सरसों की उन्नत खेती के लिए क्या करें??
सरसों रबी के सीजन की मुख्य फसल है। सरसों के भाव में हुई वृद्धि से किसान सरसों की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं।आने वाले सीजन में सरसों की फसल की बुवाई अधिक क्षेत्रफल में हो सकती हैं।हमारे देश में सरसों उत्पादक राज्यों में सरसों की खेती का क्षेत्रफल बढ़ सकता है।सरसों से लाभ प्राप्त करने के लिए इस सीजन में सरसों की उन्नत खेती करें।इस सीजन में भी सरसों की फसल से मुनाफा प्राप्त होने की संभावना है। किसान भाई उन्नत किस्म का चयन करके उचित तकनीक से सरसों की खेती करें , जिससे उन्हें अधिक पैदावार प्राप्त हो सके।आइए , सरसों की पैदावार बढ़ाने के तरीकों की जानकारी प्राप्त करें।
सरसों की उन्नत किस्म का करें चयन
हाइब्रिड सरसों की खेती करें..
सरसों की उन्नत फसल और अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों की जानकारी होना भी आवश्यक हैं।सरसों की उन्नत किस्में इस प्रकार हैं-
- सिंचित क्षेत्र में सरसों की किस्में – वरुणा , माया और क्रांति इसे हम T-59 भी कहते हैं।उर्वशी , नरेन्द्र राई और पूसा बोल्ड आदि।
- असिंचित क्षेत्र में सरसों की किस्में – सरसों की वरदान , वैभव और वरुणा किस्म आदि।
सरसों की उन्नत खेती में मिट्टी की जांच कराए
सरसों की खेती में उन्नत फसल प्राप्त करने के लिए मिट्टी की जांच करा लेना चाहिए।फसल चक्र का पालन न करने वाले किसान भाईयों के लिए मिट्टी की जांच कराना आवश्यक हैं। मिट्टी की जांच से यह ज्ञात हो जाता हैं कि मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी है , उन तत्वों को मिलाकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि की जा सकती हैं।यदि ऐसा न हो तब कृषि वैज्ञानिकों की ओर से तैयार खाद और उर्वरक का उपयोग करना चाहिए जिससे सरसों की अच्छी पैदावार मिल सकें।
सरसों की खेती में मिट्टी का निर्धारण
सरसों की खेती में मिट्टी की बात करें तो अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी होना चाहिए।सरसों की खेती में मिट्टी लवणीयता एवं क्षारीयता से मुक्त हों।जिन क्षेत्र की मिट्टी क्षारीय हों वहां प्रत्येक तीसरे वर्ष प्रति हेक्टेयर जिप्सम की 5 टन मात्रा का प्रयोग करें।जिप्सम का प्रयोग मिट्टी के PH मान के अनुसार अलग भी हो सकता हैं।जिप्सम को मई-जून के माह में मिट्टी में मिला दें।यदि क्षारीय भूमि में खेती हो तब क्षारीय भूमि के लिए उपयुक्त किस्मों का चयन करें। सरसों की खेती में उपयुक्त मिट्टी बलुई दोमट से दोमट मिट्टी होती हैं।
सरसों की खेती के लिए जलवायु और तापमान का निर्धारण
सरसों की खेती के लिए जलवायु की बात करें तो सरसों की फसल रबी की सीजन की फसल हैं।सरसों की फसल के लिए उपयुक्त समय सितंबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के प्रथम सप्ताह तक होता हैं।
सरसों की फसल के लिए तापमान की बात करें तो तापमान 20°C से 30°C के मध्य हों।
सरसों का बीज कहां से खरीदें??
सरसों की खेती में अच्छी गुणवत्ता वाली फसल और अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए उच्च किस्म के बीजों का चयन करें।बीज खरीदने से पूर्व बीजों की गुणवत्ता देखना आवश्यक है। यदि किसान स्वयं का उत्पादित बीज बुवाई के लिए प्रयोग करते हैं तो उस बीज को बुवाई से पूर्व उपचारित जरूर कर लें।किसान भाई राज्य के बीज भंडार ग्रह , सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थान या अपनी विश्वसनीय दुकान से प्रमाणिक बीजों को ही खरीदें।
सरसों की उन्नत खेती में प्रयुक्त कृषि यंत्र
सरसों की उन्नत खेती में कृषि यंत्रों का प्रयोग करने से श्रम और समय दोनों की बचत होती है।सरसों की खेती में प्रयुक्त कृषि यंत्र इस प्रकार है-
- मिट्टी पलटने वाला हल
- देशी हल
- तवेदार हल
- ट्रैक्टर
- सीड ड्रिल
- स्प्रिंकलर (सिंचाई यंत्र)
- ड्रिप सिंचाई सिस्टम (सिंचाई यंत्र)
- स्प्रेयर
- पावर टिलर
- कंबाइन हार्वेस्टर
सरसों की उन्नत खेती में खेत कैसे तैयार करें??
