किसानों को समय पर उपलब्ध हो यूरिया और DAP खाद
भारत में किसानों को बुआई के समय यूरिया और डीएपी जैसी रासायनिक खादों की समय पर उपलब्धता एक बड़ी चुनौती रही है। इसे लेकर राज्य सरकारों ने इन खादों के भंडारण को बढ़ाने के साथ-साथ जैविक खादों के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए हैं। इस संदर्भ में, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों को समय पर यूरिया और डीएपी खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ गौवंश आधारित जैव उर्वरकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए विशेष दिशा-निर्देश दिए हैं।मुख्यमंत्री के इस कदम से न केवल किसानों की उर्वरक संबंधी समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि जैविक खाद के प्रयोग को बढ़ावा देने से पर्यावरण और मिट्टी की सेहत में भी सुधार होगा। यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श बन सकती है।
जैविक खाद के प्रयोग को बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने हाल ही में समत्व भवन में आयोजित उर्वरक प्रबंधन की समीक्षा बैठक में कहा कि राज्य में जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो न केवल मिट्टी की गुणवत्ता और पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि किसानों को भी सस्ती और टिकाऊ विकल्प प्रदान करता है। साथ ही, उन्होंने जैविक खाद की उपयोग की मात्रा का सही तरीके से दस्तावेजीकरण करने और इसे बढ़ावा देने के लिए एक मॉडल विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उर्वरकों का अग्रिम भंडारण और वितरण प्रणाली में सुधार
मुख्यमंत्री ने किसानों को समय पर उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए अग्रिम भंडारण की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। उनके अनुसार, फसल चक्र के अनुरूप उर्वरकों का भंडारण प्रमुख वितरण केंद्रों पर सुनिश्चित किया जाए ताकि किसानों को बिना किसी बाधा के खाद मिल सके। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में इस बार यूरिया, एन.पी.के., एस.एस.पी. और एम.ओ.पी. की उपलब्धता पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक है। अब तक, 35 लाख 68 हजार मीट्रिक टन उर्वरक में से 32 लाख मीट्रिक टन से अधिक यूरिया, 9 लाख 29 हजार मीट्रिक टन एन.पी.के., 10 लाख 58 हजार मीट्रिक टन एस.एस.पी. और 91 हजार मीट्रिक टन एम.ओ.पी. वितरित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, 10 लाख 82 हजार मीट्रिक टन डीएपी और 20 लाख 11 हजार मीट्रिक टन डीएपी + एन.पी.के. की भी सप्लाई की जा चुकी है।