गेहूं साइलो की क्षमता 3 वर्षों में तीन गुनी : भारत में आधुनिक भंडारण सुविधाओं का बड़ा विस्तार

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गेहूं-साइलो की क्षमता 3 वर्षों में होगी तीन गुनी

भारत सरकार ने गेहूं के भंडारण की क्षमता को अगले तीन वर्षों में तीन गुना बढ़ाने का ऐतिहासिक लक्ष्य तय किया है। सरकार की योजना है कि 2025 तक देश में 9 मिलियन टन (MT) गेहूं साइलो क्षमता का निर्माण किया जाएगा, जो वर्तमान में 2.8 मिलियन टन के स्तर से कहीं अधिक होगा। इससे न केवल किसानों के लिए भंडारण की बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध होंगी, बल्कि खाद्यान्न की बर्बादी को भी रोका जा सकेगा।भारत में गेहूं और चावल के भंडारण के लिए साइलो सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया जा रहा है। इससे खाद्यान्न की बचत, बेहतर भंडारण और वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित होगी, जो किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी। सरकार की यह पहल कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल खाद्यान्न संकट को कम करेगा, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद करेगा।

निजी संस्थाओं से अनुबंध और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल

भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने 2.5 मिलियन टन आधुनिक गेहूं भंडारण सुविधाओं के निर्माण के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत बोलियाँ आमंत्रित की हैं। इस परियोजना के अंतर्गत, 2.8 मिलियन टन से अधिक की संचयी क्षमता वाले 35 साइलो पहले ही चालू हो चुके हैं। इसके अलावा, 80 स्थानों पर 3.5 मीट्रिक टन से अधिक आधुनिक भंडारण सुविधाओं के निर्माण के लिए निजी कंपनियों को अनुबंध दिए गए हैं, जो अगले दो वर्षों में तैयार हो सकते हैं।इन साइलो परियोजनाओं में प्रमुख निजी संस्थाओं जैसे अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स, केसीसी इंफ्रास्ट्रक्चर और ओम मेटल्स इंफ्रा प्रोजेक्ट शामिल हैं। FCI इन साइलो का उपयोग 30 साल के पट्टे पर करेगा, जिससे इन सुविधाओं का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा।

साइलो परियोजना से जुड़ी प्रमुख जानकारी

सरकार ने गेहूं के भंडारण के लिए 9,000 करोड़ रुपये की परियोजना की शुरुआत की है, जिसमें साइलो का निर्माण पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में किया जाएगा। यह योजना गेहूं के भंडारण को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाएगी, जिससे खाद्यान्न की आपूर्ति को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकेगा।

चावल भंडारण के लिए नई पहल

इसके साथ ही, चावल के भंडारण के लिए भी नई पहल की जा रही है। बिहार के बक्सर में चावल के लिए 12,500 टन स्टील साइलो का निर्माण पायलट परियोजना के रूप में किया गया है, जिसे अगले महीने एफसीआई द्वारा उपयोग किया जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य चावल के भंडारण के दौरान बर्बादी को रोकना है और इसके लिए साइलो तकनीक पर काम किया जा रहा है।

किसानों और सरकार दोनों के लिए साइलो के फायदे

साइलो परियोजना से न केवल खाद्यान्न के भंडारण में सुधार होगा, बल्कि यह किसानों के लिए अनाज की खरीद और वितरण को आसान बनाएगी। इससे लॉजिस्टिक लागत में भी कमी आएगी, जिससे किसानों को अधिक लाभ होगा। साइलो कृषि के बेहतर संरक्षण के लिए एक प्रभावी उपाय है, जो खाद्यान्न की गुणवत्ता बनाए रखता है और बर्बादी को कम करता है।

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