- सरसों की खेती सिंचित और असिंचित दोनों ही भूमि में की जा सकती है।सरसों की खेती में असिंचित क्षेत्र में खेत तैयार करने के लिए बारिश होने के पश्चात् तवेदार हल द्वारा जुताई करें , जिससे नमी बनी रहे।मिट्टी को समतल बनाने के लिए प्रत्येक जुताई के पश्चात पाटा का प्रयोग करें इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है।
- सरसों की खेती में सिंचित क्षेत्र में खेत तैयार करने के लिए पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें उसके पश्चात् 3 से 4 जुताई तवेदार हल से करें। जुताई के पश्चात् खेत को समतल बनाने के लिए पाटा का प्रयोग करें।फसल की बुवाई के पूर्व खेत में खरपतवार नहीं होना चाहिए।बुवाई से पूर्व भूमि को नम बनाने के लिए पलेवा करें।
सरसों की बुवाई के लिए बीजों की मात्रा इस प्रकार हो
सरसों की बुवाई के लिए बीजों की मात्रा का भी ध्यान रखा जाना आवश्यक है।इसके लिए असिंचित क्षेत्रों में बीजों की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है और सिंचित क्षेत्र में बुवाई के लिए बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर लगभग 5 से 6 किलोग्राम होना चाहिए। बीज की मात्रा फसल के पकने की अवधि पर निर्भर रहती है।यदि सरसों की ऐसी किस्म की बुवाई हो रही है जिसके पकने की अवधि अधिक है तो बीज की कम मात्रा का प्रयोग होगा और यदि कम अवधि की किस्म है तब बीजों की अधिक मात्रा का प्रयोग होगा।
सरसों की बुवाई से पूर्व बीज का उपचार
- सरसों की फसल में बुवाई से पूर्व बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए , जिससे फसल में रोगों की संभावना नहीं रहती है।बीजों को उपचारित करने के लिए लगभग प्रति किलोग्राम बीज में थिरम की 2 से 5 ग्राम से बीजों को उपचारित करें।
- तना गलन रोग से फसल की सुरक्षा हेतु प्रति किलो बीज में कार्बेन्डाजिम की 3 ग्राम मात्रा से बीजों को उपचारित करें।
- श्वेत किट्ट एवं मृदुरोमिल आसिता से सुरक्षा हेतु प्रति किलो बीज में मेटालेक्जिल (एप्रन SD-35) की 6 ग्राम मात्रा से बीजों को उपचारित करें।
सरसों की बुवाई की प्रक्रिया
सरसों की बुवाई में देशी हल या सिड्रिल का प्रयोग करें। देशी हल या सीडड्रिल की सहायता से सरसों की बुवाई पंक्तियों में करें।यदि दूरी की बात की जाए तो पौधों की आपसी दूरी 10 से 12 सेंटीमीटर और पंक्तियों की आपसी दूरी 30 सेंटीमीटर होना चाहिए। बीज को 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए क्योंकि अधिक गहराई पर बीज बोने से अंकुरण पर विपरीत प्रभाव होता है।
सरसों की फसल में सिंचाई कैसे की जाए??
