राजस्थान की बादाम से भी अधिक बाजार भाव वाली सब्जी : सांगरी की खेती के बारे में जानिए

By
On:
Follow Us

सांगरी की खेती से संबंधित जानकारी

सांगरी एक ऐसी सब्जी है जो बारिश के दिनों में काफी तेजी से बढ़ती है। यह सब्जी रेतीले इलाकों में उगने वाली होती है। सांगरी की सब्जी सूखे इलाकों में पैदा होने वाली सब्जी है। सांगरी की सब्जी को कैर के साथ मिलाकर बनाया जाता है, जिसे कैर सांगरी की सब्जी कहा जाता है। सांगरी की सब्जी से पंचकूटा की सब्जी भी बनाई जाती है। राजस्थान में सांगरी की सब्जी विशेष रूप से बनाई जाती है, जो कि मुख्य त्योहार, शादी‑विवाह आदि के समय बनाई जाती है। सांगरी मुख्य रूप से राजस्थान की सब्जी है। इस सब्जी को राजस्थान के नागौर, सीकर, चूरू और झुंझुनूं में बहुत मात्रा में पाया जाता है।

2025 में राजस्थान की इस परंपरागत सब्जी को GI टैग मिल गया है, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान और मांग में काफी इज़ाफा हुआ है।

सांगरी के फायदे के बारे में चर्चा करें

सांगरी के बहुत फायदे हैं। सांगरी में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे – कैल्शियम, पोटेशियम, जिंक, आयरन, प्रोटीन और खनिज लवण आदि। सांगरी की सब्जी खाने में स्वादिष्ट होती है, साथ ही सेहत के लिए भी लाभदायक होती है। सांगरी की सब्जी इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाने में सहायक है, इसी कारण कोरोना काल में इसकी बहुत मांग थी।

2025 में भी सांगरी की मांग बहुत अधिक बनी हुई है। विदेशों में भी इसके स्वास्थ्य लाभ के कारण निर्यात बढ़ रहा है।

सांगरी की खेती क्यों करना चाहिए??

सांगरी एक प्राकृतिक सब्जी है जिसकी खेती किसान भाइयों को नहीं करनी पड़ती है। सांगरी प्राकृतिक रूप से होती है क्योंकि यह खेजड़ी के पौधे से प्राप्त होती है। सांगरी में किसी भी प्रकार के उर्वरक, कीटनाशक दवा का प्रयोग नहीं करना होता है। सांगरी स्वाभाविक रूप से उगने वाली सब्जी है जो कि खेजड़ी के पौधे से प्राप्त होती है। सांगरी की अधिक मांग के कारण अब इसकी खेती की जाने लगी है। खेती के लिए अब मुख्य रूप से ग्राफ्टेड तकनीक का भी प्रयोग किया जाता है। सांगरी की खेती बंजर भूमि में की जाती है, इसीलिए यह राजस्थान की सब्जी है।

नई तकनीकों जैसे “थार शोभा” ग्राफ्टेड पौधों की वजह से अब किसान इसे व्यवस्थित रूप से उगा रहे हैं।

सांगरी की खेती की विशेष तकनीक

सांगरी की खेती के लिए एक विशेष तकनीक का विकास किया गया है, जिसे ग्राफ्टेड विधि कहा जाता है। ग्राफ्टेड विधि के विकास का श्रेय बीकानेर कृषि यूनिवर्सिटी को जाता है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. इंद्रमोहन वर्मा के अनुसार, अच्छी गुणवत्ता वाले खेजड़ी से सांगरी के बीजों को लेकर बुवाई करने पर तैयार पौधों में प्रतिरोधक क्षमता कई गुना अधिक होती है। इसकी खेती के लिए खास तकनीक है कि खेजड़ी का पेड़ जहां से अच्छी सांगरी प्राप्त हो जाए, उसकी टहनी निकालकर जुलाई-अगस्त में बीजों के अंकुरण से तैयार पौधों पर बडिंग कर लें। इस विधि को ग्राफ्टेड विधि कहा जाता है। इस प्रकार, इस विधि से बुवाई के 3 वर्ष पश्चात चार से पांच फीट लंबाई वाले पौधे पर ही उत्पादन प्रारंभ हो जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधि इतनी आसान है कि आम किसान भी इसे आसानी से कर सकते हैं।

अब काजरी द्वारा कांटारहित सांगरी पौध भी तैयार किए गए हैं, जिससे कटाई में आसानी हो जाती है।

