गेहूं की पछेती फसल के लिए ICAR के 8 टिप्स
हर साल कई किसान विभिन्न कारणों से गेहूं की बुवाई में देरी कर देते हैं। हालांकि, अगर देर से बोई गई फसल को सही पोषण, सिंचाई और देखभाल मिलती है, तो उत्पादन में कोई कमी नहीं होती। ठंडे मौसम और सीमित समय के बावजूद फसल की गुणवत्ता सुधारने के लिए कृषि विशेषज्ञों द्वारा दिए गए प्रबंधन उपायों से फायदा उठाया जा सकता है।आज हम आपको 8 सरल और प्रभावी टिप्स देंगे, जो न केवल आपकी फसल को नुकसान से बचाएंगे, बल्कि इसके उत्पादन में भी वृद्धि करेंगे। देशभर में गेहूं की बुवाई अब लगभग पूरी हो चुकी है और अनुकूल मौसम के कारण गेहूं की वानस्पतिक वृद्धि और टिलरिंग अच्छी रही है।ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) ने गेहूं की देरी से बोई गई फसल के लिए 8 महत्वपूर्ण टिप्स साझा की हैं, जिन्हें अपनाकर किसान अपने उत्पादन को बेहतर बना सकते हैं।
गेहूं की पछेती फसल के लिए 8 विशेष सुझाव
(1) यूरिया का सही उपयोग
हाल ही में उत्तरी भारत में हुई वर्षा को ध्यान में रखते हुए, यूरिया का 40 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करने की सलाह दी गई है। जिन क्षेत्रों में बारिश नहीं हुई है, वहां सिंचाई करने से फसल को तापमान से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
(2) सही सिंचाई प्रबंधन
सिंचाई से पहले मौसम का पूर्वानुमान जरूर देखें। बारिश के पूर्वानुमान के दौरान सिंचाई से बचने की सलाह दी जाती है, ताकि खेतों में जलभराव से बचा जा सके।
(3) खरपतवार नियंत्रण
संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए क्लोडिनाफॉप 15 डब्ल्यूपी @ 160 ग्राम प्रति एकड़ या पिनोक्साडेन 5 ईसी @ 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ का छिड़काव करें। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए 2,4-डी ई 500 मिली/एकड़ या मेटसल्फ्यूरॉन 20 डब्ल्यूपी 8 ग्राम प्रति एकड़ का उपयोग करें।
(4) दीमक नियंत्रण
दीमक के लिए बीजों का उपचार क्लोरोपायरीफॉस @ 0.9 ग्राम ए.आई/किग्रा या थियामेथोक्साम 70WS @ 0.7 ग्राम ए.आई/किग्रा के साथ करें।
(5) यूरिया का उपयोग सावधानी से करें
फसल में पीलेपन के लक्षण दिखने पर नाइट्रोजन (यूरिया) का अधिक उपयोग न करें, और खासतौर पर कोहरे या बादल की स्थिति में इसे प्रयोग करने से बचें।
(6) रोग प्रबंधन
पीला रतुआ रोग के लिए अपनी फसल का नियमित निरीक्षण करें और संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए प्रोपिकोनाज़ोले 25ईसी @ 0.1% या टेबुकोनाज़ोले 50% + ट्राई फ्लोक्सीत्रोबिन 25% डब्ल्यू जी @ 0.06% का छिड़काव करें।
(7) उर्वरक का सही अनुपात
सिंचित क्षेत्रों में उर्वरकों का सही अनुपात 120:60:40 (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश) का उपयोग बीजाई के समय करना चाहिए। देरी से बोई गई फसलों के लिए उर्वरक की खुराक को दो भागों में बांटकर पहली और दूसरी सिंचाई पर देना चाहिए।
(8) पीले रतुआ की निगरानी
किसानों को पीले रतुआ की शुरुआती पहचान के लिए विशेषज्ञों से सलाह लेने की आवश्यकता है। यदि संक्रमण का संकेत मिले, तो तुरंत उचित उपचार करें।
ICAR के इन सरल और प्रभावी टिप्स को अपनाकर किसान अपनी गेहूं की फसल को नुकसान से बचा सकते हैं और उत्पादन बढ़ा सकते हैं।