इस बार बाजार में गेहूं के दाम आसमान छू रहे हैं। फसल की मांग और आपूर्ति के बीच अंतर ने बाजार को प्रभावित किया है। गेहूं के भाव लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिससे न केवल आम लोगों की परेशानी बढ़ रही है, बल्कि सरकार के लिए भी यह बड़ी चुनौती बन गया है।
क्यों बढ़ रहे हैं गेहूं के दाम?
- मांग और आपूर्ति का असंतुलन: इस साल गेहूं की आपूर्ति कम और मांग ज्यादा है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ती मांग ने दामों को बढ़ावा दिया है।
- मौसम का प्रभाव: फसल के मौसम में अनियमित बारिश और मौसम में बदलाव के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है।
- निर्यात में वृद्धि: भारतीय गेहूं की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी मांग के कारण निर्यात बढ़ गया है, जिससे घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ रही हैं।
- स्टॉक की कमी: सरकारी स्टॉक में कमी के कारण बाजार में गेहूं के दामों पर असर पड़ा है।
गेहूं के मौजूदा दाम
वर्तमान में गेहूं के दाम ₹2,600 से ₹2,800 प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं, जो एमएसपी (₹2,150 प्रति क्विंटल) से काफी अधिक है। कुछ राज्यों में यह भाव ₹3,000 प्रति क्विंटल तक पहुंच चुका है। किसानों के लिए यह एक अच्छा मौका है, लेकिन उपभोक्ताओं और सरकार के लिए यह स्थिति चिंताजनक है।
सरकार की चुनौतियां और प्रयास
सरकार के सामने गेहूं के बढ़ते दामों को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती बन गई है। घरेलू बाजार में कीमतें स्थिर रखने के लिए सरकार निर्यात को सीमित करने और ओपन मार्केट में स्टॉक जारी करने जैसे कदम उठा सकती है।
इसके अलावा, गरीब और मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए सस्ते राशन योजना के तहत गेहूं की उपलब्धता बढ़ाई जा रही है।
आगे क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर मौसम सही रहता है और अगली फसल का उत्पादन बेहतर होता है, तो गेहूं के दामों में कुछ स्थिरता आ सकती है। हालांकि, अगर निर्यात में वृद्धि जारी रही, तो दाम और बढ़ सकते हैं।