिन के 2% घोल में 15-20 मिनट डुबोकर रखें।
- प्रति हेक्टेयर बीज मात्रा: लगभग 20 क्विंटल।
- बीजों की लागत अधिक होती है, इस पर ध्यान देना चाहिए।
काली हल्दी की खेती में बुवाई कब की जाए??
- उपयुक्त समय: जून से जुलाई (मानसून सीजन)।
- सिंचाई के साधन उपलब्ध हों तो मई माह में भी बुवाई की जा सकती है।
काली हल्दी की खेती में रोपण का कार्य
- कंदों का रोपण पंक्तियों में किया जाए।
- गहराई: 7 सेंटीमीटर।
- कतार की दूरी: 1.5 से 2 फीट।
- कंदों के बीच दूरी: 20 से 25 सेंटीमीटर।
- पौध रोपण हो तो मेड़ों की चौड़ाई: आधा फीट।
- पौधों की दूरी: 25 से 30 सेंटीमीटर।
काली हल्दी की खेती में पौधे तैयार करने की प्रक्रिया
- कंदों को पॉलिथीन में मिट्टी भरकर रोपें।
- रोपण से पहले बाविस्टिन से उपचार करें।
- रोपण वर्षा ऋतु के प्रारंभ में करें।
जड़ों में मिट्टी कैसे चढ़ाएं??
- रोपण के 2 माह बाद पहली बार मिट्टी चढ़ाएं।
- फिर हर 2 महीने के अंतराल पर मिट्टी चढ़ाते रहें।
काली हल्दी की खेती में सिंचाई कैसे की जाए??
- शुरुआत में हल्की सिंचाई करें।
- बारिश में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती।
- सर्दियों में 15-20 दिन में एक बार सिंचाई करें।
- गर्म मौसम में 10-12 दिन में एक बार सिंचाई करें।
काली हल्दी की खेती में खाद और उर्वरकों का प्रयोग
- खेत तैयार करते समय सड़ी गोबर की खाद डालें – मात्रा: प्रति एकड़ 10-12 टन।
- सिंचाई के समय घर पर तैयार जैविक खाद भी उपयोग करें।
काली हल्दी की खेती में खरपतवार नियंत्रण
- पौध रोपण के 25-30 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें।
- हर 20 दिन के अंतराल पर 3-4 बार निराई-गुड़ाई करें।
- रोपण के 50 दिन बाद निराई-गुड़ाई बंद कर दें ताकि कंद को नुकसान ना हो।
काली हल्दी की फसल की कटाई का कार्य
- रोपण के 250 दिन बाद फसल कटाई के लिए तैयार होती है।
- कटाई का समय: जनवरी से मार्च।
काली हल्दी से प्राप्त उत्पादन और मुनाफा
- प्रति एकड़ कच्ची हल्दी: 50-60 क्विंटल।
- सूखी हल्दी: 12-15 क्विंटल प्रति एकड़।
- बाजार मूल्य: ₹500 से ₹5000 प्रति किलो (IndiaMART आदि पर)।
- सामान्य मूल्य ₹500 मानें, तो 15 क्विंटल = ₹7.5 लाख।
- लागत ₹2.5 लाख मानी जाए तो शुद्ध मुनाफा ₹5 लाख तक हो सकता है।
यही कारण है कि काली हल्दी की खेती फायदेमंद है।