सांगरी की खेती से प्राप्त होने वाला लाभ

राजस्थान के खेजड़ी के पौधे से सांगरी प्राप्त होती है। ताजा सांगरी का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है। इस प्रकार सांगरी का भाव जलवायु के अनुसार पैदावार कम या ज्यादा होने पर निर्भर करता है। इस प्रकार सांगरी का बाजार भाव प्रति किलोग्राम ₹800 से ₹1200 रूपये तक होता है।
खेजड़ी के पेड़ से लूंग और लकड़ियों से भी कमाई की जा सकती है। मुख्य रूप से ग्राफ्टेड विधि का प्रयोग करके किसान भाई प्रति बीघा में 65 ग्राफ्टेड पौधे लगा सकते हैं। इस प्रकार प्रत्येक वर्ष में इन पौधों से 6 क्विंटल सांगरी, 40 क्विंटल तक लूंग प्राप्त की जा सकती है। सांगरी अच्छी पैदावार और लाभ देने वाली खेती है।

2025 में निर्यात और GI टैग के चलते कीमत ₹1500 से ₹3000 प्रति किलो तक पहुंच चुकी है, जिससे किसानों की आमदनी और भी बढ़ी है।

1200 रुपए प्रति किलोग्राम तक हो जाता है सांगरी की सब्जी का भाव

जब सांगरी की पैदावार बहुत कम मात्रा में होती है, तब सांगरी के बाजार भाव अन्य वर्षों की तुलना में दुगने हो जाते हैं। पैदावार कम और बाजार में अधिक मांग होने के कारण इसकी सब्जी का बाजार भाव प्रति किलोग्राम ₹1200 तक हो जाता है। सामान्य रूप से बादाम या काजू का भाव प्रति किलोग्राम ₹800 के आसपास ही होता है। ऐसे में सांगरी की कीमत प्रति किलोग्राम ₹1200 होने के कारण कीमत बादाम और काजू के भाव को भी पार कर जाती है। इसलिए सांगरी की सब्जी की कीमत बादाम और काजू के भाव से भी ज्यादा होती है, किंतु जो लोग इस सब्जी को खाने के इच्छुक रहते हैं, उनको इसकी दुगनी कीमत देनी पड़ती है।

वर्तमान में यह स्थिति और भी आगे बढ़ चुकी है और सांगरी ₹3000 किलो तक बिक रही है।

गलेडा रोग से प्रभावित होती है सांगरी की सब्जी

सांगरी की खेती राजस्थान के चूरू और शेखावाटी क्षेत्रों में की जाती है। लेकिन गलेडा रोग के कारण फसल को नुकसान होता है और पैदावार कम होती है, जिससे बाजार में भाव काफी अधिक हो जाता है।

सांगरी की खेती में लगने वाले रोगों के समाधान

खेजड़ी का पौधा जिससे सांगरी की सब्जी प्राप्त होती है, इस पौधे को रोग से मुक्त करने के लिए फफूंदनाशक का उपयोग किया जाता है। इसके लिए 20 लीटर पानी में 20 से 30 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल फफूंदनाशक को मिलाकर जड़ों में डाल दिया जाता है। फफूंदनाशक दवा को डालने से पूर्व पौधे के चारों ओर 1 मीटर की दूरी में 200 से 300 लीटर पानी की तराई की जानी चाहिए, इसके पश्चात दवा डालना चाहिए। ऐसा करने से खेजड़ी के पौधे को रोगों से बचाया जा सकता है।

सांगरी का पौधा क्या है??

राजस्थान के सूखे इलाकों में उगने वाला पौधा खेजड़ी का पौधा बहुत मात्रा में मिलता है, इसी से सांगरी की सब्जी प्राप्त होती है। ताजा सांगरी की सब्जी बनाने में उपयोग में लिया जाता है, शेष को सुखा कर भंडारित कर लिया जाता है, जिसे वर्षभर उपयोग किया जा सकता है। सांगरी की सब्जी को कैर के साथ मिलाकर कैर सांगरी की सब्जी बनाई जाती है। इसी से पंचकूटा की सब्जी भी बनाई जाती है। पंचकूटा की सब्जी सांगरी की सब्जी के साथ अन्य चार सब्जियां – साबुत लाल मिर्च, गोंदा, कैर और कुमटिया मिलाकर बनाई जाती है। राजस्थान की जलवायु के अनुसार विभिन्न प्रजातियों से बनाई गई सब्जी को अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त है। पंचकूटा की सब्जी को फाइव स्टार होटलों में भी रखा जाता है।

For Feedback - patidarpatidar338@gmail.com

Leave a Comment

WhatsApp Group Link