सरसों की फसल में आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए। राई और सरसों की फसल में सिंचाई पट्टी विधि के द्वारा की जाती है।खेत की ढाल और लंबाई के अनुसार 4 से 6 मीटर चौड़ी पट्टी बनाकर सिंचाई करने से एक समान सिंचाई होती है तथा फसल द्वारा जल का एक समान और पूर्ण रूप से उपयोग होता है।सरसों की फसल में प्रथम सिंचाई फूल आने के समय तथा द्वितीय सिंचाई फली में दाने आने की अवस्था में करें।यदि रबी के सीजन में बारिश हो जाए तब द्वितीय सिंचाई आवश्यकता होने पर ही करें।किसान भाई इस बात का ध्यान रखें की सिंचाई में जल की गहराई 6 से 7 सेमी से ज्यादा ना हो।
सरसों की खेती में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग
सरसों की खेती में अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए खाद एवं उर्वरकों का भी प्रयोग किया जाता है।इसके लिए सरसों की बुवाई से पूर्व और खेत की अंतिम जुताई के समय गोबर की सड़ी खाद की 60 क्विंटल मात्रा खेत में मिला दे।
रासायनिक खाद के रूप में खेत की सिंचित अवस्था में प्रति हेक्टेयर में 60 किग्रा फास्फोरस , 60 किग्रा पोटाश और 120 किग्रा नाइट्रोजन का प्रयोग करें। फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई से पूर्व और खेत की अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देनी चाहिए।शेष बची आधी नाइट्रोजन की मात्रा बुवाई के 25 से 30 दिन पश्चात टॉप ड्रेसिंग के रूप में प्रयोग करें।
सरसों की उन्नत खेती में खरपतवार नियंत्रण
सरसों की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए खरपतवार नियंत्रण भी आवश्यक है।खरपतवार को नष्ट करने के लिए निराई-गुड़ाई आवश्यक है।इसके लिए प्रथम निराई-गुड़ाई सिंचाई के पहले और दूसरी सिंचाई के बाद करना चाहिए।सरसों की खेती में बुवाई के 15 से 20 दिन के पश्चात् पौधों की आपसी दूरी 15 सेमी कर घने पौधे होने पर उनको निकाल दें।रासायनिक विधि द्वारा खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए प्रति हैक्टेयर में 800 से 1000 लीटर पानी में पेंडामेथालिन 30 E.C.की 3.3 लीटर मात्रा का घोल बनाकर छिड़काव करें।बुवाई के पश्चात् 2 से 3 दिन के अंतराल पर घोल का छिड़काव करें।
सरसों की खेती में भूमिगत कीटों से बचाव के लिए उपाय
सरसों की फसल को भूमिगत कीटों से बचाव के लिए खेत की अंतिम जुदाई में प्रति हेक्टेयर 1.5% क्यूनॉलफॉस की 25 किग्रा मात्रा को मिट्टी में मिला दें ताकि कीटों से फसल को नुकसान ना हों।
सरसों की फसल की कटाई और भंडारण का कार्य
सरसों की फसल की कटाई का कार्य जब 75% फलियों का रंग सुनहरी हो जाए तब फसल को स्प्रेयर की सहायता से काटकर फिर सुखाए उसके पश्चात् मड़ाई करके बीज को अलग कर लें।सरसों के बीज को अच्छी तरह सुखाकर ही भंडारित करें।
सरसों की खेती में प्राप्त उपज
सरसों की खेती में प्राप्त उपज की बात की जाए तो सिंचित क्षेत्रों में उत्पादन प्रति हैक्टेयर लगभग 25 से 30 क्विंटल और वही असिंचित क्षेत्रों में उत्पादन प्रति हैक्टेयर लगभग 20 से 25 क्विंटल तक होता हैं।
सरसों की खेती से कमाई का जरिया
किसान भाई सरसों की फसल को देश की ऐसी मंडियों जहां भाव उच्च स्तर पर हों वहां बेच सकते हैं।मुख्य रूप से सरसों की खेती राजस्थान के पूर्वी भाग में की जाती है।उत्तर प्रदेश में सरसों की खेती कुछ जिलों में होती है और बिहार में भी सरसों की खेती का रकबा बढ़ रहा है।सरसों की फसल किसान तेल कंपनियों को भी बेच सकते हैं।इसके अतिरिक्त किसान भाई सरसों की फसल बाजार में व्यापारियों को भी विक्रय कर सकते हैं।पूर्व में सरसों के बाजार में अच्छे भाव मिले हैं क्योंकि यह भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) से काफी अधिक थे।किसान भाई को आगे भी सरसों के अच्छे भाव मिल सकते हैं यदि उचित तरीके से खेती की जाए।
सरसों का बाजार भाव
सरसों के बाजार भाव की बात करें तो सरसों का भाव प्रतिदिन अलग-अलग रहता है क्योंकि इस भाव में उतार-चढ़ाव होता रहता है।सामान्य रूप से सरसों के बाजार भाव की बात करें तो यह प्रति क्विंटल 7700 से 8500 रुपए है।वही सरसों के तेल का भाव प्रति टिन यानि 10 किलो लगभग 1840 से 1860 रुपए है।