टमाटर की खेती में करें मल्चिंग तकनीक का प्रयोग और पाए कम खर्च में अधिक मुनाफा

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टमाटर की उन्नत खेती में मल्चिंग तकनीक

मल्चिंग तकनीक टमाटर की खेती को आधुनिक और लाभकारी बनाने का एक प्रभावशाली उपाय है। यह सिर्फ उत्पादन बढ़ाने में मदद नहीं करती, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग का मार्ग भी दिखाती है। सही तरीके से अपनाई गई यह तकनीक किसानों की आय बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकती है।टमाटर उगाने वाले किसान बदलते मौसम और जलवायु परिस्थितियों से अक्सर जूझते हैं। ऐसे में मल्चिंग तकनीक किसानों के लिए एक आदर्श समाधान हो सकती है। यह न केवल मिट्टी की उर्वरता बनाए रखती है, बल्कि जल संरक्षण और खरपतवार नियंत्रण में भी सहायक होती है। मल्चिंग का मतलब है मिट्टी की सतह को जैविक या अजैविक सामग्री से ढंकना। इसमें पौधों की जड़ों के आसपास गन्ने की खोई, भूसा, प्लास्टिक शीट या सूखी घास जैसी सामग्री का उपयोग किया जाता है।

मल्चिंग से टमाटर की खेती के लाभ

1.जल संरक्षण : मल्चिंग मिट्टी में नमी को लंबे समय तक संरक्षित रखती है, जिससे सिंचाई की जरूरत कम हो जाती है।

    2.खरपतवार नियंत्रण : यह तकनीक खरपतवार की बढ़त को रोकती है, जिससे पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।

    3.मिट्टी का तापमान संतुलन : गर्मियों में मिट्टी को ठंडा और सर्दियों में गर्म बनाए रखने में मदद करती है।

    4.उर्वरता में सुधार : जैविक मल्चिंग का उपयोग मिट्टी में जैविक तत्वों को बढ़ाने में सहायक है, जिससे फसल की गुणवत्ता सुधरती है।

    5.उत्पादन में बढ़ोतरी : मल्चिंग विधि अपनाने से टमाटर की उपज में 20 से 30 प्रतिशत तक वृद्धि होती है।

    मल्चिंग तकनीक की प्रक्रिया

    • खेत की जुताई के बाद मिट्टी को समतल करें।
    • जैविक सामग्री (भूसा, गन्ने की खोई) या अजैविक (प्लास्टिक शीट) का इस्तेमाल करें।
    • टमाटर के पौधों को 45 से 60 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं।
    • पौधों की जड़ों के चारों ओर मल्चिंग सामग्री फैलाएं।
    • प्लास्टिक शीट के इस्तेमाल पर पौधों के लिए छोटे-छोटे छेद करें।
    • सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम अपनाएं ताकि नमी सीधे जड़ों तक पहुंचे।

    मल्चिंग तकनीक में होने वाला खर्च और मुनाफा

    मल्चिंग तकनीक में प्रारंभिक लागत थोड़ी ज्यादा हो सकती है, विशेष रूप से प्लास्टिक मल्चिंग के मामले में। लेकिन लंबे समय में इससे उत्पादन और पानी की बचत के जरिए मुनाफा बढ़ता है। मल्चिंग विधि से टमाटर की खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 25 से 30 प्रतिशत अधिक आय अर्जित की जा सकती है।

    मल्चिंग तकनीक में रखें ये सावधानियां

    • जैविक मल्चिंग में उपयोग की गई सामग्री सड़ी-गली होनी चाहिए।
    • प्लास्टिक मल्चिंग के बाद सही निपटान सुनिश्चित करें ताकि पर्यावरण को नुकसान न हो।
    • मिट्टी की संरचना और स्थानीय जलवायु के अनुसार सामग्री का चुनाव करें।

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